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Chamatkari Prakrtik Chikitsa | चमत्कारी प्राक्रतिक चिकित्सा



मोटापा सब बिमारियों की जड़ होता है. एक बहुत मोटा लड़का है जिसका वजन ८० किलोग्राम है उम्र १६ साल है. ऐसा आदमी बहुत सुस्त होता है. उसमें चुस्ती-फुर्ती नहीं होती है और उसकी शारीरिक क्षमता भी बहुत कम होती है. उसे हमेशा सामाजिक उपेक्सा का सामना करना पड़ता है. हम सबकी तरह उसके जीवन में भी कायाकल्प करने वाला समय आता है. मेरा जीवन भी उसी लड़के के जीवन जैसा है. मेरे जीवन में वो मोड़ है प्राकर्तिक चिकित्सा. प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा मेरा मोटापा ठीक हो गया. प्राकृतिक चिकित्सा के दौरान पहले आठ से दस दिन तक मुझे फल खाने के लिए दिए. इसके बाद ७ दिन तक केवल पानी ही पिलाया गया. प्राक्रतिक उपचार विधियाँ और हलके – फुल्के योगासन करवाए गए. पहले दो से तीन दिन बहुत कमजोरी महसूस हुई, चक्कर भी आये और सिर दर्द भी हुआ, भूख भी ज्यादा लगी. ४-५ दिन बाद मल में चिकनाहट आई. फिर सात दिन फल खाने के लिए दिए. उबली सब्जियां खाने के लिए दी. कुछ दिन तक बहुत हल्का भोजन, केवल रात के समय दिया गया. इन सब तरीकों से तीन महीने में मेरा वजन ८० किलोग्राम से ५५ किलोग्राम हो गया.

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चमत्कारी प्राक्रतिक चिकित्सा
चमत्कारी प्राक्रतिक चिकित्सा

प्राक्रतिक चिकित्सा उपचार के नियम ---- 


1.       गर्मी के मौसम में रोजाना कम से कम 10 गिलास पानी पीना स्वस्थ्य के लिए आवश्यक है. इसी प्रकार सर्दी के मोसम में कम से कम ५ गिलास पानी पीने से स्वस्थ्य ठीक रहता है.


2.       इलाज में प्रयोग आने वाले चादर तकिये के कवर आदि को गर्म पानी में धोकर सुखा देना चाहिए.


3.       उपचार करने का कमरा साफ़ और गरम होना चाहिए. ऐसा करने से रोगी को आरामदेह लगता है.


4.       दिल के रोगी, अधिक कमजोर रोगी, बुखार व अधिक थकान के रोगी को ज्यादा देर तक ठंडे या गरम पानी से इलाज नहीं करवाना चाहिए. देर तक भाप नहीं लेनी चाहिए. ये सब काम चिकित्सक की सलाह पर नर्स के सामने करने चाहिए.


5.       अधिक देर तक जल चिकित्सा द्वारा ईलाज करना गलत है. समय का पूरा ध्यान करना चाहिए. तापमान का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए.


6.       ठंडे पानी से इलाज करवाने के बाद रोगी को योगासन, भ्रामरी आदि साधारण व्यायाम करना चाहिए. जो रोगी व्यायाम नहीं कर सकते उन्हें बीस मिनट तक तेज़ गति से चलना चाहिए.


7.       जब तक रोगी को ठण्ड महसूस न हो तभी तक ठन्डे पानी से स्नान करना चाहिए. अगर रोगी को ठण्ड लगे तो ईलाज बिलकुल बंद कर देना चाहिए.


8.       जब हम ठन्डे पानी से ईलाज करवाते हैं तो हमें उपचार के ३० से ४५ मिनट बाद नहाना चाहिए.


9.       गर्म पानी से उपचार कराने के तुरंत बाद ठंडे पानी से नहाना जरूरी है.


10.   गरम पानी से ईलाज करवाने से पहले रोगी को ठंडा पानी पीना चाहिए. सिर को ठन्डे तौलिये से भिगोकर रखना होता है ताकि आराम मिलता रहे. नहीं तो रोगी को चक्कर आने लग जाते हैं. जैसे ही रोगी को चक्कर आने लगे या थकान महसूस होने लगे तो उपचार तुरंत बंद कर देना चाहिए.
 
Chamatkari Prakrtik Chikitsa
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