जलवायु परिवर्तन के असर से
बहुत से चीजे विलुप्त हो जाती है या फिर होने की कगार पर होती है. जवायु परिवर्तन
होने से हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली और स्वस्थ रहने के लिए उपयोग होने
वाली बहुत सी चीजे नष्ट हो जाती है. जलवायु परिवर्तन का एक ऐसा ही खतरा औषोधीय
वनस्पतियों के लिए बना हुआ है. हिमालय रेंज की लगभग 800 से अधिक औषोधीय गुणों से
युक्त वनस्पतियाँ ख़त्म होने वाली है आयर इसका कारण वैश्विक ताप. अत्यधिक दोहन भी
इसके लिए एक जिम्मेदार कारक है. आयुर्वेदिक औषधियां अगर विलुप्त हो जाती तो फिर
आयुर्वेदिक चिकित्सा संभव नहीं हो सकेगी. अगर हमें आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ
लेना है तो उन पोधो का संरक्षण करना जरुरी है जो आजकल विलुप्त होने की कगार पर है.
इस प्रकार के पोधो की लगभग 2500 प्रजातियाँ पुरे विश्व में पाई जाती है. इनमे से
लगभग आधी प्रजितियाँ भारत में ही पाई जाती है जिनकी संख्या लगभग ११५८ के करीब है.
इन औषधियों की उपयोगिता के कारण इन वर्णन वेदों में भी किया गया है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव |
इसी से अनुमान लगाया जा सकता
है की ये कितनी उपयोगी औषधियां है. यजुर्वेद में इस प्रकार की 81 औषधियों का वर्णन
किया गया है. इसके बाद ऐसी 341 वनस्पतियों का वर्णन अर्थवेद में किया गया है. और
लगभग इतनी (341 ) ही औषधियां वनस्पतियों
का वर्णन चरक संहिता में किया गया है. और सुश्रुत में लगभग 395 औषधीयां पादपो और
प्रयोग का वर्णन है. भारत के हिमालय पर्वत और मध्य हिमालय रेंज में पाई जाने वाली
जड़ी बूटियां दुर्लभ होती जा रही है. इन दुर्लभ जड़ी बूटियों के नाम इस प्रकार है –
गंद्रायण, पिपली, सत्यानाशी, पलास, सालापरणी, दशमूल, श्योनांक, अश्रव्गंधा, पुनर्नवा,
अरण, कालाजीरा, जम्बू, ब्राहमी, थुनेर, ध्रित्कुमारी,गिलोय, निर्गुन्डी, इसवगोल,
दूधी, चित्रक, बहेड़ा, भारंगी, कुटज, इत्यादि. इन सभी के विलुप्त हो जाने के लिए
जिसको खतरा माना जा रहा है वो है जलवायु परिवर्तन और साथ ही वनों से जड़ी बूटियों
के दोहन के कारण भी यह खतरा पनपा है. इन औषधियों की बढती मांग के कारण वनों से
इनका अवैज्ञानिक तरीके से दोहन किया जाता है जिस कारण ये बहुत ही कम मात्रा में
पाई जाती है. तापमान में बढ़ोतरी के कारण भी जड़ी बूटियां विलुप्त होती जा रही है
जिनका असर भारत के हिमालयीन रेंज की औषधीय वनस्पतियों पर देखा जा सकता है. इन
औषधीय पोधो को संकट से बचने के लिए शोध कार्य किये जा रहे है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Jalvayu Parivartan ke Prbhaav |
इनके लिए नर्सरियां तैयार
की जा रही है ताकि इनको दोबारा प्रत्यारोपित किया जा सके और इनकी प्रजातियों को
विलुप्त होने से बचाया जा सके. इन सब कार्यो के लिए उच्च हिमालयीन कास्तकारो को को
प्रोत्साहित और प्रशीक्षित किया जा रहा है ताकि वे मेडिसिनल पलांट की खेती कर सके
और आयुर्वेदिक वनस्पतियों को विलुप्त या दुर्लभ होने से बचा सके.
Effects of Environment Change |
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Ujhe black hole ke baare mei vistrit jankari pradan karein
ReplyDelete"jalwayu praiwartan aur krishi me iska prabhaw" ke sambandh me bataye.
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