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Jyotishshastra mein Rinn ki Pribhasha | ज्योतिषशास्त्र में ऋण की परिभाषा | Definition if Debt in Astrology

ऋण क्या है (What Is Interest)
यदि आप किसी भले मानस को रोककर उससे ये सवाल करें कि ऋण क्या होता है तो उसका जवाब आज के युग में शायद बस इतना होगा कि ऋण उस रकम को कहते हैं जो हम ली गयी उधार राशि को चुकाते वक्त ब्याज के रूप में देते है. पर, असल में एक व्यक्ति पर कई और तरह के भी ऋण होते हैं जैसे उदाहरण के तौर पर पितृ ऋण, देव ऋण, ऋषि ऋण इत्यादि. ये ऋण वो ऋण है जो हम पर रिश्तों से उधार चढ़ता है व इसका भुगतान भी हम इसी जन्म में करते हैं. आइये जानते हैं इन ऋण के बारे में विस्तार से. CLICK HERE TO KNOW कर्ज से मुक्ति पाने के उपयोगी उपाय ...
Jyotishshastra mein Rinn ki Pribhasha
Jyotishshastra mein Rinn ki Pribhasha
ऋण के प्रकार (Types Of Interest) :
हर व्यक्ति पर चार प्रकार का ऋण उधार होता है जो इस प्रकार से है –

§ पितृ ऋण (Interest Of Your Forefathers) :
पितृ ऋण से तात्पर्य है वो ऋण जो हमपर अपने पूर्वजों का उधार है. हमारे जिन पूर्वजों की आत्मा मृत्यु उपरांत भी किसी कारणवश मृत्य लोक में ही पर घुमती रहती हैं तो वो हमारे पितृ बन जाते हैं. कहा तो ये भी जाता है कि हमारा जो भी पूर्वज अल्प आयु में ही मृत्यु को प्राप्त हो गया हो, वो हमारा पितृ बन जाता है. इसे हम ऐसे समझ सकते हैं, आपके पिताजी ने आपको जन्म दिया, यानि आप उनके कर्जदार हो गए. अब जब आप किसी बच्चे के पिता बन जायेंगे तो आपसे पितृ ऋण हट जाएगा. पितृ दोष से मुक्त होने के लिए गया तीर्थ में जाकर जलदान, तर्पण, श्राद्ध अथवा पिंडदान करना सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. CLICK HERE TO KNOW उधार से मुक्ति के उपाय ...
ज्योतिषशास्त्र में ऋण की परिभाषा
ज्योतिषशास्त्र में ऋण की परिभाषा
§ देव ऋण (Interest Of Your Deity) :
देव ऋण वो ऋण है जो देवों ने हवा, पानी, भोजन इत्यादि की उत्पत्ति करके हमें उधार दिया है. देव ऋण से मुक्ति के लिए हम यज्ञ, पूजा, हवन, धार्मिक अनुष्ठान इत्यादि करवाते हैं. इस ऋण से मुक्ति के लिए हमें जरुरतमंदों को दान करने की आवश्यकता होती है.

§ ऋषि ऋण (Interest Of The Saints) :
ऋषि ऋण वो ऋण है जो ऋषि मुनियों का हम पर उधार है. ऋषि व मुनियों के द्वारा अनुवाद किये गए ग्रंथों से हमें ज्ञान की प्राप्ति हुयी और इसीलिए ये ऋण हम पर उधार है. इस ऋण से मुक्ति के लिए हम ऋषियों को तर्पण प्रदान करते हैं.

§ ब्रह्मा ऋण (Interest Of The Creator) :
ब्रम्हा ऋण वो ऋण है जो हम पर ब्रम्हा का उधार है. हमें ब्रम्हा जी ने जब बनाया तो छुआछूत, जाति इत्यादि में विभाजित करके नहीं बनाया था पर पृथ्वी पर आने के बाद हमने खुद को अपने ही भाइयों से विभाजित कर लिया. ब्रह्मा ऋण से मुक्ति पाने के लिए हमें घृणा, छुआ छूत इत्यादि पर काबू पाने की कोशिश करनी चाहिए.
Definition if Debt in Astrology
Definition if Debt in Astrology
कैसे बचा सकते हैं खुद को ऋणी होने से? (How Can You Save Yourself from Debt of someone) :
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि आप किसी से उधार ले तो रहे हैं पर बाद में उसे चुकाने से कतरा रहे हैं तो उसका आप पर ऋण बकाया होता है. ये ऋण नकद रुपयों, खाने की किसी वास्तु, ओढने पहनने के कपडे, जेवर इत्यादि किसी भी चीज का हो सकता है. कई बार किसी दुकानदार से सामान खरीदते समय दस या बीस रूपये कम पड़ने पर लोग दुकानदार को ये कहकर घर निकल जाते हैं कि वो आते-जाते उन पैसों का भुगतान जरुर कर देंगे, पर उन्हें घर आने के बाद वो पैसे लौटाना तक याद नहीं रहता. ऐसा करने से आप पर सामने वाले का ऋण चढ़ जाता है.
पितृ ऋषि देव ब्रह्मा कर्ज ऋण
पितृ ऋषि देव ब्रह्मा कर्ज ऋण
आपको भटके मार्ग से सही मार्ग पर लाने वाले का ऋण भी आप पर चढ़ जाता है. किसी के यहाँ भोजन करने जाने से भी आप उसके ऋणी हो जाते हैं. किसी ज्योतिषी से अपनी हस्तरेखा दिखवाने व बदले में कुछ ना देने से भी आप पर ऋण चढ़ जाता है. किसी को उसकी मेहनत का मेहनताना ना देने से भी आप पर ऋण चढ़ जाता है. इस जन्म में ये ऋण ले लेने से आपको ये ऋण किसी ना किसी जन्म में तो चुकाना ही पड़ता है और इसीलिए हमें खुद को व दूसरों को धोखा देने से बचना चाहिए. साथ ही यदि आप किसी के घर भोजन करने जाते भी हैं तो उसे उस भोजन के मूल्य के बराबर कीमत का कोई उपहार देकर आयें. ऐसा करने से आप पर उसका ऋण नहीं चढ़ेगा.


ज्योतिष शास्त्र में ऋण की परिभाषा समझने और उससे मुक्ति के अन्य तरीकों को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट कर जानकारी हासिल कर सकते हो.
ऋण क्या है
ऋण क्या है

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