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Grahon ke Sthaan Chodhne or Naye Sthaan par Jaane ke Parinaam | ग्रहों के स्थान परिवर्तन के परिणाम

अस्त भाव स्वामी से अर्थ उस स्थिति से होता है जब कुंडली या फिर गोचर में ग्रह अस्त हो जाता है. कुंडली में ग्रह के अस्त होने से व्यक्ति के जीवन में अनेक तरह के परिवर्तन आ जाते है और इन  परिवर्तन की वजह से इनके कुछ बुरे परिणाम भी निकलते है. आज हम इन्ही सब परिणामो को उनके भाव के अनुसार आपको समझाने की कोशिश कर रहे है. 

·         अस्त लग्नेश : किसी भी व्यक्ति की कुंडली के पहले भाव के स्वामी के अस्त हो जाने से उस व्यक्ति का जीवन कैदियों के जैसा हो जाता है और उस व्यक्ति के जीवन में भय, अशांति, चिंता और बीमारियाँ अपना स्थान बना लेती है. इन व्यक्तियों को अपने जीवन में धन की बहुत हानि होती है और ये अपने स्तर को खो कर नीचे के स्तर पर आ जाते है. इनका भाग्य कभी इनका साथ नही देता और भाग्य भी निचले स्तर पर आ जाता है.

·         अस्त द्वितीयेश : जातक की कुंडली से द्वितीयेश के अस्त हो जाने से जातक का व्यव्हार ही परिवर्तित हो जाता है और वो मूर्खो की भांति व्यव्हार करने लग जाता है. उनका आचरण भी अविश्वसनीय सा प्रतीत होने लगता है, इन जातको की आँखों में पीड़ा होने लगती है और इन्हें वाणी दोष हो जाता है. ऐसे लोग अपने धन का अधिक और व्यर्थ व्यय करते है, ऐसी स्थिति में इन्हें अनेको दुखो का सामना करना पड़ता है. 

·         अस्त तृतीयेश : कुंडली से तृतीयेश के अस्त हो जाने से व्यक्ति को सलाह देने वाले लोग बुरे मिलते है, इन्हें मानसिक तनाव और असुविधा होने लगती है, साथ ही इनका मान सम्मान भी कम होने लगता है और इनके अनेक गुप्त आतंरिक शत्रु बन जाते है. इनके भाईयों की भी हानि होती है और इनका जीवन पीड़ा से भर जाता है.

·         अस्त चतुर्थेश : ये स्थिति जातक की माता को कष्ट पहुंचती है. इन जातको को अपनी जमीन और पशुओं की भी हानि होती है. ये स्थिति जातक के निजी जीवन पर ग्रहण लगा देती है और जातक को पानी और वाहन से खतरा उत्तपन हो जाता है. 

·         अस्त पंचमेश : कुंडली से पंचमेश के अस्त हो जाने से व्यक्ति के पुत्र या पुत्री को कष्टों का सामना करना पड़ता है. जातक की सारी योजनायें विफल हो जाती है. इन्हें अचानक धन की हानि होने लगती है साथ ही इन्हें पैरो में समस्या भी होने लगती है. 

·         अस्त षष्टेश : ये योग जातक के घर में चोरी द्वारा हानि होने को दिखता है. इन्हें अपने हर लक्ष्य की प्राप्ति में पराजय का सामना करना पड़ता है, साथ ही इन्हें षड्यंत्रों का भी शिकार होना पड़ता है जिसमे ये चोटिल भी हो जाते है. ये स्थिति जातक को मुर्ख आचरण वाल बना देती है, साथ ही जातक की स्थिति दयनीय भी हो जाती है और वो गुलामी की नौकरी करने लगता है. 
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·         अस्त सप्तमेश : कुंडली से सप्तम भाव के स्वामी के अस्त होने पर ये जातक को उसके जीवनसाथी से ही अलग कर देता है और जातक पराई नीच स्त्री के साथ संबंध बनाने लगता है. ऐसे जातको को गुप्त रोग अपना शिकार बना लेता है. ये जातक अपने जीवन को व्यर्थ में ही बर्बाद कर देते है. 

·         अस्त अष्टमेश : इस स्थिति के बनने पर जातक को शारीरिक कमजोरी, असफलता, दुःख, भूख का अनियमित समय पर लगना और मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है. ये स्थिति जातक की अकाल मृत्यु के भी योग बनती है.

·         अस्त नवमेश : जब जातक की कुंडली में उसके नवम भाव का स्वामी अस्त हो जाता है तो जातक का भाग्य भी उसी के साथ अस्त हो जाता है. ये एक ऐसी स्थिति हो जाती है जहाँ आपके गुरु देवता ही आपको श्राप देने के लिए आतुर रहते है. इस स्थिति से आप समझ ही गये होने की जातक को कितनी हानि और कितने नुकसानों को झेलना पड़ता है. ये स्थिति जातक के आत्मविश्वास को हिला देती है और जातक को गरीबी में अपने जीवन को बिताना पड़ता है. ये स्थिति जातक की मानसिकता पर ऐसा प्रभाव डालती है कि जातक मूर्खो के जैसा आचरण करने लगता है. 

·         अस्त दश्मेश : दश्मेश के कुंडली में अस्त होने से जातक को मान सम्मान की हानि होती है. इनकी स्थिति में उन्नति की जगह अवनति होती है, साथ ही इन्हें इनके हर कार्य में असफलता मिलती है. इन जातको को इतने कष्टों का सामना करना पड़ता है कि इनका पूरा जीवन ही कष्टमय हो जाता है और इन्हें जीवन भर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इनके साथ अजीब सी और बुरी घटनाएं घटने लगती है. 

·         अस्त एकादशेश : ये स्थिति जातक के बड़े भाई के जीवन में खतरा और संकटो को उत्तपन करती है और उसके जीवन को कष्टमयी बनती है. इन जातको को आर्थिक हानि तो होती ही है साथ ही इन्हें कान से सम्बंधित बिमारी भी हो जाती है. इन जातको के साथ रहने वाले इनके मित्रो को भी इनकी वजह से हानि होने लगती है.

अस्त द्वादशेश : कुंडली से द्वादशेश के अस्त होने पर जातक को भिन्न भिन्न प्रकार की बीमारियाँ घेर लेती है, इन्हें कारावास में भी जीवन बिताना पड़ता है और ये अपने आध्यात्मिक कार्यो में अधिक खर्च करने लगते है. इसके अलावा जातक को जीवन में अपमान भी झेलना पड़ता है.



ग्रहों के स्थान परिवर्तन के परिणाम
ग्रहों के स्थान परिवर्तन के परिणाम


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