दूकान की वास्तु
व्यवस्था (
Architectural Management for Shop Office and Workplace )
दूकान कई प्रकार की
होती है जैसेकि किरयाना, स्टेश्नरी, कपड़ों की दूकान, सुनार की दूकान, मोबाइल की
दूकान इत्यादि. किन्तु दूकान उसके दुकानकार या व्यापारी के लिए उसकी आजीविका का
साधन होती है. जिससे वो अपना और अपने परिवारजनों का पेट भरता है इसीलिए हर
दुकानदार चाहता है कि उसकी दूकान से जुडा कोई भी दोष या समस्या जड़ से खत्म हो
जाएँ. जब बात जड़ की आती है तो सबसे पहले बात निर्माण की होती है और निर्माण बिना
वास्तु सिद्धांतों के नहीं करना चाहियें. क्योकि एक सही वास्तु सिद्धांतों से
निर्मित दूकान ही दिन प्रतिदिन उन्नति करती है. CLICK HERE TO KNOW घर का मुख्य द्वार और वास्तु ...
Dukan Karyalaya ka Vaastu |
अगर आप अपनी दूकान
का निर्माण बिना वास्तु सिद्धांतों के करते हो तो आपको तमाम प्रयासों के बाद भी
संतोषजनक सफलता नही मिल पाती. तो ध्यान रखें कि आप अपने दूकान या कार्यालय का
निर्माण करते वक़्त वास्तु सिद्धांतों को जरुर स्मरण रखें. आज हम आपको कुछ ऐसे ही
दूकान निर्माण के वास्तु सिद्धांतों से परिचित करने जा रहे है. जो आपके लिए बहुत
सहायक होंगे.
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प्रवेश
द्वार ( Entry
Gate ) : किसी भी कार्यालय के निर्माण में सबसे पहले उसके मुख्य
द्वारा का ध्यान रखा जाता है क्योकि वहीँ से सारे ग्राहक दूकान में आते है और
दूकान चलती है. इसलिए आप अपने दूकान के प्रवेश द्वार को उत्तर या फिर पूर्व दिशा
की तरफ ही बनवायें.
·
दुकानकार
का प्रवेश ( Entry
of Shop Owner ) : जब दुकानदार सुबह अपनी दूकान को खोले के लिए आता
है तो उसे सबसे पहले अपने जूते चप्पल को मुख्य द्वार से थोडा साइड में उतारने
चाहियें. फिर उसे अपने दोनों हाथ जोड़कर व आँखें बंद करते हुए दूकान को प्रणाम करना
चाहियें. साथ ही उसे ईश्वर का स्मरण करते हुए अपनी दुकान के चलने की दुआ और अपनी
गलतियों की क्षमा मांगनी चाहियें. इसके बाद उसे झुककर दूकान को छूते हुई प्रवेश
करना चाहियें. ध्यान रहें कि आप दूकान में पहले अपना दाया पैर ही रखें. CLICK HERE TO KNOW होटल की वास्तु व्यवस्था ...
दूकान कार्यालय का वास्तु |
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बैठने
की दिशा ( Sitting
Direction ) : आपने अपने बड़े बूढों को कहते सुना होगा कि इस
दिशा में मुंह करके बैठने से ये होता है या उस दिशा में मुंह करके बैठने से ये
होता है इत्यादि. ये वृद्ध अपने अपने अनुभवों के आधार पर ही कोई बात बताते है. इसी
तरह से वास्तु में माना जाता है कि दुकानदार को हमेशा उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके
ही बैठना चाहियें. क्योकि उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर की दिशा माना जाता है.
इसलिए अगर आप इस दिशा में मुंह करके बैठते हो तो आपकी दूकान में धन की वर्षा
निश्चित मानी जाती है. साथ ही आप अपने पैसों और कागजों को भी अपने दाहिने हाथ की
तरफ रखें.
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बीम ( Beem ) : ध्यान रखें कि दूकानदार या उस व्यक्ति के उपाय बीम न हो जो रिसेप्शन
या कुर्सी पर बैठा हो. इससे धन और बुद्धि दोनों की हानि होती है. किन्तु मज़बूरी की
वजह से भी आपको बीम के नीचे ही बैठना पड रहा है तो आप उसे बीम के दोनों तरफ कोई
लाल कपडा या रिबन लेकर बांधें और उसपर एक बांसुरी को लटका दें. इसके साथ ही आप उसे
टाइल्स से भी ढक दें.
Architectural Tips for Shop Office Construction |
·
अन्य
दरवाजें ( Other
Gates ) : अगर दूकान में एक से अधिक दरवाजें है तो आप
उन्हें इस प्रकार निर्मित कराएं कि वो अंदर की तरफ खुलें. वास्तुशास्त्र में माना
जाता है कि अगर दरवाजे बाहर की तरफ खुलते है तो दूकान की समृद्धि भी बाहर चली जाती
है, जिससे दूकान को ही हानि पहुँचती है.
·
जल की
व्यवस्था ( Place
for Water ) : किसी भी दूकान, शोरुम या कार्यालय में जल का
स्थान हमेशा पूर्व या फिर उत्तर दिशा ही होना चाहियें.
·
साफ
सफाई ( Clean Shop
Daily ) : दुकानदार को सुबह जल्दी उठाकर अपने नित्यकर्मों
से मुक्त होना चाहियें. उसके बाद उसे अपनी दूकान की सफाई करनी चाहियें, दूकान की
सफाई के साथ साथ उसे सभी सामान को भी व्यवस्थित करके रख देना चाहियें. अगर दूकान
में की ऐसा सामान है जिसकी आवश्यकता नही है या जिसकी दूकान में जरूरत नही है तो आप
उसे दूकान से निकाल लें. दुकानदार को ईशान कोण को मुख्य रूप से साफ़ रखना चाहियें
और हो सके तो मंदिर की स्थापना के लिए भी ईशान कोण को ही चुनना
चाहियें.
जानिए कैसा हो कार्यालय का वास्तु |
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सामान ( Material / Things or Products ) : हर दुकानदार यही चाहता है कि उसकी दूकान का सामान शीघ्र से शीघ्र बिक
जाएँ, वास्तुशास्त्र में भी इसके लिए एक उपाय है जिसके अनुसार दुकानदार को दूकान
के सामान को वायव्ये कोण में रखना चाहियें. इस कोण में रखा जाने वाला सामान जल्द
ही बिक जाता है.
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देवी
देवता की तस्वीर (
Pictures of Deities ) : दूकान में पूजा के लिए मंदिर की स्थापना ईशान
कोण में करनी चाहियें जबकि आप देवी देवताओं की तस्वीर नैत्रत्य कोण को छोड़कर कहीं
भी लगा सकते हो. आप मंदिर में रोजाना धुप व अगरबत्ती से पूजा करें और उनसे
आशीर्वाद लें.
Tarakki Dene Wali Dukaan Office |
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व्यापार
में बरकत (
Increment in Business ) : जैसेकि हर व्यापारी चाहता है कि उसके काम में दिन
प्रतिदिन उन्नति होती रहें वैसे ही आप भी अपनी दूकान के मुख्य द्वार या चौखट पर एक
पवित्र वीसा यन्त्र स्थापित कर सकते है. इससे व्यापार में उन्नति की संभावना बढती
है. साथ ही आप मुख्य द्वार पर श्री गणेश जी की ऐसी तस्वीर भी लगायें जिसमे एक तरफ
उनका मुंह बाहर की तरफ हो और दूसरी में उनका मुंह अंदर की तरफ हो.
दुकान के निर्माण या
व्यापार में वृद्धि के अन्य उपायों व वास्तु सुझावों को जानने के लिए आप तुरंत
नीचे कमेंट कर जानकारी हासिल कर सकते हो.
Vaastushastra Anusar Office ka Nirmaan |
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दुकान का मुख्य दरवाजा को खोलते समय मुख्य किस दिशा मे हो एवं दरवाजा अंदर खुले या बहार
ReplyDeleteagar dukan ka mukh paschim ki tarf ho to bhagwan ki photo kidhar lgaye
ReplyDeleteमेरी दूकान पूर्वमुखी है,ईशान कोण पर उत्तर की दिवार पर भगवान का स्थान बनाया,क्या सही है
ReplyDeleteShop ka enterance gate south side hai.. Mai jb shop open kruga to mera face north hoga...kya ye shop shi rahygi for my computer business
ReplyDeleteme apni shop 18/01/2017 opening kar sakta hu mera naam shiva hai
ReplyDeleteDukan ka muh purv ki or he or hamne utar disa me tasvir lagai he kya sahi
ReplyDeleteMari dukan dakshin mukhi hai puja kI jagh isHan kon mai hai sahi hai
ReplyDeleteDukan mukye dawar se chori honi chahiye ya piche se chori honi chahiye
ReplyDeleteमेरी शॉप बेसमेंट में है और वायव्य कोण पर दोनों साइड (उत्तर और पश्चिम) में दरवाज़े है क्या यह सही है
ReplyDeleteमेरी शॉप बेसमेंट है और वायव्य कोण के दोनों साइड (उत्तर और पश्चिम) में इंट्री है क्या सही है
ReplyDeleteमेरी दुकान पश्चिम मुखी है और कैश काउंटर किस तरफ होना चाहिए मेरी दुकान के 2 सटर है और मंदिर किस तरफ होना चाहिए बैठने पर कौन सी दिशा में मुंह करके बैठे sale भी एकदम कम हो रही है इसके लिए कोई उपाय
ReplyDeleteहलो
ReplyDeleteHiii
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