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सच में:-

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Mahamrityunjaya Mantra Jap or Arth | महामृत्युंजय मंत्र जप और अर्थ

महामृत्युंजय मंत्र का जप (Chanting Of Mahamrityunjaya Mantra)
महामृत्युंजय मंत्र  देवों के देव महादेव शिव जी से जुडा ऐसा मंत्र है जिसका जप करना पर्म फलदायी है. इस मंत्र में हम कहते हैं कि हम तीन आँखों वाले उस भगवान को पूजते हैं जो सुगंध से भरपूर है. जो हर इन्सान का पालक व पालनहार है. जैसे एक पका हुआ खीरा टूटकर कैद से आजाद हो जाता है ठीक उसी प्रकार वो इश्वर हमें मृत्यु से अमर होने की तरफ ले जाता है. इस मंत्र का जप करते वक्त हमें अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए व इसका जप ध्यानपूर्वक करना चाहिए. ऐसा करने से हमें इसका संपूर्ण लाभ मिलता है. CLICK HERE TO KNOW चमत्कारी सिद्ध शाबर मंत्र ...
Mahamrityunjaya Mantra Jap or Arth
Mahamrityunjaya Mantra Jap or Arth
कैसे बना महामृत्युंजय मंत्र  (Origin of Mahamrityunjaya Mantra) :
महामृत्युंजय मंत्र देवों के देव शिवजी का दिया गया ऐसा मंत्र है जिसे उन्होंने ऋषि मार्कण्डेय को दिया था. इसके पीछे एक कहानी है. ऋषि मृकण्ड ने एक बार अपनी पत्नी मरूदमति के साथ औलाद की प्राप्ति के वरदान के लिए भगवान शिवजी की कड़ी साधना की. शिवजी बहुत खुश हुए व उन्हें वरदान दिया और कहा कि वे अल्प आयु के एक बुद्धिमान बेटे या अधिक आयु के साथ एक कम बुद्धिमता वाले बेटे के बीच चुनाव कर सकते है ऋषि मृकण्ड ने पहला प्रस्ताव मान लिया व वरदान स्वरुप उनके एक संतान हुयी जिसकी पूरे जीवन काल की आयु महज सोलह साल तक निश्चित थी. ऋषि मृकण्ड का बेटा अब बड़ा हुआ और उसका सोलहवां जन्मदिन आने वाला था. 

हताश व निराश ऋषि मृकण्ड व उनकी पत्नी मरूदमति एक कोने में बैठे रो रहे थे. बालक के द्वारा उनकी उदासी का कारण पूछे जाने पर उन्हें अपने बेटे को शिवजी के वरदान के बारे में बताना पड़ा. उनके बेटे का 12वाँ जन्मदिन था और अब यमदूत उसे लेने के लिए आने वाले थे. अपने माँ-बाप से सच्चाई सुनकर वो बालक शिवजी के लिंग के साथ बैठकर उनकी भक्ति करने लगा व उनके नाम का जप करने लगा. जब यमदूत ने पाश फेंककर उस बालक के प्राण हरने चाहे तो शिवजी स्वयं प्रकट हुए व उस बालक की जान बचाते हुए यमदूत को मार डाला और ऋषि मृकण्ड के पुत्र ऋषि मार्कण्डेय को अमरत्व प्रदान किया. CLICK HERE TO KNOW बीज मंत्र को समझिये ...
महामृत्युंजय मंत्र जप और अर्थ
महामृत्युंजय मंत्र जप और अर्थ
महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) :
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ।।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करते वक्त ध्यान में रखने योग्य बातें (Things To Remember While Chanting Mahamrityunjay Mantra) :
1.उच्चारण में शुद्धता रखें. गलत उच्चारण ना करें. यदि आपको उच्चारण करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है तो पहले किसी से इसे सुनकर जप करना सीख लें.

2.कम से शुरुआत करें और उससे बढ़ते जाएँ. बाद में कम मन्त्रों का जप ना करें. मंत्रोच्चारण के समय आवाज होंठों से बाहर नहीं आनी चाहिए. दीपक, धुप, अगरबत्ती जलाकर रखें.

3.रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल करें.

4.               मंत्र का जप करते समय शिवजी की प्रतीमा पास रखें. साथ ही दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करें. पूर्व दिशा की तरफ मुख रखें. ध्यान पूरी तरह मंत्र में रखें. आलस्य से भरे हुए मंत्रोच्चारण ना करें.
महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र में प्रयोग किये जाने वाले कठिन शब्दों के अर्थ (Meaning Of Tough Words In Mahamrityunjay Mantra) :
§ त्र्यम्बकम् : जिसकी तीन आँखें हों
§ यजामहे : जिसे हम पूजते हैं
§ सुगन्धिम् : खुशबू / सुगंध से भरपूर
§ पुष्टि : भरा पूरा
§ वर्धनम्  : जो वृद्धि करता है
§ उर्वारुकमिव : एक खीरे की तरह
§ बन्धनान् : बंधन से
§ मृत्योर्मुक्षीय : मृत्यु से मुक्त करना
§ |मा मृतात् : अमरता की ओर


ऐसे ही अन्य शक्तिशाली और प्रभावशाली मन्त्रों के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट  करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Mahamrityunjaya Mantra Nirmaan Katha
Mahamrityunjaya Mantra Nirmaan Katha
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इस तरह के व्यवहार के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !


प्रार्थनीय
जागरण टुडे टीम

2 comments:

  1. यह मन्त्रकि शब्दार्थ नहि वाक्यार्थ चाहिए ।

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  2. पूरा वाक्यका अर्थ चाहिए शब्दकी अर्थ देनेसे समझ्ना मुस्किल हुवा।

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