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Yantr Ka Mahatv or Upyogita | यंत्र का महत्व और उपयोगिता | Importance and Usage of Yantra

यंत्र का महत्व
यंत्र को तंत्र का शरीर माना जाता हैं तथा मन्त्रों को तंत्र की आत्मा माना जाता हैं. यंत्र, तंत्र और मन्त्र इन तीनों का एक साथ प्रयोग करने से बड़ी – बड़ी समस्याओं से आसानी से निपटा जा सकता हैं. इन तीनों में एक ऐसी अदभुत शक्ति निहित होती हैं. जिनसे मनुष्य जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

यंत्र की विभिन्न परिभाषाएं
1.       यंत्र का शाब्दिक अर्थ - यंत्र शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैं. “यम” तथा “त्र”.


·         यम – यह संस्कृत का शब्द हैं. जिसका अर्थ होता हैं नियंत्रित करना या वश में करना.

·         त्र – यंत्र में “त्र” शब्द की उत्पत्ति त्रयोति शाद से हुई हैं जिसका अर्थ मुक्ति तथा आजादी पाना होता हैं. CLICK HERE TO READ MORE POST ...  

यंत्र का महत्व और उपयोगिता
यंत्र का महत्व और उपयोगिता 

2.       एक ऐसा पात्र या साधन जिसमें तंत्र और मन्त्र समाहित हो जाते हैं तथा जिससे इंसान की परेशानियाँ, कष्ट दूर हो जाते हैं. वह पात्र “यंत्र” कहलाता हैं.

3.       जिस यंत्र या पात्र को मनुष्य अपने घर में स्थापित कर सके तथा उसका प्रयोग पूजा – अर्चना करने के लिए कर सके उसे यंत्र कहते हैं.

यंत्र का निर्माण
यंत्र का निर्माण एक कागज, भोजपत्र तथा तांबे की धातु पर रेखाओं से, बिन्दुओं से, वक्र रेखाओं से, वर्गों से, वृतों आदि से किया जाता हैं. साधक द्वारा यंत्र का निर्माण शुभ नक्षत्र तथा शुभ समय में किया जाता हैं.

सर्वश्रेष्ठ यंत्र
हवनकुंड को भी यंत्रों की कोटि में ही शामिल किया जाता हैं तथा इसे विभिन्न प्रकार के यंत्रों में से सबसे श्रेष्ठ यंत्र माना जाता हैं. CLICK HERE TO READ MORE POST ...
Yantr Ka Mahatv or Upyogita
Yantr Ka Mahatv or Upyogita


विभिन्न आकृतियों से बने यंत्र
यंत्रों की रचना विभिन्न आकृतियों में की जाती हैं. जैसे – श्री यंत्र, काली यंत्र, महा मृत्युंजय यंत्र, सन्तान प्राप्ति के लिए गोपाल संतान यंत्र, धन प्राप्ति के लिए कुबेर यंत्र, धन लक्ष्मी यंत्र, नव दुर्गा यंत्र, काल सर्प दोष यंत्र, नव ग्रह यंत्र इत्यादि. आसन, तलिस्मान तथा ताबीज को भी यंत्र की कोटि में हो रखा जाता हैं.

यंत्र की उपयोगिता
1.       यंत्र एक प्रकार का सुरक्षा कवच होता हैं. जिससे मनुष्य की रक्षा होती हैं.

2.       यंत्र में देवी – देवतों का निवास माना जाता हैं.

3.       यंत्रों में दिव्य अलौकिक शक्तियाँ विद्यमान होती हैं. इन्हें घर में, कार्यस्थल में, देवालय में, शिक्षा के स्थान पर रख सकते हैं तथा इन सभी स्थानों पर यंत्रों को स्थापित करने से शुभ फल की प्रप्ति होती हैं.

4.       श्री यंत्र को घर में स्थापित करने से धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं तथा घर के सभी सदस्यों को जीवन में सफलता प्राप्त होती हैं.

5.       यंत्र शत्रु के द्वारा रचाए गए षड्यंत्र को निष्क्रिय कर देते हैं, इससे धन प्राप्ति होती हैं, तथा यह मृत्युंजय जैसे कार्यों की सिद्धि हेतु रामबाण का प्रतीक माना जाता हैं.

6.       किसी भी प्रकार की साधना की सिद्धि के लिए यंत्र को बहुत ही उपयोगी होता हैं. यह किसी भी तरह की साधना की सिद्धि की एक बहुत ही सरल विधि भी हैं.

7.       यंत्रों को देवी देवताओं का प्रतीक माना जाता हैं तथा इसकी पूजा भी देवी – देवता के स्वरूप के तौर पर ही की जाती हैं.

यंत्र के महत्व के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
 Importance and Usage of Yantra
 Importance and Usage of Yantra



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2 comments:

  1. sursundari yakshini sadhna ke bare me complete magdarshan chahiye..
    please......

    ReplyDelete
    Replies
    1. Kartik Paneliya Ji,

      Aap neeche diye link se Sursundari Yakshini Saadhna ke bare mein sampurn jaankari parpt kar skte ho. Agar fir bhi aapko koi doubt rahe to aap dobara comment avashya karen.

      http://www.jagrantoday.com/2016/03/chamatkari-sursundari-yakshini-sadhana.html

      Sampark ke Liye Dhanyavaad
      Jagran Today Team

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