अनानास के बारे में विशेष
जानकारी
अनानास बहुत ही स्वादिष्ट
फल है। इसका फलों में
विशेष स्थान है। अनानास यूरोप से लाया गया
फल है। पहले इसका उत्पादन भारत में नही
किया जाता था. सन १५५० से इसका उत्पादन यहाँ किया जाता है। अनानास बंगला में काफी अधिक मात्रा में होता है।
यूरोप में पहली बार दिखाई देने के बाद यह
संसार के कई भागो में जाना जाने लगा। 16 वीं सदी के अंत तक यह संसार के उष्ण
कटिबंधीय भागो में भी फैल गया। इसकी खेती क्वीन्सलैंड,
हवाई द्वीप व मलाया प्रमुख रूप से की जाती है।
अनानास स्वाद में खट्टा – मीठा व
सुगन्धित भी होता है। अनानास का उपरी भाग
काफी कठोर होता है। जिसे छिलने के लिए
चाकू की सहायता लेना अति आवश्यक है। अनानास के उपरी भाग पर कुछ काटें होते है
जिन्हें तोड़ देना चाहिए।
अनानास का रस कुछ स्वाद में खट्टा होता
है। आयुर्वेद में इसकी काफी चर्चा की गई है तथा इसके गुणों का बखान करते हुए इसे
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक व बलदायक बताया गया है।
इसे हिंदी में अनानास ,संस्कृत में –अनानास
, कौतुक , संज्ञक , मराठी में – अननस , गुजरती में – अनानास व अंग्रेजी में – पाइनएप्पल
खा जाता है। इसका लेटिन नाम – अनानास कोमोसस है। CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
![]() |
अनानास फल की उपयोगिता और महत्तव |
जनवरी - फरवरी में अनानास के पोधे
में फल लगना शुरु होता है। नवम्बर माह तक
यह बाजार में बिकने लगता है। अनानास की कई
किस्मे पाई जाती है। जिसमे इसकी तीन
किस्मे बहुत ही प्रसिद्ध है – स्मूथ केयने
क्वीन , तथा लाल स्पेनिश। अनानास
के फल की खास बात यह है की यह पेड़ पर नही
पकता इसे पकाने के लिए इसे पौधों से अलग रखा जाता है जो इसे और फलों से अलग पहचान
देता है। अनानास की एक और खासियत है की इसका वजन एक किलो से
लेकर पांच किलो तक हो सकता है।
अनानास के पौधे पर 30 – 40 कड़ी रसदार
पत्तियों का गुच्छा होता है इसकी पत्तियाँ लम्बी होती है तथा इसकी पत्तियों के
किनारे तलवार की तरह नुकीले तथा भद्दे होते है , जो 2 – से चार फुट की ऊचाई तक लगी
रहती है। अनानास का पेड़ 8-10 साल तक फल
देने लायक हो जाता है। अनानास की एक और
खास बात यह है की इसके पत्तों से एक मजबूत प्रकार का रेशा निकलता है जो बुनाई के
काम भी आता है तथा जल्दी गलता भी नहीं है ,इसकी पत्तियों से रेशे निकलने के बाद
इसकी बची हुई लुगदी को एक और महत्वपूर्ण काम के लिए प्रयोग किया जाता है ,इसकी लुगदी
से कागज बनाया जाता है अनानास का प्रयोग काफी बिमारियों से राहत
पाने के लिए भी किया जाता है| जैसे – उदर रोगों , वायु विकार , पीलिया , बुखार
,अम्लपित ,अजीर्ण ,डिप्थीरिया ,पेटदर्द , हृदयरोगों आदि में अनानास का सेवन करने
से बिमारियों से जिद ही निजात पाया जा सकता है. अनानास का फल स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है. अनानास
में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सभी आवयश्क पोषक तत्वों की मात्रा विद्यमान होती
है. अनानास में पानी की 86.5 प्रतिशत , प्रोटीन की 0. 6 प्रतिशत , वसा की 0. 1
प्रतिशत , कल्शियम की 0 . 12 प्रतिशत , फास्फोरस की 0.01 प्रतिशत , शकर्रा की 12.0
प्रतिशत , आयरन की 0.9 प्रतिशत तथा थायोमिन ,रिबोफ्लेविन , नाइसिन , विटामिन ए ,
सीव बी – 12 तथा साइट्रिक अम्ल और मौलिक आदि पोषक तत्व पाये आते है.
![]() |
Ananaas Fal ki Upyogiota or Mahattav |
अनानास के रस में पानी 86.2 प्रतिशत
होता है. प्रोटीन 0 .3 प्रतिशत होता है. कार्बोहाइड्रेट 13.0 प्रतिशत होता है|
कैलोरी 54 होता है , कैल्शियम 15मिग्राम होता है , फास्फोरस 8 मिग्राम . होता है ,थायोमिन 0.05
मिग्राम .होता है , रिबोफ्लेविन 0.02 मिग्राम .होता है, नाइसिन 0.02 मिग्राम.होता
है , विटामिन सि 9 मिग्राम .की मात्रा पाई जाती है.
अनानास का रस शरीर के लिए काफी लाभप्रद है . अनानास का पका
फल शरीर में स्थित हृदय की गति के लिए काफी हद तक हितकारी होता है. अनानास का रस
कफ , पित रस विकार आदि को नष्ट कर देता है. यह शरीर में काम करने की रूचि में काफी
हद तक रुचिकर सिद्ध होता है. यह गले की प्यास को बुझाकर गले को तरावटदार कर देता
है. यह दिल व दिमाग को ताकत देता है ,तथा शरीर को हृष्ट – पुष्ट बनने वाला है. यह
शरीर की पाचन क्रिया को संतुलित करता है. एवं शरीर की पाचन – शक्ति को भी बढ़ाने
में सहायक होता हाकी. यह शरीर को ताजगी प्रदान करता है तथा शरीर को ठंडा भी रखता
है. गले कई बीमारियों के लिए अनानास का रस काफी लाभदायक है. जैसे – टॉन्सिल्स ,
गले की सुजन व गले की खरास में इसे खाने से गले को आराम मिलता है. अनानास में
स्थित इसका अम्लीय – गुण शरीर को हानि पहुँचाने
वाले आवश्यक पर्दार्थो को शरीर से बाहर निकालने में बहुत ही लाभप्रद होता
है. अनानास का रस शरीर की शक्ति को बढ़ाने में भी लाभकारी होता है.
![]() |
Importance and Uses of Pineapple |
Ananaas Fal ki Upyogiota or Mahattav, अनानास फल की उपयोगिता और महत्तव, Importance and Uses of Pineapple, Taste Information of Pineapple, Variety of Pineapple, Time of Pineapple Fruits, अनानास के बारे में विशेष जानकारी.
YOU MAY ALSO LIKE
- स्कैनर और उसके प्रकार
- मूलांक क्या है वर्णन कीजिये
- मूलांक के अनुसार स्वभाव और रोग
- चक्कर आने के आयुर्वेदिक उपचार
- कीबोर्ड कैसे काम करता है
- माउस के लाभ और हानि
- रुका हुआ धन प्राप्त करे
- अनानास फल की उपयोगिता और महत्तव- चक्कर आने के आयुर्वेदिक उपचार
- कीबोर्ड कैसे काम करता है
- माउस के लाभ और हानि
- रुका हुआ धन प्राप्त करे
- हार्ड डिस्क क्या होती है
- प्रिंटर और उसके प्रकार
No comments:
Post a Comment