जब व्यक्ति का भाग्य बुरा चल रहा होता है, घर में
गरीबी होती है, भूत-प्रेत की छाया से परेशान होते हैं, शरीर में गंभीर बीमारी हो
जाती है, बनते हुए कार्य बिगड़ जाते हैं तो ऐसे में बजरंग बाण का प्रयोग करना
चाहिये. बजरंग बाण का प्रयोग अचूक होता है. बजरंग बाण के इस्तेमाल से ये सब
रुकावटें दूर हो जाती हैं और जीवन सुचारू तरीके से चलता है. हमारे शास्त्रों के अनुसार
हनुमान जी को संकटमोचक माना गया है. जो भी व्यक्ति हनुमान जी पूजा उपासना करता है
उस व्यक्ति को जीवन में बहुत शान्ति प्राप्त होती है और हमारे जीवन के जितने भी
दुःख होते है, हमारे मन में जो व्यर्थ का डर होता है और हमारी जो चिंताएं होती हैं
हनुमान जी की पूजा करने से ये सब परेशानियाँ दूर हो जाती हैं. बजरंग बाण का जाप और
पाठ हनुमान जयंती, शनिवार या मंगलवार को ही करना चाहिये. इस दिन व्रत भी रख सकते
हैं. ऐसा करने से हनुमान जी प्रसन्न हो जाते हैं. अपने मन चाहे कार्य की प्राप्ति
के लिए मंगल या शनिवार का दिन चुने. जब आप जाप करने के लिए बैठें तो अपने सामने
हनुमान जी का फोटो या मूर्ति रख लें. ऊनी या फिर कुशासन बिछाकर उसके ऊपर बैठ जाये.
यह अनुष्ठान साफ सुथरे स्थान या शान्त वातावरण में करें. यदि घर में संभव न हो तो
बाहर किसी एकान्त स्थान पर जाकर यह अनुष्ठान करें. यदि किसी एकान्त स्थान में
हनुमान जी का मन्दिर हो तो वहाँ जाकर यह प्रयोग करें. हनुमान जी की पूजा में
दीपदान खास महत्व रखता है. अनुष्ठान से पहले एक –एक मुट्ठी गेहूं, चावल, मुंग,
उड़द, और काले तिल लें और इन्हें गंगाजल में भिगो लें. जिस भी दिन अनुष्ठान करें उस
दिन इन अनाजों को पीस लें और इस पिसे हुए अनाज का दिया बना लें.
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बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग |
अपनी लम्बाई के
बराबर कलावे का एक धागा लें अथवा कच्चे सूत को काटकर इसे लाल रंग में रंग लें. इस
धागे को पांच बार मोड़कर बत्ती बना लें और इस बत्ती को तिल के तेल में डालकर दीया
जला लें. जब तक पूजा खत्म न हो दिया जलता रहना चाहिये. धूनी के लिए गूगल का प्रबंध
रखें. जप शुरू होने से पहले इस बात का संकल्प ले लें कि जब भी कार्य पूरा हो
जायेगा हम हनुमान जी की सेवा मैं नियम से कुछ न कुछ करते रहेंगे. इसके बाद हनुमान
जी छवि पर ध्यान लगा लें और बजरंग जाप का आरम्भ करें. “श्री राम –“ से लेकर “सिद्ध
करें हनुमान” का एक माला द्वारा जाप करें. जिस घर में भी गूगल की धूनी देकर बजरंग
बाण का नियम से पाठ किया जाता है वहाँ पर कोई भी दुःख या परेशानी या बीमारी नहीं आ
पाती. यदि रोजाना पाठ करना संभव न हो तो मंगलवार के दिन यह जाप जरूर करें.
Bajrang Baan ka Amogh Vilakshan Prayog |
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in anaajon ka diya kaise banaye?
ReplyDeleteShruti Ji,
DeleteJaisa ki upar bataya gya hain ki aap gehun, chaval, udad, kale til aur mung ko sukhakar pisva len. Iske bad aap inhen sadharan gehun ke aate ki tarah ghunth len or iski loi bnakar use diye ka aakar den. Aap is diye mein do battiyan lgaayen. Jiska ek mukh purv disha ki tarf ho tatha dusra mukh pashchim disha ki aur. Iss tarah aap is diye ka istemal kar skti hain.
Agar fir bhi aapko koi samsya ya doubt ho to aap hamen dubara comment jarur karen. Aapki turant sahahyta ki jayegi.
Sampark ke liye Dhanyvad
Jagran Today Team
Bajrang Baan Tulsidas ne nahi likha ye bad me Gorakhnath ka banaya hua ye kam jarur karega per isme Bajrangbali ki songandh de gai ha so bad me iska prinam bhi bhogna padega .
DeleteKya ise roj padha jaae or mitti k die jalaa k mandir me Hanumam ji k saamne padhaa jaae to haani ya samasyaa hoti he Kya
ReplyDeleteMein ye janna chahta hu ki ye dipak pure din jalna hai jab tak path samapt na ho ya ye har roj banana padega aur batti har roj nap k banani padegi ya fir yahi dipak jitne din anusthan hoga jalana h usi batti k sath akhand jyoti ki tarah 40 din.
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