तंत्र
मंत्र ज्ञान और विशेषतायें ( Importance of Spells And Cracy )
तंत्र
एवं मन्त्र की पद्धतियों में साधना करने की विधि, पूजा
करने की विधि तथा न्यास सब कुछ एक समान होता हैं. लेकिन फिर भी तंत्र एवं मन्त्र
में कुछ मुलभूत अंतर होते हैं. जिनका विवरण निम्नलिखित हैं -
1. तंत्र शब्द को सुनकर आमतौर
पर सभी का ध्यान तांत्रिकों पर या तांत्रिक
विद्या पर जाता हैं. सामान्यतौर पर तंत्र का अर्थ मनुष्य जीवन को सभी दृष्टियों से
पूर्णता प्रदान करना हैं. लेकिन कुछ तांत्रिकों ने या पथभ्रष्ट लोगों ने इसे एक
नकारात्मक रूप दे दिया हैं.
मन्त्रों
का उपयोग तंत्र एवं आध्यात्मिक कार्यों की सिद्धि हेतु किया जाता हैं तथा इसका
सामान्य अर्थ देवताओं की अराधना करना, हाथ
जोड़ना, निवेदन करना, भोग लगाना, धूप अगरबत्ती के द्वारा आरती कर भगवान को प्रसन्न करना हैं.
2. तंत्र का प्रयोग तांत्रिक
देवी देवताओं को वश में करने के लिए करते हैं. CLICK
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मन्त्र
का प्रयोग मनुष्य देवताओं को प्रसन्न करने के लिए करते हैं. मन्त्रों का प्रयोग
ऋषि मुनि तपस्या करने के लिए भी करते हैं.
3. तंत्र विद्या में प्रयोग
किये गये मन्त्र अधिक तीक्ष्ण होते हैं.
अध्यात्मिक
कार्यों के लिए प्रयोग किये गये मन्त्रों में तीक्ष्णता बिल्कुल नहीं होती.
4. तंत्र का इस्तेमाल विपरीत
परिस्थितियों में अधिक किया जाता हैं तथा इसे विपरीत परिस्थितियों से मुक्त होने
की अचूक एवं अनिवार्य विधा माना जाता हैं.
मन्त्रों
का प्रयोग सामान्य एवं विपरीत दोनों परिस्थितियों में किया जाता हैं. मन्त्रों का
प्रयोग देवी - देवताओं की स्तुति या प्रार्थना करने के लिए भी किया जाता हैं.
5. तंत्र का प्रयोग करने से
मनुष्य में एक साहस, हौसला, बढ़ता हैं. जिसके सहारे वह देवी – देवताओं
की आँखों में आँखें मिलाकर यह कहने की क्षमता रखता हैं कि मैं तंत्र साधना कर रहा
हूँ और तंत्र के द्वारा ही मैंने आपको आबद्ध कर दिया हैं और तुम्हें मेरी इच्छाएं
पूर्ण करनी ही होगी. तुम्हें मेरा घर धन, सुख – सौभाग्य
से परिपूर्ण करना ही होगा. CLICK
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मन्त्रों
का प्रयोग मनुष्य देवी – देवताओं को आबद्ध करने के लिए नहीं करते. जिस प्रकार से तंत्र साधना
में किया जाता हैं.
6. तंत्र साधना को करने के बाद
देवी – देवता बाध्य हो जाते हैं तथा उन्हें साधक को वरदान देना ही पड़ता हैं.
मन्त्र
साधना में केवल मनुष्य देवी - देवताओं से प्रार्थना कर सकता हैं. मन्त्रों के
द्वारा साधना करने पर मनुष्य को फल की प्राप्ति हो भी सकती और नहीं भी. मन्त्र
साधना में साधक अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान को बाध्य नहीं करते. मन्त्रों
की सहायता से मनुष्य देवी – देवताओं को अपने अनुकूल करने का केवल प्रयास करते हैं.
7. तंत्र का प्रयोग तांत्रिक
के द्वारा, बुरी शक्तियों को बुलाने के लिए, किसी
व्यक्ति को अपने वश में करने के लिए, अनिष्ट
कार्य की सिद्धि के लिए करते हैं.
इसके
विपरीत अध्यात्म क्षेत्र में मन्त्रों का प्रयोग अधिकतर सकारात्मक कार्यों के लिए
ही किया जाता हैं. मन्त्रों का प्रयोग नजर बाधा दूर करने के लिए, मनुष्यों
की समस्याओं को दूर करने के लिए, बुरी शक्तियों के
दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए किया जाता हैं.
तंत्र और
मन्त्र के अन्य अंतरों को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर
सकते है.
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