शिवपुराण में
बताये बिल्वपत्र के अचूक उपाय
प्राचीन
धर्मग्रंथो में वेदों को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है. वेद, ईश्वर की अपार
महिमा को दर्शाता है और उनकी शक्तियों को भी उजागर करता है. प्रकृति का वेदों और
वेदों का भगवान शिव से जुड़े होने की वजह से भगवान शिव को प्रकृति के कण कण में
विद्यमान माना जाता है. इसी प्रकृति में बिल्वपत्र ( बेल के पेड़ का पत्ता ) को साक्षात शिव
का रूप माना जाता है और इसीलिए बिल्वपत्र और बिल्ववृक्ष इतना पूजनीय होता है.
जब आप शिवपुराण
पढ़ते हो तो आप पाओगे कि शिवपुराण के अनुसार बिल्वपत्र की जड़ में सभी तीर्थस्थान
विद्यमान है. इसीलिए बिल्वपत्र की पूजा करने से अनेक देवता प्रसन्न होते है और
आपको अनेक आशीर्वाद देते है. सोमवार के दिन सुबह सुबह बिल्वपत्र से शिव जी की
उपासना करना सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है और ये शिव जी को प्रसन्न करने का सबसे
अचूक उपाय भी माना जाता है. इस उपाय को करने से आपकी सांसारिक जीवन से जुडी सारी
इच्छाएं पूरी होती है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
शुभ बिल्वपत्र के उपाय और औषधीय गुण |
भगवान शिव को
बिल्वपत्र और बेल पत्र बहुत ही प्रिय है. ऐसा माना जाता है की बिल्वपत्र के पेड़ की
जड़ में स्वयं शिव जी खुद रहते है. इसीलिए इस पेड़ की जड़ की पूजा को महादेव की पूजा
माना गया है. साथ ही ऐसा माना जाता है कि अगर आप बिल्ववृक्ष की जड़ को सींचते हो तो
आपको सभी तीर्थ स्थानों का पुण्य फल मिल जाता है. अगर आप इन्हें शिवलिंग पर चढाते
हो तो आपको धन लक्ष्मी की प्राप्ति प्राप्ति होती है.
बिल्वपत्र से
अचूक उपाय :
बिल्वपत्र से
किये गये सभी उपाय अचूक होते है और इनका प्रभाव भी शीघ्र ही दिखाई देता है.
·
अगर आप बिल्ववृक्ष
के नीचे शिवलिंग को रख कर शिवजी की पूजा करते हो तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती
है.
·
साथ ही आप किसी
शिव भक्त को बिल्ववृक्ष के पास घी सहित अन्न और खीर दान करें. ऐसा करने से आप कभी
भी दरिद्र स्थिति में नही आते और आपका जीवन हमेशा धन से भरा रहता है. ऐसा इसलिए होता
है क्योंकि बिल्ववृक्ष को श्री वृक्ष भी कहा जाता है मतलब इसमें देवी लक्ष्मी जी
स्वयं वास करती है.
·
इस वृक्ष के पत्तो
से पूजा करने से जातक को सभी तरह के पापो से मुक्ति मिलती है.
·
इसके अलावा
बिल्ववृक्ष के पेड़ की जड़ को सिर पर लगाने से आपको सभी तीर्थ स्थानों की यात्रा का
सुख मिल जाता है.
·
माना जाता है कि
अगर कोई जातक धतूरे, गंध, फूल और बिल्व के पत्तो से बिल्ववृक्ष की पूजा करता है तो
उस जातक को संतान की प्राप्ति और जीवन का हर सुख मिलता है.
बिल्वपत्र को
तोड़ने का दिन :
बिल्वपत्र को आप
कभी भी ऐसे ही न तोड़े, ये बहुत ही पवित्र माने जाते है इसीलिए इनको तोड़ने के लिए
कुछ दिन निर्धारित किये गये है जो निम्नलिखित है –
-
आप शिव जी की
उपासना के लिए सोमवार के दिन तो बिल्वपत्र को बिलकुल न तोड़े.
-
किसी भी महीने की
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या के दिन भी बिल्वपत्र को तोडना वर्जित
है.
-
आप किसी भी माह
की संक्राति के दिन भी इसे न तोड़े, ऐसा करना उचित नही है.
अगर आप ऊपर दिए
वर्जित दिनों में ही शिव जी की पूजा कर रहे हो और पूजा के लिए आप बिल्वपत्र का
इस्तेमाल करना चाहते हो तो आप इन दिनों पर पहले से इस्तेमाल में किये गये बिल्वपत्रो
को जल से अच्छी तरह धो कर उन्हें ही दुबारा इस्तेमाल करे या फिर आप इन दिनों को
छोड़ कर बचे हुए दिनों में बिल्वपत्र को तोड कर अपने पास रख लें और उन्हें पूजा के
समय इस्तेमाल करें.
बिल्वपत्र का
पूजा में महत्व :
बेल के पेड़ को एक
उपयोगी वनस्पति के रूप में माना जाता है क्योकि ये आपको कष्टों को दूर करती है.
अगर आप पूजा के समय इस पेड़ के पत्तो को भगवान शिव को अर्पित करते हो तो इसका अर्थ
ये होता है कि आप दुःख के समय में किसी के साथ हो और उनके संकटो को दूर करने का
प्रयास करते हो. भगवान शिव को दुसरो की मदद करने वाले या दुसरो के दुःख में काम
आने वाले व्यक्ति बहुत ही प्रिय होते है.
बिल्वपत्र का
औषधीय गुण :
बिल्वपत्र के
पत्ते का सेवन करने से आपको वात ( वायु ), पित ( ताप ), शीत और पाचन
क्रिया से समबन्धित दोषों से पैदा होने वाली बिमारियों से रक्षा मिलती है. बिल्वपत्र
के पत्ते आपको त्वचा रोग या फिर डायबिटीज जैसी बिमारियों के प्रभाव से भी बचाती
है. ये आपके तन और मन दोनों को चुस्त और दुरुस्त रखती है.
तो इन सब बातो से
पता चलता है कि बिल्ववृक्ष और इनके पत्ते का कितना महत्व है और ये भगवान शिव से
किस प्रकार से जुड़े है. तो आप भी अपने कष्टों को दूर करने के लिए इनका उपयोग करे
और अपने जीवन को सुगम बनाएं.
Shubh Bilvpatr Bilva Patra ke Upaay or Aushdhaiy Gun |
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