Explain SMPS benefits and Issues | SMPS ke laabh or Nuksaan Bataao | SMPS के लाभ और नुक्सान बताओ


SMPS ( Switched Mode Power Supply ), एक विधुत पावर देने का यन्त्र है. ये विधुत की पावर को बदल कर सप्लाई करने का काम करता है. SMPS दुसरे पॉवर सप्लाई से अलग है क्योकि ये कंप्यूटर को जरूरत के हिसाब से ही पॉवर देता है. बाकि के पॉवर सप्लाई यन्त्र की ही तरह ये भी पहले पॉवर को लोड करता है, फिर उसे वोल्टेज और करंट में बदलता है फिर उसे मेंन पॉवर सप्लाई में देता है. ये पॉवर को D.C. से  D.C और . D.C. से A.C. में बदलता है. इसमें अलग अलग तरह के रेगुलेटर भी होते है जो LPS ( Linear Power Supply ) में इस्तेमाल होते है, क्योकि इनके पास वोल्टेज को संभलने की शक्ति होती है, खासकर ट्रांजिस्टर ( Transistor )और डायोड ( Diode ), ये कंप्यूटर के हर हिस्से को जरूरत के हिसाब से ही पॉवर देते है. SMPS के रेगुलेटर लगातार अलग अलग पॉवर सप्लाई पर काम करते रहते है, इसीलिए इसकी जरूरत की महत्वता बहुत बढ़ जाती है, जिसे नाकारा नही जा सकता.


SMPS के प्रकार :

1.       D.C. से D.C. Convertor 


2.       Forward  Convertor


3.       Flyback Convertor 


4.       Self – Oscillating Flyback Convertor 
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Explain  SMPS benefits and Issues
Explain  SMPS benefits and Issues

D.C. Convertor :

SMPS को जो पहली पॉवर सप्लाई मिलती है वो AC में मिलती है, जिसको बाद में फ़िल्टर करके DC में बदल दिया जाता है. ये फिर एक बहुत तेज़ गति से पॉवर को बदलता है लगभग 15 KHZ से 50 KHZ  तक, साथ ही ये उस पॉवर को स्टेप – डाउन ट्रांसफार्मर को दे देता है. स्टेप – डाउन ट्रांसफार्मर तुलनात्मक रूप से 50 HZ यूनिट के साइज़ का होता है. तब इसे पॉवर सप्लाई के आउटपुट को भेज दिया जाता है. साथ ही इस आउटपुट का एक सैंपल वापस स्विच के पास भेज दिया जाता है ताकि आउटपुट वोल्टेज को कंट्रोल किया जा सके. 


जो पॉवर सप्लाई D. C. को दी जाती है उसे बड़ी फ्रीक्वेंसी पर 15 से 50 KHz पर तोड़ दिया जाता है, जिसे करने के लिए एक एक्टिव डिवाइस जैसे BJT, पॉवर MOSFET, SCR या एक पॉवर बदलने वाले ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल किया जाता है. यह फेराइट कोर का आकर फ्रीक्वेंसी के साथ कम हो जाता है. इसकी कम से कम सीमा लगभग 5 kHz होती है और ज्यादा से ज्यादा सीमा 50 kHz तक होती है. इसके बाद विधुत की जिन तरंगो को बदला गया था उन्हें फ़िल्टर किया जाता है. 


SMPS के कंट्रोल एलिमेंट ज्यादातर ट्रांजिस्टर बटन, इंडक्टर और डायोड के बने होते है. जब भी स्विच ऑन किया जाता है, तो विधुत उर्जा इंडक्टर के साथ जुड़ कर चुम्बकीय क्षेत्र में बदल जाती है. तब इस उर्जा को वोल्टेज लेवल को ध्यान में रखते हुए जरूरत के हिसाब से आगे भेजा जाता है.
 
SMPS ke laabh or Nuksaan Bataao
SMPS ke laabh or Nuksaan Bataao

SMPS के लाभ :

-          SMPS का सबसे बड़ा फ़ायदा ये इसकी कार्य करने की क्षमता है क्योकि ये कम पॉवर की कमी को भी आसानी से पूरा कर देता है.


-          इसके साथ ही ये छोटा और हल्का होता है, नाकि ट्रांसफार्मर की तरह बड़ा और भरी. 


-          इसके अलावा ये बहुत कम गर्मी निकलता है, वो भी इसकी क्षमता पर ही निर्भर करता है.


SMPS के नुकसान :

-          SMPS के कार्य को समझना बहुत ही मुस्किल होता है.

-          साथ ही इसकी हाई – अम्प्लीत्युड और हाई फ्रीक्वेंसी एनर्जी भी इसकी कमी है. जो फ़िल्टर की मात्रा को कम करती है.


-          इसके अलावा SMPS हार्मोनिक दिस्टोर्सन का कारण भी बन सकता है.   


SMPS कंप्यूटर CPU के ऊपर बाहरी तरफ लगा होता है, जिसके एक तरफ एक सॉकेट होता है जिससे इसको मेन पॉवर से जोड़ा जाता है और इसके दूसरी तरफ कई तार जुडी होती है, जिन्हें इर कंप्यूटर मदरबोर्ड के अलग अलग हिस्सों से जोड़ दिया जाता है. इन्ही तारो से SMPS कंप्यूटर के हर हिस्सों को जरूरत के हिसाब से ही पॉवर देता है.  
 
SMPS के लाभ और नुक्सान बताओ
SMPS के लाभ और नुक्सान बताओ

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