खाने में छोंक लगाने की वजह ( Purpose of Condiment Food )
आप हर भारतीय घर में देख सकते है कि खाने में छोंक / तडका लगाया जाता है. इसी
तडके लगाने की विधि को खाने को संस्कारित करना कहा जाता है. इससे भोजन का संतुलन बनता
है. जिस प्रकार एक संस्कारहीन व्यक्ति पशु समान होता है ठीक उसी प्रकार से
संस्कारहीन या तकड़ाहीन भोजन भी शरीर में उथल पुथल मचा देता है और शरीर का संतुलन
बिगाड़ देता है. ये मुख्य रूप से वात – पित्त – कफ़ को प्रभावित करता है, जिससे शरीर अनेक
रोगों का शिकार हो जाता है.
भोजन में तडका लगा देने से मसालों के सभी गुण भोजन में समाहित हो जाते है और
वो स्वास्थ्य के लिएय लाभदायी बन जाता है. खाने में छोंक लगाने के महत्व को
वैज्ञानिक भी प्रमाणिक कर चुके है. किन्तु हर समय भोजन में छोंक नहीं लगाया जाता
जैसेकि सुबह के भोजन में जीरे से छोंक लगना चाहियें, दोपहर के भोजन में
अजवायन व हिंग का तो रात के भोजन में मेथी दाने से छोंक लगाना चाहियें. ये बहुत
पुरानी परम्परा है जिसे हर स्त्री पीढ़ी दर पीढ़ी संजोती आ रही है. CLICK HERE TO KNOW भोजन के समय किन बातों को स्मरण रखें ...
Bhartiya Bhojan mein Sanskaar ka Mahtv |
किस तडके से क्या लाभ ( Profit of Condiment ) :
आप इस बात को भी सुनिश्चित कर सकते है कि चायनीज, इटालियन और अंग्रेजी खानों में कभी भी छोंक नहीं लगाया जाता. किन्तु भारतीय
भोजन में छोंक लगना अनिवार्य होता है जिसके लिए सर्वाधिक जीरे राई का इस्तेमाल
होता है. किन्तु छोंक लगाने के लिए इनके साथ साथ मेथी, सौंफ और कलौंजी का इस्तेमाल भी किया जाता है. इन पाँचों के मिल जाने से
पंचफोरन तैयार हो जाता है, जो पूर्ण रूप से
स्वास्थ्य के लिए लाभदायी होता है.
- मेथी दाना ( Fenugreek Seeds ) : इन पंचफोरन में
मिला मेथीदाना वात जैसी समस्या के लिए रामबाण इलाज माना जाता है. इसीलिए रात के
भोजन में मेथी दाने से छोंक लगाना सर्वोत्तम माना जाता है.
- अजवायन ( Parsley ) : दोपहर में समय में
अजवायन से छोंक लगाने से पित्त जैसी समस्या का शमन किया जा सकता है.
- जीरे ( Cumin ) : जबकि कफ के नाश के
लिए सुबह के समय बनाये खाने में जीरे से छोंक लगाना चाहियें. इस तरह ये तीनों तीन
सबसे बड़ी समस्याओं ( वात – पित्त – कफ़ ) को नियंत्रित रखते
है. CLICK HERE TO KNOW सर्दियों का उत्तम आहार ...
भारतीय भोजन में संस्कार का महत्व |
किन्तु बदलते समाज ने सभी की सोच को भी परिवर्तित किया है जिसके कारण लोग
सिर्फ स्वाद देखते है नाकि वैदिक आयुर्वेदिक सिद्धांत. इन सिद्धांतों की अवहेलना
का मूल्य उन्हें अपने स्वास्थ्य के खराब होने से चुकाना पड़ता है. अगर आपको इन
बातों पर विश्वास नहीं है तो अपनी पुरानी से पुरानी बिमारी जिससे आपको अब तक निजात
नहीं मिली है उसको ठीक करने के लिए 3 महीनों तक बताये गए तरीके से अपने आहार को
ग्रहण करें, आपको प्रभाव खुद साफ़ दिख
जाएगा.
§ चाय में कभी भी शहद डाल कर ना पियें.
§ जब भी आप ओट्स बना रहे हो तो उसमें ना तो दूध का
इस्तेमाल करें और ना ही दही का.
§ नमकीन चावलों के साथ कभी भी दूध ना लें.
§ सूप में भी दूध ना डालें.
§ अगर आप खट्टी दही का इस्तेमाल कर रहे है तो उसे
मीठा करने के उद्देश्य से उसमें दूध ना डालें.
§ डालडा घी में बनी मिठाई, पूरी या भाठुरों का इस्तेमाल ना करें.
§ शाम के 4 बजे के बाद ना तो आपको केले का सेवन
करना है, ना ही शरबत का और ना ही दही
व आइसक्रीम का.
§ गर्मियों के दिन में आप आहार बनाते वक़्त हरी
मिर्च डालें जबकि सर्दियों के दिनों में लाल मिर्च को आहार में प्रयोग करें.
§ दिन में ठंडी तासीर वाले भोजन का ही सेवन करें
और शाम को गर्म तासीर वाला भोजन लें.
The Importance of Condiment Indian Food |
§ अगर आप दही से रायता तैयार कर रही है तो उसमे
हिंग जीरे से तडका लगाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायी होता है.
§ जब भी दाल का सेवन करें तो उसमें 1 चम्मच शुद्ध
देशी घी भी अवश्य डाल लें.
§ अगर आपका पेट खाली है तो पान से दूर रहें.
§ लगभग सभी लोग पकौड़े के साथ चाय लेते है जोकि गलत
है, आपको पकौड़ों के साथ हमेशा
गर्म कढ़ी का सेवन करना चाहियें.
§ प्रातःकाल नाश्ता करने से पहले ही फल खा लें, इसी तरह अगर आप कच्चा सलाद खा रहे है तो उसे भी खाने से पहले लें.
§ खाना खाते वक़्त दही ना लें बल्कि अधिक पानी मिला
हुआ छाछ, जूस या फिर सूप ही लें.
§ भोजन में अधिक नमक या खटाई भी आपके स्वास्थ्य के
लिए हानिकारक होती है.
तो आप इन सब विशुद्ध आहारों से बचते हुए अपने आहार को संतुलित व पौषक बनायें
ताकि आपका स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहे. स्वस्थ रहने के ऐसे ही अन्य उपायों को जानने
के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
संस्कारित आहार
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Bhartiya Bhojan
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Sanskarit, संस्कारित आहार
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