कार्तिक मास की पूर्णिमा (Kartik Purnima)
कार्तिक का महिना बहुत ही पवित्र माना जाता हैं. क्योंकि इसी महीने में भारत
देश में मनाये जाने वाले अनेक त्यौहार आते हैं. जैसे – छोटी दीपावली, धन तेरस,
दीपावली, करवा चौथ, अहोई, छठ पूजा तथा भैया दूज आदि. वैसे वर्ष के प्रत्येक
महीने में एक बार अमावस्या तथा एक बार पूर्णिमा आती हैं. लेकिन कार्तिक मास की
पूर्णिमा बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं. कार्तिक मास की पूणिमा के दिन गंगा नदी में
भी स्नान करने का अपना एक अलग महत्व हैं. ऐसा माना जाता हैं कि इस दिन स्नान करने
से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं.
पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्व (The Importance of Purnima ‘s Bath)
कार्तिक मास की पूर्णिमा को विशेषत: गंगा स्नान के लिए ही जाना जाता हैं. इस
दिन अधिकतर लोगों की कोशिश किसी न किसी पवित्र नदी में स्नान करने की होती हैं.
गंगा स्नान धार्मिक रीति – रिवाजों के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसके साथ ही वैज्ञानिक
दृष्टिकोण से भी यह हमारे जीवन और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता हैं.
वैज्ञानिकों का मानना हैं कि कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की रौशनी
का सबसे अधिक प्रभाव पानी पर होता हैं. क्योंकि मनुष्य के शरीर के अधिकांश
भाग में भी होता हैं. इसलिए स्नान करने पर चन्द्रमा की रौशनी का प्रभाव मनुष्य के
शरीर के समस्त अंगों पर पड़ता हैं. जिससे मनुष्य के शरीर में नई और सकारात्मक
ऊर्जा की उत्पत्ति होती हैं. वैज्ञानिकोण के अनुसार पवित्र नदियों के पानी में
खड़े होकर स्नान करना शरीर के लिए बेहद लाभकारी होता हैं. शास्त्रों के
अनुसार इस दिन नदियों में स्नान करने से पितृदोष, कालसर्प दोष या कुंडली
के अन्य दोषों से मुक्ति मिलती हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT बुद्ध पूर्णिमा ...
Kartik Purnima Par Ganga Snan Daan Or Pooja |
कार्तिक पूर्णिमा पर दान का महत्व (Importance of Donation on Kartik
Purnima)
माना जाता हैं कि कार्तिक महीने की पूर्णिमा का दान महादान होता हैं इस
दिन दान करने से मनुष्य को कई गुणा पुण्य की प्राप्ति होती हैं. धार्मिक
धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन मनुष्य जिस भी वस्तु का दान करता हैं. उसे उसकी
प्राप्ति मृत्यु होने के पश्चात् स्वर्ग में होती हैं. इसका अलावा इस दिन दान करने
से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष आदि चारों पुरुषार्थ की प्रति होती हैं.
कार्तिक मास की पूर्णिमा पर विष्णु भगवान् की पूजा (Worship of
Vishnu lord on Kartik Purnima)
कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान की पूजा तथा व्रत रखने का
भी प्रचलन हैं. बल्कि पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा सुनने का तथा उनकी पूजा
करने का विशेष महत्व माना जाता हैं. कहा जाता हैं कि जो लोग कार्तिक मास की
पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करते है, उसके बाद दीपदान करने के बाद विष्णु
भगवान की कथा को सुनकर पूरे दिन उपवास रखते हैं उस व्यक्ति को विष्णु लोक में
स्थान प्राप्त होता हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT महापर्व मकर संक्रांति ...
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान |
कार्तिक पूर्णिमा की कथा (Story of Kartik Purnima)
विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करने की बात से एक कहानी भी जुडी हुई हैं.
शास्त्रों के अनुसार जब विष्णु भगवान ने श्री कृष्ण जी का रूप धारण
कर पृथ्वी पर जन्म लिया था. तब उनका विवाह सत्यभामा और रुक्मिणी से
हुआ. कहा जाता हैं कि सत्यभामा पिछले जन्म में एक ब्राह्मण की पुत्री थी.
जिसेक पिता को एक राक्षस ने मार दिया था. अपने पिता की मृत्यु के बाद उसने अपना
पूरा जीवन विष्णु जी की भक्ति में लगा लिया. ब्राह्मण कि यह पुत्री पूजा करने से
पहले रोजाना गंगा स्नान करती थी. ऐसे ही वह पूर्णिमा के दिन भी गंगा स्नान करने के
लिए गंगा नदी में गई. उसने जैसे ही गंगा नदी में डुबकी लगाई और शरीर में तेज कम्पन
होने लगा और गंगा नदी में ही उसकी मृत्यु हो गई. जैसे ही उस स्त्री की मृत्यु हुई
तो आकाश से एक विमान अवतरित हुआ. जो सत्यभामा के मृत शरीर को विष्णु लोक में ले
गया.
कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन स्नान और पूजा कैसे करें (How to do Bath
And Worship on Kartik Purnima)
1. कार्तिक की पूर्णिमा को
स्नान करने से पहले अपने शरीर पर तिल या आंवले का चुर्ण लगा लें. वृद्ध व्यक्ति
अपने शरीर पर तुलसी के जड़ की मिटटी को लगाकर फिर स्नान करें.
2. कार्तिक मास की पूर्णिमा के
दिन जल्दी उठकर गंगा स्नान करने से पहले विष्णु, ब्रह्मा, शिव तथा सूर्य देवता का
नाम लें और गंगा नदी में स्नान करने के लिए प्रवेश करें.
3. अब गंगा नदी की इतनी गहराई
में उतरे की आपकी नाभि से नीचे का शरीर गंगा नदी में डूब जाए. इसके बाद विद्धि
पूर्वक गंगा स्नान करें.
Kartik Mahine ki Purnima |
4. स्नान करने के बाद गंगा नदी
में ही खड़े होकर अपने दोनों हाथों से पानी लेकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें और उनसे
हाथ जोडकर प्रार्थना करें.
5. इसके बाद नदी से बाहर निकल
कर शुद्ध वस्त्र धारण करने के बाद अपने समक्ष नारायण (विष्णु) देवता की प्रतिमा या
तस्वीर स्थापित करें और पूजा की सभी सामग्रियों का प्रयोग कर तथा भोग लगाकर विष्णु
भगवान की पूजा करें.
6. पूजक करने के बाद गंगा नदी
में दीपदान करें और तुलसी के पौधे में तथा आंवलें के पौधे में जल चढाएं.
कार्तिक मास की पूर्णिमा से जुडी हुई अन्य परम्परा तथा पूजन विधि जानने के लिए आप नीचे केमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हैं.
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