ब्रहमचर्य
की परिभाषा ( Definition of Celibacy )
ब्रह्मचर्य
शब्द से हम सभी परिचित है और इसके बारे में एक ही धारणा रखते है कि जो व्यक्ति
स्त्री, क्रोध और बुरे कर्मों से दूर रहता है वो ब्रह्मचारी है. किन्तु ऋषियों के
अनुसार ब्रह्मचर्य एक दरवाजा है जो ब्रह्म परमात्मा के दर्शन कराता है. उनके
अनुसार ये सर्वोत्तम साधना तपस्या है, जो नियम, ज्ञान, संयम, विनय, चरित्र और दर्शन की जड़ है. इसका अनुसरण करने वाले व्यक्तियों को मोक्ष की
प्राप्ति होती है और वे जन्म मरण के बधन से मुक्त होकर परमात्मा में विलीन हो जाता
है. इसलिए ब्रहमचर्य जीवन जीने के लिए कुछ नियम है जिनका पालन आवश्यक है. CLICK HERE TO KNOW कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत कैसे करें ...
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Brahamcharya Jivan Niyam Paalan |
ब्रह्मचर्य
नियम पालन ( Follow the Rule of Celibacy ) :
· मन ( Mind ) : ब्रह्मचर्य तन के बजाय मन
बार ज्यादा आधारित होता है, इसलिए सबसे पहले मन को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है जिसके लिए आपको
ऊँचे विचार और आदर्शों का पालन करना होता है.
· आँख और कान ( Eyes and Ears ) : आँख और कान ऐसी दो
इन्द्रियां है जो भटकाने का और सही मार्ग पर लाने का दोनों कार्य करती है, इसलिए
इन्हें मन का मुख्यमंत्री भी कहते है. मन के साथ साधक को इन दोनों इन्द्रियों को
भी साधना होता है और अश्लील चित्र व दृश्य और अभद्र बातों को सुनने से खुद का बचाव
करना होता है.
· शुभ कर्म ( Good Deeds ) : हमारा मन कभी शांत नहीं
बैठता, उसे हर समय कोई ना कोई विषय अवश्य चाहियें, अगर उसे
अवकाश प्रदान कर दें तो वो मलिन हो जाता है. तो क्यों ना उसे हर समय शुभ कर्म करने
का विषय दे दिया जाएँ और उसे ईश्वर की भक्ति और जप में लगा दिया जाएँ. CLICK HERE TO KNOW मूलाधार चक्र को कैसे जगायें ...
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ब्रहमचर्य जीवन नियम पालन |
· कामुक चिंतन पर नियम ( Rules on Physical Relation
Thinking ) : जब भी कभी आपको कामुक चिंतन
आते है तो आपको भाव का चिंतन करना चाहियें, ऐसी स्तिथि में आप पास के किसी
मंदिर में जाकर कुछ समय चिंतन करें, आप किसी अच्छे साहित्य
का अध्ययन भी कर सकते हो. लड़कियों से कभी भी आँखों से आँखें मिलाकर बातें ना करें
क्योकि शरीर की विद्युत शक्ति आँखों से ही अधिक प्रवाहित होती है.
ब्रह्मचारी
की दिनचर्या ( Daily Routine for Celibacy ) :
· प्रातःकाल ( Wake up Early ) : ब्रह्मचर्य का पालन करने
वाले व्यक्ति को प्रातःकाल प्रभात से पहले ही उठ जाना चाहियें. उठते ही वे कुछ समय
ईश्वर के ध्यान को दें और उन्हें इंसान रूप देने के लिए धन्यवाद दें क्योकि इंसान
योनी ही एक ऐसी योनी है जिसमें व्यक्ति परमात्मा को पा सकता है.
- व्यायाम ( Do Exercise ) : उसके बाद उन्हें दैनिक
कार्यों से निवृत्त होकर व्यायाम, प्राणायाम और आसन करने चाहियें ताकि उनका
मन और मस्तिष्क स्थिर, शांत और स्वस्थ रहें. दिन के अलावा
शाम के वक़्त भी प्राणायाम अवश्य करें. आसन करते वक़्त आप शांत और आरमदेह स्थान का
चुनाव करें और लंगोट को पहनकर ही आसन आरम्भ करें. आसनों में पश्चिमोत्तासन,
सर्वांगासन और भद्रासन को शामिल करें, वहीँ
प्राणायाम में आप सूर्यनमस्कार, भस्त्रिका, कपालभाती और अनुलोम विलोम को शामिल कर सकते हो.
- स्नान ( Hip Bath ) : साधकों के लिए कटिस्नान
सर्वोत्तम माना जाता है, नहाते समय वे एक चिकित्सा भी करें जिसके अनुसार उन्हें एक बड़े से बर्तन
में पानी भरना है और उसमें अपने शरीर को छाती तक डुबोना है. अब आप तौलिये से अपने
पेट को रगड़ें, 15 – 20 मिनट तक आप इसी
तरह पानी में रहें. ये चिकित्सा आपको सप्ताह में सिर्फ 2 से 3 बार ही करनी है.
- वेशभूषा ( Were Simple Clothes ) : हमारे कपड़ों और हमारी
वेशभूषा का प्रभाव हमारे तन के साथ मन पर भी पड़ता है. अगर आप सादे, साफ़ और सूती
वस्त्रों को धारण करते हो तो आपका मन भी शांत रहता है. खादी, ऊनी और सूती वस्त्र सर्वोत्तम होते है क्योकि ये जीवनशक्ति की रक्षा करते
है, वहीँ सिंथेटिक वस्त्र धारण करने से जीवनशक्ति का ह्रास
होता है.
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Celibacy Life and Rules |
- भोजन ( Have Pious Diet ) : आपने एक कहावत सुनी होगी की “ जैसा खाये
अन्न वैसा होये मन ”, तो ब्रह्मचर्य पालन में आपको गर्म मसाले,
मच्छी, मांस, चाय,
कोफ़ी, फ़ास्ट फ़ूड इत्यादि जैसे विशुद्ध आहार से
दूर रहना है. आप हल्का और चिकना स्निग्ध आहार लें, खाना खाने
के 3 घंटे बाद आपको दूध लेना है.
· दोपहर ( Afternoon ) : दोपहर एक ऐसा समय होता है जब
हमारे पास काफी समय खाली होता है, इस समय में अधिकतर लोग सोना पसंद करते है
किन्तु दिन में सोने को समय के खोने के समान देखा जाता है इसलिए साधक इस समय को
निम्न कार्यों में लगा सकते है.
- जप ( Meditation is the Right Way ) : जितना अधिक समय हो सके ईश्वर
को समर्पित करें और ध्यान करें, उसके लिए आप गायत्री मंत्र, ॐ और अपने ईष्ट देव के मंत्र का जप कर सकते हो. नित्य ध्यान ही आपकी आत्मा
को परमात्मा तक पहुंचाता है. साथ ही मन को कभी खाली ना छोड़ें, कहा जाता है कि खाली घर में भुत वास करते है वैसे ही खाली मन में भी
मलिनता वास करती है. अपने मन को रचनात्मक कार्यों में लगा कर रखें.
- सत्संग ( Good Accompaniment ) : सत्संग दो शब्दों से बना है – सत और संग,
जहाँ सत से अभिप्राय परम सत्य से है तो संग से अर्थ साधुओं और संतों
की संगती व उनके सानिध्य से है. आप सत्संग दो तरह से ले सकते है पहला तो आप ऐसे
लोगों और गुरुओं की शरण में बैठे और उनसे ज्ञान लें जो आपसे अधिक ज्ञानी है और
आपको सही मार्ग दिखा सकते है, जबकि दुसरा आप भजन सुने,
ईश्वर की किताबे पढ़ें और खुद को ईश्वर के पास रखें.
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कैसे साधे ब्रहमचर्य |
· सांयकाल ( Evening ) : दोपहर में ध्यान और सत्संग
के बाद आप बाहर भ्रमण के लिए जा सकते है किन्तु ध्यान रहें कि आपके नजरें जमीन की
तरफ हो क्योकि ब्रह्मचर्य के नियमों के अनुसार आपको अपनी नज़रें जमीन पर रखनी
चाहियें इससे आप किसी स्त्री की तरफ सीधे रूप से नहीं देख पाते.
- व्यायाम ( Exercise ) : भ्रमण के बाद आप दोबारा से
कुछ समय व्यायाम को दें.
- रात का भोजन ( Dinner ) : रात का खाना सोने से करीब 2
घंटे पहले लें. खाना पवित्र साधा और सात्विक होना चाहियें. साथ ही खाने का एक
निश्चित समय रखें और उसी अनुसार आहार ग्रहण करें. खाना खाने के बाद भी आप ध्यान कर सकते है.
- सोने का तरिका ( The Correct Way to Sleep ) : रात को सोते वक़्त आप लंगोट
अवश्य बांधें, साथ ही आप रीढ़ की हड्डी के सहारे सीधे ना सोये, करवट
में सोना ही श्रेष्ठ है. अगर आप चारपाई पर सो रहे है तो सख्त चारपाई का इस्तेमाल करें.
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Kya Hai Brahamcharya |
· अन्य बातें ( Remember These as Well ) :
- रात को सोने से पहले पेट पर
ठंडा पानी डालें और पेट को रगड़ें.
- अगर कोई विवाहित व्यक्ति
ब्रह्मचर्य का पालन कर रहा है तो उसे एक अलग बिछौने पर सोना चाहियें.
- खुद को पेट विकार जैसेकि
बदहजमी, कब्ज और अफारा इत्यादि से बचा कर रखें.
- इत्र और भड़काने वाली गंधों
से दूर रहें, इन्द्रियों को उत्तेजित करने वाली किताबें, फिल्में
और चित्र ना देखें.
- नशीली चीजों जैसे पान, गुटखा,
सिगरेट, चरस, अफीम,
गांझा, भांग, शराब और बाकी
मादक चीजें धातु को कमजोर बनाती है इसलिए इनसे दूर रहना ही सर्वश्रेष्ठ होता है.
- आहार में चिपचिपी चीजें जैसे
भिन्डी लसौड़े आदि को शामिल करें. गर्मियों के समय में ब्राह्मी बूटी का सेवन भी
किया जा सकता है. वहीँ इसबगोल के साथ भीगे हुए बेदाने और मिश्री का शरबत लें.
ब्रह्मचर्य
जीवन से जुड़े अन्य नियमों को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल
कर सकते हो.
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Brahamchrya Jivan Jine ke Saadhan |
Brahamcharya
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- मृत्यु के अनसुने राज
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How rule follow of brahmachari I not get complete information. Please give complete information
ReplyDeleteSHASTRO ME JHA JHA VARNAN HO USE SOURCE ME JAROOR DENA CHAHEYI
ReplyDeleteWhat is the benefit of bramcharya
ReplyDeleteGood sir mai isi trah ke article ka intjar kr rha thaa
ReplyDeleteBhut accha gyan hai sir, mughe isitrah ke article ki jrurat thee, brahmchrya bhut accha hai isse life me koi dikkat nhi hogi koi galat aaadat nhi sta payegi.
ReplyDeleteJai hind
This comment has been removed by the author.
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