दक्षिण मुखी भवन का
वास्तु (
Architectural Tips for South Faced Home )
दक्षिण मुखी घर का
मुख्य द्वार दक्षिण दिशा की तरफ होता है, इस दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है
साथ ही ये भी कहा जाता है कि इस दिशा में पृथ्वी तत्व प्रधान है. दक्षिण मुखी घर
लेने से हर व्यक्ति घबराता है इसका कारण है कुछ अफवाहें, दरअसल पुराने समय से ही
ये माना जाता है कि जिस घर का मुख दक्षिण दिशा की तरफ होता है उस घर के सदस्यों पर
हमेशा संकटों के बादल मंडराते रहते है, परिवार में धन, सुख शान्ति समृद्धि का अभाव
रहता है, गृह क्लेश बदलता है, संतान सुख में रुकावट आती है इत्यादि. किन्तु ये सब
सिर्फ तभी होता है जब आपने दक्षिणमुखी घर को सही वास्तु अनुसार ना बनाया हो. अगर
घर को बनाते वक़्त वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को ध्यान में रखा गया है तो घर में
रहने वाले लोगों को धन, मान और समाजिक लाभ मिलता है. आज हम आपको ऐसे कुछ उपाय
बताने जा रहे है जिन्हें अपनाकर आप अपने दक्षिणमुखी घर का निर्माण कर सकते हो. CLICK HERE TO KNOW ऐसा होना चाहियें पश्चिम दिशा का वास्तु ...
Kaisa Ho Vaastu Sammat Dakshin Mukhi Bhavan |
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मुख्य
द्वार ( Main Gate
) : दक्षिण मुखी घर का निर्माण करवाते वक़्त आप ध्यान
रखें कि घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा की तरफ ही हो. साथ ही आप ध्यान रखें कि
मुख्य द्वार नैत्रत्य कोण में कदापि ना हो क्योकि ये दिशा दक्षिणमुखी घर के लिए
बहुत अशुभ होती है. अगर आपको लगता है कि आपको नैत्रत्य कोण में ही द्वार बनाना
पड़ेगा तो आप निर्माण को शुरू ही ना करायें और किसी तरह उस भूखंड को बेच दें.
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निर्माण
( Construction ) : मकान के निर्माण के समय आप मकान को चारदीवारी अवश्य कराएं और इस बात
को सुनिश्चित कर लें कि चारदीवारी भवन की दीवारों से बिलकुल सटी हुई हो. घर का
निर्माण दक्षिण दिशा से ही शुरू और खत्म होना चाहियें.
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खुला
स्थान ( Empty
Places ) : अगर आप बैठने उठने या बगीचे के लिए कोई स्थान
छुड़वाना चाहते हो तो आप उसके लिए उत्तर या फिर पूर्व दिशा का चुनाव करें. CLICK HERE TO KNOW उत्तरमुखी भवन का वास्तु विज्ञान ...
कैसा हो वास्तु सम्मत दक्षिण मुखी भवन |
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कमरों
का निर्माण और उंचाई ( Construction of Rooms and their Height ) : घर में कमरों, कमरों, रसोईघर, बाथरूम की दिशा और उंचाई भी काफी महत्व
रखती है इसलिए कमरों का निर्माण आप उत्तर, पूर्व और दक्षिण दिशा में ही कराएं, साथ
ही आप ध्यान रखें कि दक्षिण में बने कमरों की उंचाई पूर्व और उत्तर में बने कमरों
से अधिक होनी चाहिएं. इस तरह से निर्मित घर में सभी का स्वास्थ्य उचित रहता है और
संतान भी अपनी शिक्षा और जीवन में हमेशा सफलताओं को प्राप्त करता है.
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मंदिर ( Prayer Room ) : दक्षिण मुखी घर में मंदिर के लिए ईशान कोण को सर्वश्रेष्ठ माना जाता
है साथ ही आप ध्यान रखें कि ईशान कोण हमेशा साफ़ सुथरा और खाली होना चाहियें.
क्योकि इस कोने मिएँ आप मंदिर की स्थापना करते हो तो आप इस कोण के आसपास बाथरूम को
भी न बनवाये.
Vaastushastra Ways to Construct South Faced Home House |
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पानी की
व्यवस्था ( Management
for Water ) : अगर आप घर में समर्सिवल लगवा रहें है या सप्लाई
के पानी के लिए व्यवस्था करा रहे है तो उसके लिए भी आपको ईशान या पूर्व दिशा को ही
चुनना चाहियें. साथ ही पानी की टंकी को हमेशा पूर्व में ही रखे. अगर आप नैत्रत्य,
पश्चिम या फिर दक्षिण दिशा को चुनते हो तो इससे आपके घर में रोग उत्पन्न होते है,
जिनसे अकाल मृत्यु का खतरा बना रहता है.
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बरामदा
( Veranda ) : घर में बरामदे के लिए आप किसी भी दिशा का चुनाव कर सकते हो सिवाय
दक्षिण दिशा के. अगर आप इस दिशा में बरामदा बनवाते हो तो घर की स्त्रियाँ हमेशा
परेशान रहती है, घर से धन और यश धीरे धीरे कम होने लगता है और बच्चे का स्वास्थ्य
भी बिगड़ने लगता है.
दक्षिण मुखी भवन का वास्तु |
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वास्तु
दोष निवारण उपाय (
Some Tips to Remove Architectural Problems ) : घर से वास्तु दोष या समस्याओं को दूर रखने के लिए आप निम्नलिखित
उपायों को अपना सकते हो.
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मुख्य
दरवाजे पर चांदी की कोई छोटी सी पट्टी लगवा सकते हो.
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आप
प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक का चिह्न भी बना सकते हो.
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आप
हनुमान जी और भैरव जी का निरंतर उपवास रखें और बजरंग बाण का जाप करें.
-
आप घर
के अन्दर और बाहर गणेश जी की दक्षिणावृति सुंड वाली प्रतिमा को स्थापित करायें.
ऊपर दिए गये उपाय
दक्षिण मुखी घर को निर्माण करने में आपके लिए बहुत सहायक सिद्ध होंगे, इनके प्रयोग
से निर्मित घर में हमेशा सुख और शांति का वास होता है और जीवन खुशियों से भरा रहता
है.
ऐसे ही पश्चिम,
पूर्व या उत्तर मुखी घर के निर्माण संबंधी वास्तु सिद्धांतों को जानने या किसी
अन्य सहायता के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
दक्षिणमुखी भवन |
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