Pechish Rog Kaaran or Prakar | पेचिश रोग कारण और प्रकार | Causes and Types of Dysentery


पेचिश ( Dysentery )
पेचिश स्वास्थ्य और शरीर दोनों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचाने वाली बिमारी है. इससे सामने भाषा में प्रवाहिका भी कहा जाता है. क्योकि इसमें बार बार मल के लिए जाना पड़ता है इसलिए बहुत से लोग इसे दस्त / अतिसार भी मान लेते है. किन्तु ये अतिसार से बहुत अलग है क्योकि अतिसार में व्यक्ति को पतला दस्त आता है और एक बार में अधिक तरल मल आता है, वहीँ पेचिश में व्यक्ति के मल में चिकनापन / मलगम तक आ जाती है और मल निकालते वक़्त उसके खून आना, मरोड़े होना, कराहना और बार बार कम मल के लिए जाना पड़ता है. CLICK HERE TO KNOW पेचिश के घरेलू इलाज ... 
Pechish Rog Kaaran or Prakar
Pechish Rog Kaaran or Prakar
पेचिश को मुख्यतः बड़ी अंत की बिमारी माना जाता है जिसमे व्यक्ति को वायु रोग हो जाता है. अगर व्यक्ति का पाचन ठीक ना हो तो ये अथोर दस्त में भी बदल जाता है. जिससे स्थिति और भी अधिक बिगड़ जाती है. इसके मुख्यतः 2 प्रकार होते है जो निम्नलिखित है.

पेचिश के प्रकार ( Type of Dysentery ) :
1.       एमीबिक डिसेन्टरी ( Amoebic Dysentery ) : जब व्यक्ति मल विसर्जन के लिए जाता है तो उसे पेट में मरोड़े होने लड़ते है और उसे बहुत पतला और मलगम से भरा मल आता है.

2.       बैसीलरी डिसेन्टरी ( Bacillary  Dysentery ) : अगर इस रोग का तुरंत इलाज नही किया जाता तो ये रोग बहुत ही लम्बा, कठिन और असाध्य भी हो जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति को तेज बुखार आना संभव है. इसकी सबसे विचित्र बात ये है कि ये अचानक ही किसी को अपना शिकार बनाता है. इसमें मुख्यतः 3 वर्ग के कीटाणु आक्रमण करते है.

-    शिगा वर्ग
-    फ्लेक्स्नर वर्ग
पेचिश रोग कारण और प्रकार
पेचिश रोग कारण और प्रकार
ये तीनो ही मुख के मार्ग से ही प्रवेश करते है और आंतो में जाकर अपना घर बनाते है. पेचिश का रोग मुख्यतः वर्षा ऋतू में ही होता है.

पेचिश होने के कारण ( Causes of Dysentery ) :
§  प्रवाहिका / पेचिश का मुख्य कारण दूषित जल को पीना है. दूषित जल में कुछ ऐसे जीवाणु ( Amoeba ) पायें जाते है जो प्रवाहिका रोग को उत्पन्न करते है. ये अमीबा ही आँतों में जाकर रहने लगते है और पाचन तंत्र को खराब करते है.

§  जो व्यक्ति अधिक मिर्च मसाले, तेल, वसायुक्त भोजन का सेवन करता है उसे भी प्रवाहिका का रोग होना निश्चित होता है.

§  अजीर्ण के रोगी या कोष्ठबद्ध के रोगी भी पेचिश का शिकार होते है.

पेचिश के लक्षण ( Symptoms of Dysentery ) :
§  पेचिश का प्रारंभिक लक्षण यही है कि मल के दौरान रोगी को मरोड़े और दर्द होने लगता है.

§  उसे बार बार मल के लिए जाना पड़ता है किन्तु दस्त की तरह इसमें साफ़ मल नही आता बल्कि मल में मलगम भी आता है और कई बार तो रक्त आने की भी संभावना बनी रहती है.
Causes and Types of Dysentery
Causes and Types of Dysentery
§  पेचिश से शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो व्यक्ति का मुख सूखने लगता है और उसे पानी की बहुत ज्यादा प्यास लगती है.

§  रोगी की जीभ पर मेल की एक परत जम जाती है.

§  हमेशा शरीर में बुखार या हरारत सी महसूस होती रहती है और नाड़ियाँ तेज और मंदी होती रहती है.

§  क्योकि इसके कीटाणु पहले पाचन तंत्र पर हमला करते है तो इससे रोगी का पाचन तंत्र खराब हो जाता है और वो कुछ भी अच्छी तरह से नही पचा पाता जिसकी वजह से उसकी आँतों में अधिक से अधिक मल इक्कठा हो जाता है और इस रोग को फैलने में सहायक होता है.

पेचिश के अन्य कारण और लक्षण के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो. 
Pechish Rog ki Jaankaari
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