संत रविदास जी की जयंती (Sant Ravidas Jayanti)
संत रविदास का जन्म ( Sant Ravidas’s Birth)
संत रविदास जी को रैदास के नाम से भी जाना जाता हैं. इनका जन्म सन 1398 ई. के
माघ महीने के पूर्णिमा के दिन हुआ था. इनका जन्म स्थान वाराणसी हैं. ऐसा माना जाता
हैं कि इनका जन्म रविवार के दिन हुआ था. इसलिए इनका नाम रविदास रखा गया था.
संत रविदास का जीवन (Ravidas’s Life)
रविदास जी की मध्यकालीन ( भक्तिकालीन ) निर्गुण संत परम्परा के एक प्रसिद्ध
कवि थे. ये निर्गुण अर्थात ईश्वर के निराकार रूप की उपासना करते थे. संत रविदास और
संत कबीर समकालीन कवि थे तथा ये भी संत कबीर की ही भांति समाज के बाह्य आडम्बरों
(तिलक लगाना, जनेऊ धारण करना) का, ईश्वर के साक्षात् रूप का, समाज की कुरीतियों का
विरोध करते थे. रविदास जी हमेशा जातिगत, वर्गगत तथा धार्मिक भेद – भावों को समाप्त
करने का प्रयत्न करते थे. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT गुरु गोबिंद सिंह जयंती ...
रविदास जयंती मुबारक हो |
रविदास जयंती कैसे मनाई जाती हैं (How to Celebrate Ravidas Jayanti)
संत रविदास जयंती हर साल माघ महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती हैं. वाराणसी
इनका जन्म स्थान हैं. इसलिए इस दिन को रविदास जयंती के रूप में वाराणसी में बहुत
ही धूम धाम से मनाया जाता हैं.
वाराणसी में रविदास जयंती के दिन घाटों पर संध्या आरती करने के लिए विशेष
तैयारियां की जाती हैं. इस दिन संध्या आरती करने के बाद वाराणसी के घाट पर
मन्त्रों का उच्चारण किया जाता हैं, भजन – कीर्तन किया जाता हैं और पूरे वाराणसी
में रविदास जयंती की झांकियां निकाली जाती
हैं. इस शोभा यात्रा में सभी व्यक्ति एक साथ इकट्ठे होकर रविदास जी के द्वारा रचित
दोहों का गाते हुए विभिन्न मंदिरों में घूमते हैं. इस दिन इनके भक्त या अनुयायी
गंगा स्नान करने के बाद इनकी तस्वीर की पूजा करते हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT सुभास चन्द्र बोस जयंती ...
Happy Ravidas Jayanti |
वाराणसी में इनके जन्म स्थान पर संत रविदास के नाम से एक मंदिर भी बनवाया गया
हैं. रविदास जयंती पर इस मंदिर की साफ – सफाई करने के बाद अच्छी तरह से सजाया जाता
हैं और इस दिन को एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता हैं. हर साल इस मंदिर के भव्य
दृश्य को देखने के लिए रविदास जी के भक्त हजारों की संख्या में यहाँ पर एकत्रित
होते हैं.
कवि के रूप में संत रविदास (Sant Ravidas As A Poet)
संत रविदास हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के एक प्रसिद्ध कवि हैं. हिंदी साहित्य
का भक्तिकाल एक ऐसा समय था. जिस समय मुगलों ने भारत में प्रवेश कर लिया था तथा
भारतीय समाज में अनेक प्रकार की कुरीतियाँ विद्यमान थी. इन कुरूतियों को समाप्त करने
के लिए मध्यकाल के सभी कवियों ने बहुत ही प्रयास किये थे. इन कवियों में से एक
रविदास जी भी थे.
संत रविदास जी ने इस काल में भक्ति तथा प्रेम रस से परिपूर्ण गीतों और दोहों
की रचना की थी. ये अपने दोहों से समाज में एकात्मकता स्थापित कर जातिगत तथा
धार्मिक भेद भाव को खत्म करने का प्रयास करते थे.
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