आग्नेयमुखी घर के
लिए वास्तु सिद्धांत ( Architectural Principle for South East Faced House )
वास्तुशास्त्र एक
ऐसा विज्ञान है जो प्राकृतिक तत्वों पर आधारित है. इसमें सृष्टी निर्माण में
भागीदार सभी पाँचों तत्वों ( जल, पानी, हवा, धरती
और आकाश ) को ध्यान में रखा जाता है और संतुलन बनाने की
कोशिश की जाती है. इसलिए जब भी किसी निर्माण की बात होती है तो उसमे वास्तु
सिद्धांतों को अवश्य ध्यान में रखा जाता है. आज हम ऐसे ही एक भवन निर्माण की बात
करेंगे जिसे वास्तु विज्ञान के अनुसार बनाना अति आवश्यक है. इन घर के पूर्व या फिर
दक्षिण दिशा की तरफ कोई सड़क या फिर रोड होता है जिसके कारण ऐसे घरों को आग्नेय
मुखी भवन भी कहा जाता है. CLICK HERE TO KNOW पुर्वोंन्मुखी भवन निर्माण के वास्तु सिद्धांत ...
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Aagneyamukhi Bhavan ka Vaastu |
आग्नेय मुखी भवन का
निर्माण और वास्तुदोष का सीधा प्रभाव इसमें रहने वाली संतानों और महिलाओं पर पड़ता
है. जिस कारण इसके निर्माण में वास्तु का स्थान और महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है.
आग्नेय से तात्पर्य आग से होता है, इसलिए इसमें वास्तुदोष रह जाने से भयंकर
परिणामों को झेलना पड सकता है. वास्तुशास्त्र में माना जाता है कि आग्नेय मुखी भवन
के प्रतिनिधि शुक्र ग्रह है किन्तु इसके स्वामी भगवान शिव के पुत्र श्री गणेश है.
तो आग्नेय मुखी भवन में रहने वाले लोगों को भगवान श्री गणेश की हमेशा पूजा करनी
चाहियें. साथ ही घर का निर्माण कराते वक़्त निम्नलिखित बातों का ध्यान भी रखना
चाहियें.
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वास्तुदोष के परिणाम ( Effects of Architectural Problems ) : अगर आग्नेय मुखी भवन
में कोई वास्तु दोष रह जाता है तो इस घर में रहने वाले लोगों को आर्थिक, सामजिक और
शारीरिक सभी तरफ की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. साथ ही इनके घर में अशांति और
कलह होना स्वाभाविक हो जाता है. किन्तु अगर कुछ जरूरी वास्तु सिद्धांतों को अपनाया
जाये तो इस स्थित से आसानी से निजात पायी जा सकती है. CLICK HERE TO KNOW जानियें कैसा हो ईशानमुखी घर का वास्तु ...
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आग्नेयमुखी भवन का वास्तु |
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भवन की पूर्व दिशा ( East Direction of the House ) : अगर घर की पूर्व दिशा या फिर ईशान कोण बाकी
कोनों की तुलना में अधिक बड़ा है तो ये घर में रहने वाली स्त्रियों के लिए बहुत शुभ
माना जाता है. किन्तु अगर ये दोनों कोण बाकियों से छोटे है तो समझे कि घर पर
शत्रुओं का प्रभाव अधिक होगा और महिलाओं को भयंकर रोग घेर लेंगे.
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मुख्य द्वार ( Main Gate ) : आग्नेयमुखी घर का मुख्य द्वार आग्नेय कोण या फिर दक्षिण दिशा की तरफ
ही हों चाहियें. अगर किसी कारणवश आप इस दिशा में मुख्य द्वार नही बनवा पाते हो तो
आप पूर्व दिशा को मुख्य द्वारा के लिए चुन सकते हो. किन्तु ध्यान रखे कि मुख्य द्वार
नैत्रत्य कोण में बिलकूल भी ना हो.
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Vaastu Tips to Construct South East Faced Home House |
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खिड़की ( Window ) : जैसाकि ऊपर बताया गया ही कि आग्नेय कोण में
मुख्य द्वार होना चाहियें, किन्तु अगर आप वहां दरवाजा नही लगा पा रहे है तो उस
दिशा में खिड़की अवश्य लगवायें. अगर आप इस दिशा को पूरी तरह से बंद कर देते हो तो
घर के विकास में बंधन आता है और घर में दुर्घटनाएं तक होने की संभावनाएं उत्पन्न
होने लगती है.
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चारदीवारी ( Wall Around the House ) : घर की चारदीवारी करते वक़्त आप ध्यान दें कि दीवार का उत्तर, ईशान और
पूर्वी हिस्सा बाकी के हिस्से से थोडा अधिक उंचा हो और जितना अधिक हो सके इन
दिशाओं में खाली जगह भी अवश्य रखें.
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रसोई का स्थान ( Place for Kitchen ) : घर में रसोई बनवाने के लिए भी आपको आग्नेय कोण
को ही प्रयोग कारण चाहियें. क्योकि ये कोण अग्नि का होता है तो इस तरह रसोई में
हमेशा बरकत रहती है और इस बरकत का असर घर के हर सदस्य पर पड़ता है जिससे उनका
स्वस्थ और मन दोनों ठीक रहते है.
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बिजली का मीटर और पानी ( Electricity Meter and Water Arrangements ) : घर में बिजली की पूर्ति के लिए मीटर, जनरेटर और
स्विच इत्यादि के लिए भी आप आग्नेय कोण को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. लेकिन ध्यान
रखें कि पानी की व्यवस्था इस कोण में बिलकुल भी ना हो. पानी के लिए आप ईशान या फिर
उत्तर दिशा का चुनाव करें.
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आग्नेय मुखी घर |
· बाथरूम
( Bathroom ) : आग्नेयमुखी भवन में बाथरूम के लिए पूर्व दिशा को
चुनना चाहियें. अगर आप बाथरूम का निर्माण आग्नेय कोण में कराते हो तो इसका सीधा
असर आपके और आपकी पत्नी के रिश्तों पर पड़ता है. साथ ही पत्नी आप पर हावी रहती है
और घर के बुजुर्गों से कलह व झगडा करने लगती है.
आप दिए गए उपायों से अपने आग्नेयमुखी भवन का
निर्माण कराएं, निश्चित रूप से आपके जीवन में सुख शांति वास करेंगी. साथ ही किसी
तरह के अन्य वास्तु विज्ञान की जानकारी के लिए आप हमे तुरंत नीचे कमेंट करके
जानकारी हासिल कर सकते हो.
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South East Faced House |
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