स्कैनर एक ऐसा यंत्र है जो
कंप्यूटर एडिटिंग के लिए फोटोग्राफ़िक प्रिंट, पोस्टर, मैगज़ीन और पेज इत्यादि से
इमेज लेता है. स्कैनर आपके कंप्यूटर को एक प्रिंटेड इमेज डॉक्यूमेंट लेने की
अनुमति देता है और उसे डिजिटल फाइल में बदलता है. एक स्कैनर को आप कंप्यूटर से USB, Firewire, Parallel और SCSI के जरिये जोड़ सकते हो. स्कैनर कई प्रकार के मिलते है और इनका इस्तेमाल ब्लैक और
वाइट या फिर रंगीन डाटा को स्कैन करने के लिए किया जाता है. स्कैनर ज्यादातर सॉफ्टवेर
के साथ आते है जैसेकि एडोब फोटोशोप (
Adobe’s Photoshop ) प्रोडक्ट. इस सॉफ्टवेर की
मदद से आप उस स्कैन होने वाली इमेज में कुछ बदलाव करना चाहो तो कर सकते हो. स्कैनर
आपके कंप्यूटर के साथ जुड़े होते है, कंप्यूटर में स्कैनर को जोड़ने के लिए SCSI ( Small Computer System Interface ) की मदद लेनी होती है. इसमें एक एप्लीकेशन होती है जैसेकि
फोटो शॉप जो इमेज को रीड करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
स्कैनर के प्रकार :
स्कैनर एक ऐसा यंत्र है
जिसका इस्तेमाल हर ऑफिस में किया जाता है. इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हर क्षेत्र
में कई तरीको से होता है और इसीलिए इसके अलग अलग प्रकार मिलते है, जो निम्नलिखित
है -
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स्कैनर और उसके प्रकार |
·
फ्लैटबेड ( Flatbed Scanner ) स्कैनर : फ्लैटबेड स्कैनर को डेस्कटॉप स्कैनर भी कहा जाता है. ये सबसे ज्यादा इस्तेमाल
किया जाने वाला स्कैनर है. इसके भी 3 प्रकार होते है.
Entry level flatbed Scanner
Mid level flatbed Scanner
High end flatbed Scanner
·
शीट फेड ( Sheet - Fed Scanner ) स्कैनर : ये स्कैनर भी फ्लैटबेड स्कैनर की तरह ही होते है लेकिन जब डॉक्यूमेंट चलने
लगती है तो इनका हेड गतिहीन हो जाता है. शीट फेड स्कैनर एक पोर्टेबल ( Portable ) प्रिंटर की तरह दिखाई देता है.
·
हैण्डहेल्ड ( Handheld ) स्कैनर : ये भी फ्लैटबेड स्कैनर की तरह ही काम करते है लेकिन इनमे डॉक्यूमेंट को आगे
बढ़ाने के लिए बेल्ट का इस्तेमाल नही होता बल्कि आपको खुद सहारा देना पड़ता है.
इसीलिए ये स्कैनर अच्छी गुणवत्ता वाली फोटो नही देते है. लेकिन ये तुरंत टेक्स्ट
को स्कैन करने में जरुर सहायक होते है.
·
ड्रम ( Drum ) स्कैनर : ड्रम स्कैनर का इस्तेमाल ज्यादातर प्रकाशन कंपनी करती है. ये इमेज की बहुत
छोटी छोटी डिटेल को भी अदभुत तरीके से स्कैन करते है. इसके लिए ये PMT ( Photomultiplier Tune ) तकनीक का इस्तेमाल करते है. इसमें सबसे पहले जिस
डॉक्यूमेंट को स्कैन करना है उसे ऊपर शीशे के सिलिंडर तक पहुँचाया जाता है. जहाँ
सिलिंडर के केन्द्र में एक सेंसर लगा होता है, ये सेंसर डॉक्यूमेंट से आ रही रोशनी
को तीन बीम में बाँट देता है. फिर हर बीम को एक रंगीन फ़िल्टर से गुजरते हुए photomultiplier tube तक पहुँचाया जाता है. यहाँ आने के बाद रोशनी एक
इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदल जाती है. इसके बाद आप स्कैनर से अपनी इमेज को बाहर
निकल सकते हो. स्कैनर का मूल काम होता है कि वो इमेज को पहचाने, उसे देखे और उसे
प्रोसेस करे.
Scanner or uske Prkar |
हॉस्पिटल में इस्तेमाल होने वाले स्कैनर
हॉस्पिटल में CT ( Computed
Tomography ) Scan के लिए स्कैनर का इस्तेमाल
किया जाता है. जोकि X-Ray मशीन की तरह काम करता है. CT
scan के लिए हॉस्पिटल में स्कैनर का दो तरह से
इस्तेमाल किया जाता है.
- Conventional CT Scan – इसमें स्कैनर स्लाइस
बाय स्लाइस काम करता है और हर स्लाइस के बाद स्कैन बंद हो जाती है और अगले स्लाइस
के लिए नीचे चली जाती है. इस तरह से स्कैनिंग के दौरान मरीज को कुछ समय के लिए
अपनी साँसों को रोकना पड़ता है ताकि स्कैन होते वक़्त स्लाइस अपनी मूवमेंट को छोड़ न
दे.
- Spiral / helical CT Scan – इसमें लगतार स्कैनिंग होती रहती है, जो एक तरह से स्पाइरल
/ कुंडली की तरह दिखती है. ये बहुत जल्दी काम करता है और स्कैन हुई इमेज की गुणवत्ता
भी अच्छी होती है.
स्कैनर के लाभ :
1.
फ्लैटबेड स्कैनर
बहुत ही सटीकता से काम करते है, साथ ही इमेज की एक अच्छी गुणवत्ता देते है.
2.
जिस भी डॉक्यूमेंट
को स्कैन किया जाता है, उसे आप इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट की तरह इस्तेमाल कर सकते
हो.
3.
एक बार स्कैन हुई
इमेज को आप ग्राफ़िक एप्लीकेशन की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हो.
4.
अगर डॉक्यूमेंट को
स्कैन करने के लिए एक अच्छे स्कैनर का इस्तेमाल किया जा रहा है तो आप अपनी
डॉक्यूमेंट के साइज़ को कम या ज्यादा करवा कर उसे स्कैन करवा सकते हो.
स्कैनर के नुकसान :
1.
जो भी इमेज या
डॉक्यूमेंट स्कैन होती है वो सेव होने के लिए बहुत सारी जगह लेती है.
2.
स्कैनिंग की
प्रिक्रिया में कई बार इमेज अपनी वास्तविक गुणवत्ता खो देती है.
3.
स्कैन की गयी किसी
भी डॉक्यूमेंट की गुणवत्ता, वास्तविक इमेज की गुणवत्ता पर आधारित होती है.
Scanner and Its Types |
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full about of flat bad scanner
ReplyDeleteScan karne par Agar Kisi Ki documents Mein Koi change karna ho to use kaise karen iski Mujhe Jankari chahie
ReplyDeleteAutomata theory in Hindi
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