आखिर यह हेपेटाईटिस
क्या है
हमारे शरीर का एक
महत्वपूर्ण अंग है यकृत. यह हमारे लिए इतने कार्य करता है शरीर को स्वस्थ रखने के
लिए इंतनी मेहनत करता है, तो इसकी देखभाल भी बहुत ही जरुरी है, और यह हमारा
कर्तव्य भी बनता है कि हम अपने शरीर के अंगो की देखभाल बहुत अच्छी तरह से करे.
यकृत के बारे में
इतनी सारी बातें होने के बाद भी हम हेपेटाईटिस से अनजान है, हमें अब तक पता ही
नहीं है कि हेपेटाईटिस क्या है, तो आइये इसके बारे में जाने की क्या है ये
हेपेटाईटिस.
हेपेटाईटिस यकृत में
होने वाली एक साधारण सी बीमारी है जिसका
समय पर उपचार ना किया जाया तो ये भयंकर रूप धारण कर लेती है और हमारे स्वास्थ्य को
बहुत नुक्सान पहुचती है,
हेपेटाईटिस नामक रोग
में यकृत के कोशो में प्रदाह या ऐसा कहे की जलन होती है और उस जलन के कारण
कोशिकाओं को हानि होती है. इन कोशिकाओ के क्षतिग्रस्त होने से यकृत में कमजोरी आ
जाती है, वह बहुत कमजोर होने के कारण इसका असर उसके काम करने की गति पर पड़ता है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Hepatitis ke Karan Lakshan or Deshi Ilaaj |
इस अवस्था में यकृत की क्रियाविधि बहुत ही धीमी रहती है या फिर बिलकुल ही काम नहीं
करती है. अगर यकृत की यह बीमारी ज्यादा समय के लिए ठहर जाती है तो यकृत बहुत ही
कड़ा हो जाता है जिससे की पाचन तंत्र बिगड़ जाने की सम्भावना हो जाती है, यह रोग
ज्यादा समय तक ठीक ना होने के कारण असाध्य हो जाता है.
रोग के कारण :
यकृत को कमजोर और
बीमार करने के कारण इस प्रकार है –आजकल हमें अपने स्वाद के कारण यकृत को बीमार
होने की स्थिति में डाल दिया है. रोजाना की ज़िन्दगी में बहुत ज्यादा तेल युक्त
खाना खाते है इसके अलावा बहुत ज्यादा मसालेदार चीजे भी यकृत पर बुरा असर डालती है.
जो चीजे हम अपने स्वाद के अनुसार खाते है जैसे बहुत चटपटी चीजे , वनस्पति घी से
बने हुए पदार्थ, बेसन से बने हुए ब्रैड, बिस्कुट आदि. ये चीजे यकृत पर बहुत ही
दबाव डालती है और आसानी से पचती भी नहीं है. इन्हें पचाने के लिए यकृत को बहुत ही
मेहनत करनी पड़ती है. और उसी कोशिश में यकृत की कोशिकाएं बहुत कमजोर हो जाती है और
यकृत भी अपने सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाता है. इस तरह का खाना अगर हम रोज़
खायेंगे तो यह यकृत की परेशानी और भी बड़ा देंगे. क्योकि ऐसे खाने से पाचन तंत्र पर
बुरा प्रभाव पड़ता है वो इस खाने को पचाने में सक्षम नहीं होता. और जब खाना पूरी
तरह से पचेगा नहीं तो वो पेट के अंदर ही सड़ेगा जिसके कारण यकृत और दबाव में आ
जायेगा और काम करना बंद कर देगा. सड़े हुए भोजन के अंदर जमा होने से यकृत पर कीटाणु
आक्रमण अलग से कर देते है. इसके अलावा जो लोग शराब, गांझा, अफीम और मांस का सेवन
करते है वे तो मानो अपने यकृत को ज़हर दे रहे है. इन चीजो के प्रभाव से कीटाणु यकृत
पर हमला करके यकृत को बिलकुल ही दुर्बल बना देता है जिसके कारण यकृत पर सुजन या
शोथ हो जाती है. बहुत सी ऐसी दवाइयां है जिनका बुरा असर भी यकृत को बीमार करता है
जैसे की पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक्स, ब्युटाजोलीडीन इत्यादि. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Hepatitis Reasons Symptoms and Ayurvedic Treatment |
यकृत पर शोथ वायरस
के कारण होता है इसके अलावा अन्य भी कारण हो सकते है जैसे की माँ को हेपेटाईटिस है और जब वो अपने बच्चे को दूध
पिलाती है तो यह बच्चे को भी हो जाता है. अगर किसी संक्रमित रोगी द्वारा लिया गया
सेवन अगर किसी दुसरे के यकृत तक पहुँचता है तो यह भी यकृत शोथ का कारण बनता है.
नाख, मुंह या फिर मल मूत्र द्वार भी हेपेटाईटिस के कीटाणु किसी के शरीर में पहुच
सकते है और यकृत शोथ करते है. कई बार डॉक्टरो की लापरवाही के कारण भी ऐसा हो सकता
है. लेकिन यकृत में काम करने की और कीटाणुओं से लड़ने की बहुत ताकत होती है. अगर
यकृत के पास 10 प्रतिशत भी ताकत होती है तो वो अपने विरोधी कीटाणुओं को पचाकर
उन्हें ख़त्म कर देता है. अगर उसके पास इतनी ताकत शेष नहीं बचती तो फिर यह हमारे
स्वास्थ्य से लिए एक बुरी खबर है. इसलिए हमें इसे कमजोर करने वाले कारणों को ख़त्म
करके इसे मजबूत करना चाहिए ताकि यह अपना काम पूरी ताकत के साथ करे और हमें भी
स्वस्थ बनाये रखे. कई प्रकार के रोग जैसे अनीमिया, न्यूमोनिया, मलेरिया आदि इस तरह
की बीमारी में यकृत कमजोर हो जाता है और ये बीमारियाँ भी कई बार शोथ का कारण बनती
है. इसलिए हमें यकृत को हानि पहुचाने वाले तत्वों से बचाना है तो इन बिमारियों की अनदेखी
ना करे तुरंत ही इनका उपचार करा ले और यकृत की कमजोरी की भरपाई करे.
हेपेटाईटिस के कारण लक्षण और देशी इलाज |
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