Adbhut Shivling or Bhuvneshvari Mata ka Mandir | अदभुत शिवलिंग और भुवनेश्वरी माता का मंदिर


अदभुत शिवलिंग और भुवनेश्वरी माता का मंदिर

भुवनेश्वरी माता के मंदिर का निर्माण
भुवनेश्वरी माता का मंदिर कामाख्या माँ के मंदिर के ऊपर स्थित हैं. भुवनेश्वरी माता के मंदिर का निर्माण शैव और शक्ति के उपासकों ने करवाया हैं. इस मंदिर को बनवाने के पीछे इनका मुख्य उद्देश्य हानिकारक कारकों के द्वारा सिद्धियों को प्राप्त करना हैं. शैव और शक्ति के उपासकों ने इस मंदिर की रचना वास्तु शास्त्र के अनुसार आसुरी शक्तियों को बसाने के लिए की हैं. आसुरी शक्तियों का निवास स्थान माता के मंदिर के दक्षिण एवं पश्चिम कोण में हैं.

शिवलिंग एवं ढलान  
       यह मंदिर शिवलिंग के कारण बहुत ही प्रख्यात हैं. क्योंकि यह शिवलिंग भौतिक तत्वों के बिना केवल वायु से स्वयं निर्मित हुआ हैं. भुवनेश्वरी माता के मंदिर में एक विशेषता यह भी हैं कि यह मंदिर उत्तर दिशा से काफी ऊंचाई पर स्थित हैं तो दक्षिण दिशा की तरफ अधिक नीचा हैं. अर्थात इस मंदिर के उत्तर दिशा से ढलान शुरू होती हैं और दक्षिण दिशा में ढलान खत्म होती हैं.
Adbhut Shivling or Bhuvneshvari Mata ka Mandir
Adbhut Shivling or Bhuvneshvari Mata ka Mandir
       आमतौर पर यदि किसी व्यक्ति के घर का निर्माण इस प्रकार के ढलान पर किया जाता हैं. लोगों कि मान्यता यह होती हैं कि ऐसे ढलान पर बनाए गए घरों के लोगों का रुझान अघोर साधना की ओर अधिक होता हैं तथा शराब पीना, जुआ खेलना, हमेशा घर में लड़ाई - झगड़ा करना ऐसे घरों की मुख्य प्रवृति होती हैं.

किन्तु ढलान की बात यदि धार्मिक स्थानों के लिए की जाती हैं तो अधिकतर लोगों का यह मानना हैं कि जिन देवालयों का का प्रवेश द्वार दक्षिणमुखी होता हैं तथा उत्तर दिशा की तरफ से ये स्थान ऊंचाई पर स्थित होते हैं. यहाँ पर जिन लोगों के मन में आसुरी शक्तियाँ घर कर जाती हैं. उनके मन से आसुरी शक्तियों के प्रभावों का निष्कासन भी इस तरह के धार्मिक स्थानों पर ही किया जाता हैं. दिशाओं के इस प्रभाव को एक उदहारण के द्वारा अधिक समझा जाता हैं. यदि किसी अस्तपताल का प्रवेश द्वार दक्षिणमुखी होगा तो उसकी प्रसिद्धि अधिक होगी तथा उसमें मरीजों का ईलाज भी अच्छा होता हैं.

कामाख्या माँ और भुवनेश्वरी माता के मंदिर की तुलना  
 भुवनेश्वरी तथा कामाख्या माँ का मंदिर एक ही स्थान पर हैं. इन दोनों मंदिरों में अंतर सिर्फ ऊंचाई का हैं. कामाख्या माँ का मंदिर भूतल पर स्थित हैं तो भुवनेश्वरी माता का मंदिर ऊंचाई पर स्थित हैं. CLICK HERE TO READ MORE POST ...
अदभुत शिवलिंग और भुवनेश्वरी माता का मंदिर
अदभुत शिवलिंग और भुवनेश्वरी माता का मंदिर 
                 कामाख्या माँ के मंदिर में भीड़ अधिक होती हैं. इतनी भीड भुवनेश्वरी माता के मंदिर में नहीं होती. ऐसा माना जाता हैं कि कामाख्या माँ के मंदिर में व्यक्ति अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए जाते हैं तथा जैसा कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि भुवनेश्वरी माता के मंदिर में आसुरी शक्तियों की उपासना करने वाले उन शक्तियों के द्वारा अपनी कामनाओं की सिद्धि करने वाले व्यक्ति अधिक संख्या में जाते हैं.

                 कामाख्या माँ के मंदिर में पंडित या पुजारी लोगों से दक्षिणा और दान देने की मांग करते हैं. तो वहीं भुवनेश्वरी माता के मंदिर में पुजारी दान दक्षिणा की मांग नहीं करते तथा अगर उन्हें कोई दान या दक्षिणा देने की कोशिश भी करें तो वे यह कहकर इंकार कर देते हैं कि “जब मैंने आपकी पूजा करने में कोई मदद नहीं की, तो मै इस दक्षिणा को रखने का भी अधिकारी नहीं हूँ.”   
  
अदभुत शिवलिंग और भुवनेश्वरी माता का मंदिर की विशेषता को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
भुवनेश्वरी माता
भुवनेश्वरी माता 

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