कुंडली में दुसरे
घर के प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र
के अनुसार कुंडली का दूसरा घर किसी भी जातक के जीवन में हर जगह बहुत अहम होता है
और दुसरे घर का प्रभाव जातक के परिवार के साथ संबंध, पैसे, आदि पर पड़ता है तो आइये
जानते है कुंडली के दुसरे घर के जीवन में प्रभाव –
कुंडली के दुसरे
घर का परिवार पर प्रभाव :
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर कुंडली के दूसरे
घर का उप नक्षत्र स्वामी मंगल है और वो छठे घर के स्वामी से संबंध रखता है तो जातक
के परिवार से झगडे के आसार बनते है.
- अगर कुंडली के दुसरे घर का उप नक्षत्र स्वामी
गुरु से संबंध रखता हो तो समझो कि ये जातक की परिवार से दुरी को दर्शा रहा है.
- साथ ही अगर दुसरे घर का उप नक्षत्र स्वामी आठवे
घर से सम्बंधित हो तो जातक को मानसिक अशांति होती है और वो हमेशा उलझन में रहता
है.
- किन्तु दुसरे घर के उप नक्षत्र के स्वामी का
बाहरवे घर से सम्बंधित होने पर जातक को अपने घर परिवार से जुदाई का सामना करना पड
सकता है, साथ ही जातक को आर्थिक हानि को भी झेलना पड़ता है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Kundli mein Dusre Ghar ke Prabhav |
कुंडली के दुसरे
घर का धन पर प्रभाव :
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी जातक का धन
लाभ उनकी कुंडली के दुसरे, छठे और ग्याहरवे घर से देखा जा सकता है. अगर जातक की
कुंडली में इन घरो से सम्बंधित ग्रह की दशा अंतर दशा में है तो जातक को धन का लाभ
जरुर होता है.
- साथ ही इन घरो से सम्बंधित ग्रह जातक के
व्यवसाय में और उसकी नौकरी में पदोन्नति को भी दर्शाते है.
- अगर जातक की कुंडली के सांतवे घर का उप नक्षत्र
स्वामी दुसरे, छठे, दशवे और ग्याहरवे घर से सम्बंधित है तो इसकी दशा और अंतर दशा
में जातक को उसके व्यापार में अपार सफलता की प्राप्ति होती है.
- अगर जातक स्वतंत्र होकर व्यापार करना चाहता है
तो जातक की कुंडली के दशवे घर में उप प्रभु दुसरे, सातवे, आठवे, नौवे, दशवे और
ग्यारहवे घर से सम्बंधित होना चाहिए.
- किन्तु अगर ये तीसरे या फिर नौवे घर से जुडा
होता है तो जातक किसी के साथ साझेदारी में व्यापार करता है.
कुंडली के दुसरे
घर का वाणी पर प्रभाव :
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर जातक की कुंडली
के दुसरे घर का उप नक्षत्र स्वामी सूर्य के है तो जातक की वाणी साहसी, आज्ञा का
पालन करने वाली और उच्च व्यक्तित्व को दर्शाती है.
- साथ ही अगर जातक का दुसरे घर का उप नक्षत्र
स्वामी, चंद्र के नक्षत्र में आ जाता है तो जातक की वाणी और भाषा दुसरो को शांत
करने वाली, मीठी और शात्विक होती है.
- किन्तु अगर किसी जातक के दुसरे घर का उप
नक्षत्र स्वामी, मंगल के घर में हो तो जातक की भाषा गन्दी, कठोर, बेसुरी होती है
साथ ही वो जातक झूठ बोलने वाला होता है.
- अगर जातक के दुसरे घर का उप नक्षत्र स्वामी,
बुध के नक्षत्र में होता है तो उस स्थिति में जातक की वाणी मन को मोहने वाली होती
है साथ ही इनकी वाणी में स्पष्टा और विचार का आभास भी होता है. ये जातक अपनी भाषा
से सभी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेते है.
- दुसरे घर के उप नक्षत्र स्वामी का ब्रहस्पति के
नक्षत्र में होने पर जातक की वाणी में कोमलता आती है और उसकी वाणी शांत प्रतीत
होती है. इन जातको की वाणी में सच्चाई होती है और ये जातक न्याय प्रिय होते है.
- लेकिन दुसरे घर के उप नक्षत्र स्वामी का शुक्र
के नक्षत्र में होना जातक की वाणी के सुन्दर भाषण को दर्शाता है. इन जातको को साहित्य
का शौक होता है, साथ ही ये संगीत को भी पसंद करते है. जब ये बातचीत करते है तो
इनकी भाषा में प्यार और स्नेह दिखता है किन्तु इनके भाषण में स्वार्थ भी साफ़ झलकता
है.
- किसी जातक की कुंडली के दुसरे घर के उप नक्षत्र
स्वामी का शनि के नक्षत्र में होना उस जातक के शब्दों में झूठ को दर्शाता है. ये
जातक किसी की भी सराहना नही करते और ये जातक बहुत धीरे धीरे बोलते है.
कुंडली में दुसरे घर के प्रभाव |
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