ऑप्टिकल ड्राइव और उसके प्रकार
एक ऑप्टिकल ड्राइव आपके कंप्यूटर में आपको CD, DVD और Blu
– ray को चलाने की अनुमति देता
है, जिसकी मदद से आप कंप्यूटर में गाने सुन सको और विडियो देख सको. कई ऐसे ड्राइव
भी है जो आपको डिस्क में डाटा को डालने की भी सुविधा देते है, ताकि आप खुद अपनी
डिस्क बना सको. आपके कंप्यूटर के सॉफ्टवेर भी डिस्क के माध्यम से ही आते है तो
आपके कंप्यूटर में सॉफ्टवेर को इनस्टॉल करने के लिए ऑप्टिकल डिस्क ड्राईवर का होना
बहुत जरुरी है.
ऑप्टिकल ड्राइव काम कैसे करता है?
अगर आप ये जाना चाहते है कि ऑप्टिकल ड्राइव काम कैसे करता है तो उसके लिए आपको
पहले ये समझना होगा कि ऑप्टिकल डिस्क कैसे काम करती है?
एक ऑप्टिकल डिस्क में तीन परत होती है – सबसे नीचे एक बड़ी प्लास्टिक के डिस्क,
बीच में एक ऐसी परत जो लेज़र को रिफ्लेक्ट कर सके और ऊपर वो परत जो डिस्क के डाटा
को सुरक्षित रखती है. इस परत में डाटा को सूक्ष्मता पिट ( Microscopic Pit ) के जरिये डाला जाता है, और इसीलिए अगर आप
अपनी डिस्क को स्क्रैच कर देते हो तो आपकी डाटा रुक रुक कर काम करने लगती है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
ऑप्टिकल ड्राइव के प्रकार |
एक ऑप्टिकल ड्राइव डिस्क से डाटा पढने और लिखने के लिए लेज़र लाइट का इस्तेमाल
करता है. लेज़र से यहाँ Electromagnetic वेव से है, जिनकी लाइट में कुछ वेवलेंथ हो. हर डिस्क की अलग वेवलेंथ होती है,
और वेवलेंथ को नेनोमीटर में नापा जाता है. जैसेकि CD की वेवलेंथ 780 nm होती है, वहीँ DVD की वेवलेंथ 650 nm, ब्लू रे डिस्क की वेवलेंथ 450 nm होती है. वो ऑप्टिकल ड्राइव जिसे अलग अलग
डिस्क के साथ इस्तेमाल किया जा सके उसके पास बहुत सारी लेज़र होती है. इनमे एक लेंस
होता है जो लेज़र को उसकी दिशा के बारे में बताता है और एक फोटोडायोड होता है जो
डिस्क से लाइट की रिफ्लेक्सन ( Reflection ) को पकड़ सके.
ऑप्टिकल ड्राइव मे लगा ऑप्टिकल मैकेनिज्म जो CD और DVD को पढने के लिए बना है वो एक जैसे होते है और
इसीलिए दोनों में एक जैसे ही लेंस भी लगे होते है. लेकिन जो मैकेनिज्म ब्लू रे में
लगता है वो बाकियों से अलग होता है.
वो ऑप्टिकल ड्राइव जो सभी तरह की डिस्क के साथ काम करता है, उसमे दो अलग अलग लेंस
लगे होते है. एक वो जो सिर्फ CD और DVD के लिए काम करता है और दूसरा वो जो ब्लू रे के लिए काम करता है.
अगर लेंस की ही बात करे, तो एक ऑप्टिकल ड्राइव के पास डिस्क को घुमाने के लिए
एक रोटेशन मैकेनिज्म भी होता है. हर ऑप्टिकल ड्राइव को हर ऑप्टिकल ड्राइव को CLV ( Constant Linear
Velocity ) पर काम करता है, जिसका
तात्पर्य है कि डिस्क अलग अलग गति पर घुमती है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि
लेज़र बीम कहाँ डाटा को पढ़ रही है. जब लेज़र बाहरी रिम के पास डाटा को पढ़ रही हो तो
डिस्क एक मिनट में लगभग 200 बार घुमती है, लेकिन जब लेसर अंदरूनी रिम के पास डाटा
को पढ़ रही हो तो ये एक मिनट में लगभग 500 बार घुमती है.
Type of Optical Drive |
जब आप डिस्क में कुछ लिख रहे हो या कुछ टाइप कर रहे हो तो डिस्क का एक
निर्धारित गति में घूमना जरुरी नही है किन्तु जब आप डिस्क से म्यूजिक सुन रहे हो
या कोई फिल्म देख रहे हो तो डिस्क का एक गति पर घूमना बहुत आवश्यक होता है. आजकल
इस्तेमाल किये जाने वाले ऑप्टिकल ड्राइव की गति बहुत तेज होती है और इसीलिए उनके
काम करने की गति भी पहले के ऑप्टिकल ड्राइव से कहीं अधिक होती है. आधुनिक जगत के
ऑप्टिकल ड्राइव एक मिनट में 1000 से 2000 बार घूम सकते है. इसके अलावा ऑप्टिकल
ड्राइव को एक लोडिंग मैकेनिज्म की भी आवश्कता होती है. ये दो तरह की पायी जाती है.
1.
Tray Loading Mechanism – इसमें डिस्क को एक ऐसी ट्रे में रखा जाता है जो एक मोटर
से जुडी हो, जो कंप्यूटर के अंदर और बाहर आ सकती हो. कंप्यूटर में इस्तेमाल होने
वाला ये मैकेनिज्म लैपटॉप में इस्तेमाल होने वाले से काफी बड़ा होता है.
2.
Slot Loading Mechanism – इसमें डिस्क को एक स्लाइड की तरह एक स्लॉट में डाला जाता
है और एक रोलर जो की मोटर से जुड़ा हो वो इसे कंप्यूटर के अंदर जाने और बाहर आने
में मदद करते हो.
Optical Drive ke Prakar |
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