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Naitratyamukhi Bhavan Nirmaan ke Vaastu Niyam | नैत्रत्यमुखी भवन निर्माण के वास्तु नियम | Architectural Rules for South West Faced House Home

नैत्रत्य मुखी भवन ( South West Faced Home Flat Building )
नैत्रत्य कोण से मतलब दक्षिण पश्चिमी दिशा से होता है. वास्तुशास्त्र में माना जाता है कि पृथ्वी तत्व इस दिशा का प्रतिनिधि है. इसलिए इस दिशा को किसी भी निर्माण के लिए बहुत शुभ माना जाता है. इस दिशा में हमेशा सकारात्मकता बनी रहती है. किन्तु जब बात भवन निर्माण की आती है तो उसके लिए कुछ वास्तु सिद्धांतों को स्मरण अवश्य रखना पड़ता है क्योकि एक भवन में घर के हर कोने का सही जगह पर बनना अति आवश्यक होता है अगर की भी हिस्सा गलत दिशा में बन जाता है तो इससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है जिसका सीधा प्रभाव घर के बाकी हिस्सों और घर में रहने वाले सदस्यों पर पड़ता है. आज हम नैत्रत्य मुखी भवन से जुड़े ऐसे ही कुछ वास्तु सिद्धांतों के बारे में बात करेंगे. CLICK HERE TO KNOW कैसा हो वास्तु सम्मत दक्षिण मुखी भवन ...
Naitratyamukhi Bhavan Nirmaan ke Vaastu Niyam
Naitratyamukhi Bhavan Nirmaan ke Vaastu Niyam
जैसाकि ऊपर बताया गया है कि ये दक्षिण पश्चिम दिशा को ही नैत्रत्य कहा जाता है. जब बात इस दिशा के स्वामी की जाए तो बता दें कि राहू इस दिशा का स्वामी है. राहू के छाया ग्रह होने के कारण कुछ लोगों का माना है कि ये दिशा दुर्भाग्यपूर्ण है और नर्क के दरवाजों को खोलती है. साथ ही राहू का रंग काला और स्वभाव क्रूर होने के कारण इस दिशा को अंधकार का प्रतिक भी माना जाता है किन्तु सही वास्तु से निर्मित नैत्रत्यमुखी घर में ऐसी कोई समस्या उत्पन्न नहीं होती. तो आओ जानते है कि नैत्रत्य मुखी घर को बनाते वक़्त किन नियमों को स्मरण रखना चाहियें.

·     वास्तु दोष का प्रभाव ( Effect of Architectural Problems ) : अगर नैत्रत्य मुखी घर में कोई वास्तु दोष रह जाता है तो इससे घर में अकाल मृत्यु, घर के सदस्यों की मानसिक स्थिति में परिवर्तन, ओपरा पराया, बहुत बाधा इत्यादि उत्पन्न होने लगती है, साथ ही इनका मुख्य शिकार घर का मुखिया और उनका बड़ा पुत्र होता है. CLICK HERE TO KNOW ऐसा होना चाहियें पश्चिम दिशा का वास्तु ... 
नैत्रत्यमुखी भवन निर्माण के वास्तु नियम
नैत्रत्यमुखी भवन निर्माण के वास्तु नियम
·     निर्माण ( Construction ) : जब घर की नींव रखी जा रही हो तो आप नींव में सोने, चांदी या ताम्बे से निर्मित साँपों का जोड़ा रखवा दें. इससे राहू और निरित्ती दोनों को शान्ति मिलती है और वे आपके घर पर भी अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखते है.

·     मुख्य द्वार ( Main / Front Gate ) : ये दिशा दो कोनों अर्थात दक्षिण और पश्चिम के मेल से बनी होती है किन्तु आश्चर्य कि बात ये है कि वास्तुशास्त्र के अनुसार आप इन दोनों में से किसी में भी घर का मुख्य द्वार नहीं बना सकते बल्कि आप द्वार के लिए वायव्य कोण को चुन सकते हो. साथ ही आप चाहे तो ईशान कोण में भी द्वार का निर्माण करा सकते हो.

·     धन की दिशा ( The Direction of Money ) : नैत्रत्य का एक अर्थ स्थिर लक्ष्मी या धन भी होता है. इसलिए इस घर में तिजोरी, अलमारी या फिर घर के मुखिया का कमरा भी नैत्रत्य कोण में ही होना चाहियें. 

·     चारदीवारी ( Walls Around the House ) : घर की चारदीवारी बनाते वक़्त भी आप इस बात को स्मरण रखें कि घर चारदीवारी से बिलकुल सटा हुआ हो. साथ ही आप इस घर में कोई खाली स्थान छुडवाने से भी बचें.
Architectural Rules for South West Faced House Home
Architectural Rules for South West Faced House Home
·     दिशाओं की ऊँचाई ( Height of Directions ) : नैत्रत्यमुखी घर में दो दिशायें प्रधान होती है पहली तो नैत्रत्य और दूसरी ईशान. ख़ास बात ये है कि ये एक दुसरे के बिलकुल विपरीत है. इन दिशाओं के निर्माण के लिए आप ध्यान रखें कि नैत्रत्य दिशा की ऊँचाई ईशान दिशा की ऊँचाई से थोड़ी अधिक अवश्य हो.

·     वास्तु दोष मुक्ति मंत्र ( Mantra to Remove Vaastu Dosh ) : अगर घर के मुखिया की कुंडली में की वास्तु दोष है या राहू अशुभ घर में बैठा है तो आप कितनी भी कोशिश कर लें घर का नाश निश्चित है किन्तु अगर आप 'ओम रां राहवे नमः' मंत्र का जाप करते हो तो राहू शुभ घर में आ जाता है और घर से संकट तल जाता है.

·     वास्तु दोष निवारण उपाय ( Some Tips to Remove Architectural Problems ) : घर से वास्तु दोषों को दूर करने के लिए आपको नीचे लिखे कुछ उपायों को जरुर अपनाना चाहियें.
नैत्रत्य मुखी भवन
नैत्रत्य मुखी भवन
-   आप घर की चारदीवारी कराते वक़्त इस दिशा को सबसे ऊँचा और भारी बनवायें.

-   वास्तुदोष से मुक्ति के लिए शुक्ल पक्ष में किसी शनिवार का इंतजार करें और ताम्बे की धातु से बने राहू यन्त्र को घर मे शाम के समय स्थापित कर दें.

-   घर के सामने बने गढ़ढ़ों को जल्द से जल्द भर दें.

-   आप घर के सामने पेड़ पौधे भी अवश्य लगवायें.

-   अनुपयोगी सामान को रखने के लिए भी आप नैत्रत्य कोण का ही चुनाव करें.

नैत्रत्यमुखी अर्थात दक्षिण पश्चिमी मुखी भवन के निर्माण के लिए दिए उपायों के अनुसार ही आप अपने घर का निर्माण आरंभ कराएं ताकि आपके घर में हमेशा सुख, शान्ति, समृद्धि और खुशियाँ बनी रहे.


नैत्रत्यमुखी घर या किसी अन्य घर, बिल्डिंग, फ्लैट आदि के निर्माण संबंधी वास्तु नियमों और दोष निवारण उपायों को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
Construct Your Home by Using Vaastu Tips
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