छठ पूजा (Chhath Pooja)
छठ पूजा का पर्व हिन्दू समुदाय के लोगों का एक महत्वपूरण त्यौहार हैं. यह पर्व
दीपावली के छठे दिन मनाया जाता हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व
प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता हैं. छठ पर्व
में मुख्य रूप से सूर्य देव की उपासना की जाती हैं. छठ भारत देश का
प्रसिद्ध त्यौहार हैं. इसलिए यह पूरे भारत में मनाया जाता हैं. लेकिन बिहार,
उत्तर प्रदेश, नेपाल के तराई वाले क्षेत्र तथा झारखण्ड में इस पर्व को मुख्य
रूप से मनाया जाता हैं तथा इन क्षेत्रों में इस पर्व के लिए विशेष तैयारियां भी की
जाती हैं.
छठ महापर्व की कथा (Story of Chhath Pooja)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पहले स्वायम्भुव के पुत्र प्रियव्रत
के घर कोई संतान नहीं थी. संतान न होने से परेशान प्रियव्रत महर्षि कश्यप
की शरण में गये और उन्होंने महर्षि कश्यप से पुत्र प्राप्ति के लिए उपाय पूछा. तब
महर्षि कश्यप ने उन्हें पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराने का
परामर्श दिया. पुत्रेष्टि यज्ञ कराने के बाद प्रियव्रत की पत्नी के गर्भ से एक
पुत्र का जन्म हुआ. लेकिन जिस शिशु का रानी के गर्भ से जन्म हुआ था वह मृत
था. जिए देखकर दुबारा राजा और रानी दुखी हो गये. शिशु के मृत शरीर को राजा
अपने सीने से लगाकर रो रहे थे. तभी राजा कि नजर आसमान में गई और उन्होंने आकाश से
एक विमान को धरती पर उतरते हुए देखा. इस विमान में एक दिवयाकृति नारी बैठी हुई थी.
राजा ने इस नारी से अपने संतान के मृत होने के बारे में बताया. तब नारी ने अपना
परिचय देते हुए राजा से कहा कि मैं ब्रह्माण्ड के रचयिता ब्रह्म देव की छठी
पुत्री हूँ. मै विश्व के सभी बच्चों की रक्षा करती हूँ तथा अपुत्रों को पुत्र
प्रदान करती हूँ. यह सब कहने के बाद षष्ठी देवी ने राजा के मृत पुत्र के
सिर पर अपना हाथ रखा. देवी के हाथ रखने के साथ ही राजा का पुत्र जीवित हो गया. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT दीपावली त्यौहार की पूजन विधि और महत्तव ...
Happy Chhath Pooja |
जिस दिन राजा प्रियव्रत को पुत्र की प्राप्ति हुई थी. उस दिन षष्ठी तिथि थी.
इसलिए तब से ही प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में आने वाली षष्ठी तिथि को छठी माता की
पूजा की जाती हैं तथा उनसे संतान प्राप्ति की तथा संतान की रक्षा करने की
प्रार्थना की जाती हैं.
छठ पूजा में सूर्य का विशेष महत्व ( Importance of Surya in Chhath Pooja)
छठ पूजा में मुख्य रूप से सूर्य की ही उपासना की जाती हैं. छठ पर्व व्रत
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से ही शुरू हो जाता हैं. इस दिन पूरे
दिन व्रत किया जाता है तथा संध्या के समय सूर्य अस्त होने से पहले सूर्य देवता
को अर्घ्य दिया जाता हैं तथा पंचमी तिथि के अगले दिन अर्थात षष्ठी तिथि को
उदय होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता हैं. षष्ठी माता के साथ सूर्य देवता की
पूजा करने से कई तर्क जुड़े हुए हैं. जिनका विवरण नीचे दिया गया हैं.
1. ऐसा माना जाता हैं कि षष्ठी
माता सूर्य की छोटी बहन हैं तथा पूरे ब्रह्माण्ड की माता के रूप में विख्यात षष्ठी
माता की पूजा सर्वप्रथम सूर्य देव ने ही की थी. इसलिए के छठ के दिन छठी माता
के साथ – साथ सूर्य की उपासना की जाती हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT धन तेरस का महत्तव और पूजन विधि ...
छठ पूजा की शुभकामनाएं |
2. सूर्य देवता को सौर मंडल का
राजा कहा जाता है तथा ये अनेक देवताओं में से एक देवता हैं जो दिनके समय पृथ्वी पर
प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं.
3. सूर्य देवता के प्रकाश से
ही मनुष्य विभिन्न प्रकार की बिमारियों से तथा व्याधियों से मुक्त रहता हैं.
4. छठ के दिन सूर्य देवता की
पूजा करने के पीछे वैज्ञानिकों का मानना हैं कि षष्टि तिथि को सूर्य की
पराबैंगनी किरणों का प्रभाव पृथ्वी की सतह पर अत्यधिक होता हैं. वैज्ञानिकों
का मानना हैं कि छठ के दिन पूरे विधि – विधान से पूजा करने से मानव शरीर की सूर्य
की इन हानिकारक पराबैंगनी किरणों से रक्षा होती हैं.
छठ पूजा कैसे की जाती हैं (How to do
Chhath Pooja)
1. छठ पर्व की शुरुआत पंचमी
तिथि से ही हो जाती हैं. पंचमी तिथि से ही महिलाऐं 32 घंटों तक बिना कुछ
खाएं कठिन उपवास रखती हैं.
2. इस दिन सुबह से ही छठी माता
को चढ़ाने के लिए प्रसाद बना लिया जाता हैं तथा विभिन्न प्रकार के मौसमी
फल खरीदे जाते हैं. इस प्रसाद को रखने के लिए एक टोकरी और सूप लिया
जाता हैं जिसमें फल और घर पर बनाए गये प्रसाद को रखा जाता हैं. इस टोकरी में श्रृंगार
की सभी चीजें तथा पूजा की सारी सामग्री रखी जाती हैं. फिर इस टोकरी को एक
पीले रंग के वस्त्र से ढक दिया जाता हैं.
Chhath Parv |
3. पंचमी की संध्या के समय
महिलाऐं नए वस्त्र पहनकर घाट, नदी, तालाब पर इस टोकरी ले जाती हैं. इसके बाद सभी स्त्रियाँ
पानी में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देवता को अर्घ्य देती हैं और उनसे
प्रार्थना करती हैं.
4. अगले दिन प्रातः स्त्रियाँ
सुबह सूर्य उदय होने से पहले स्नान कर घाट पर पहुँच जाती हैं और सूर्योदय
के समय पानी में खड़े होकर सूर्य देवता को अर्घ्य देती हैं और सूर्य देवता
और छठी माता से अपनी संतान को दीर्घायु प्रदान करने की तथा निरोग
रहने की मंगलकामनाएं करती हैं. इसके बाद महिलाऐं घाट पर उपस्थित लोगों में प्रसाद
वितरित करती हैं तथा घर पर आने के अपने बड़ों का आशीर्वाद लेकर अपना व्रत खोलती
हैं.
छठ पूजा तथा भारत के अन्य प्रसिद्ध त्यौहारों के बारे में जानने के लिए आप नीचे केमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हैं.
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