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Vrat ke Prakar or Uski Pribhasha | व्रत के प्रकार और उसकी परिभाषा | Type of Fast and Its Definition

आप उपवास करना चाहते हैं (Do You Wish To Do Fasting)
उपवास या व्रत ऐसा काल होता है जब एक व्यक्ति भोजन ग्रहण नहीं करता. ऐसा कोई भी व्यक्ति दो कारणों से करता है. पहला कारण भगवान् से जुडा है. जब हम किसी भगवान को प्रसन्न करने के लिए भूखे-प्यासे रहते हैं तो उसको व्रत की संज्ञा दी जाती है. व्रत करने का दूसरा कारण शरीर से जुडा हुआ होता है. जब हम शरीर को पतला बनाने के लिए खाना त्याग देते हैं तो उसे भी उपवास की संज्ञा दी जाती है. जब हम धर्म की बात करते हैं तो हम प्रभु से जुड़े उपवास की बात करते हैं और इस उपवास से कई धर्मों की कहानियां व इतिहास भी जुडे हैं. ऐसा ही कुछ है जैन धर्म के साथ. CLICK HERE TO KNOW उपवास अर्थ लाभ व नियाम ...
Vrat ke Prakar or Uski Pribhasha
Vrat ke Prakar or Uski Pribhasha
जैन धर्म के अनुसार उपवास की परिभाषा (Know The Definition Of Fast According To Jainism) :
जैन धर्म के अनुसार हर रोज एक विशेष रस का त्याग करने का उपक्रम करके आप उपवास रख सकते हैं. जिस भी रोज आपको उपवास रखना हो उस रोज उससे जुड़े रस का त्याग करके आप उपवास रख सकते हो. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार किये गए उपवासों में भी यदि इस बात का अनुसरण किया जाए तो लाभदायक होगा. CLICK HERE TO KNOW निर्जला एकादशी व्रत और कथा ...
 व्रत के प्रकार और उसकी परिभाषा
 व्रत के प्रकार और उसकी परिभाषा
·     रविवार को करें नमक का त्याग

·     सोमवार को करें शक्कर का त्याग

·     मंगलवार को करें शुद्ध घी का त्याग

·     बुद्धवार को करें हरी सब्जी का त्याग

·     गुरुवार को करें गाय के दूध व केले का त्याग

·     शुक्रवार को करें खट्टे पदार्थों का त्याग

·     शनिवार को करें तेल का त्याग
Type of Fast and Its Definition
Type of Fast and Its Definition
जैन धर्म के अनुसार तपस्या से जुडी कुछ बातें (Some Facts Related With Penance) :
खाने को जैन धर्म में जीवन के लिए जरुरी माना गया है. जैन धर्म के अनुसार आपके द्वारा किये गए भोजन का पूरा प्रभाव हमारे शरीर व दिमाग पर पड़ता है. जो भोजन हम ग्रहण करते हैं वो हमारे दिमाग की स्तिथि को भी निर्धारित करता है. इसी वजह से जैन धर्म में भोजन का पूर्ण रूप से त्याग ना करके महज उसके किसी एक रस का प्रत्येक दिन त्याग किया जाता है. जैन धर्म में पूर्ण रूप से भोजन त्याग देने को तपस्या कहते हैं. जैन धर्म में 12 तरह की तपस्याओं का वर्णन किया गया है जिनमे से आधी तपस्याओं को बाह्य तपस्या का दर्जा दिया गया है व आधी तपस्याओं को आतंरिक तपस्याओं का दर्जा दिया गया है.


उपवास क्या है, उपवास क्यों रखें और उपवास में त्याग के महत्व के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट कर जानकारी हासिल कर सकते हो. 
आप उपवास करना चाहते है
आप उपवास करना चाहते है
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