सोमरस ( Somras )
अक्सर हम वेद पुराणों और
धार्मिक टीवी सीरियलस में सोमरस के बारे में सुनते है और हममे से ज्यादातर लोग उसे
शराब यानी मदिरा समझने की गलती कर बैठते है. लेकिन आपको बता दें कि सोमरस, मदिरा और सुरापान तीनों अलग अलग
है.
सोमरस, मदिरा और सुरापान में अंतर ( Difference Between Somras, Wines and
Surapan ) :
अगर सोमरस की बात करें तो
इसमें सोम का अर्थ शीतल अमृत से होता है जो मन और शरीर को शीतलता प्रदान करता है.
वहीँ मदिरा पान से अर्थ है मद का पान, जिसे पीकर व्यक्ति अपनी सूद बुद खो बैठता है और अगर
बात सुरापान की करें तो ये एक ऐसा नशीला पदार्थ है जिसे पीने वाला युद्ध और मार
पीट करना शुरू कर देता है. CLICK HERE TO KNOW 10 हजार हाथियों की ताकत कैसे आई भीम में ...
आखिर क्या है सोमरस जाने इससे जुड़े रोचक तथ्य |
क्या है सोमरस ( What is Somras ) :
सोमरस के बारे में एक
बहुत ही अच्छी बात कही गयी है कि “यह निचौडा हुआ शुद्ध दधिमिश्रित सोमरस, सोमरस की प्रबल इच्छा रखने वाले इन्द्रदेव को प्राप्त हो”. बता दें कि सोमरस बहुत तीखा होता है इसीलिए इसमें दूध और दही मिलाकर इसे
रेडी किया जाता है. इसीलिए जो लोग सोमरस को मदिरा समझते है तो जान ले कि सोमरस
मदिरा कभी नहीं हो सकता.
सोमरस का उपयोग कब होता
था ( When Did Somras
Used ) :
सोमरस मदिरा नहीं है इसका
एक उदाहरण ये है कि इसे कई यज्ञों में भी इस्तेमाल किया जाता था और ये देवों का
मुख्य पदार्थ भी है. वराहपुराण में लिखा है सोमरस का अधिकार सिर्फ देवताओं को है, लेकिन देवताओं को भी सोमरस पाने
के लिए पहले तपस्या करनी पड़ती है और होम के माध्यम से ही उन्हें सोमरस पान करने का
अधिकार प्राप्त हो पाता था.
सोमरस से जुडी मान्यताएं
( Beliefs Related to
Somras ) :
हमारी धरती पर हर चीज से
जुडी अनेकों मान्यताएं भी होती है और सोमरस से जुडी एक ऐसी ही मान्यता के अनुसार
पहाड़ों पर सोम नाम की लताएँ मिलती है. मान्यताओं के अनुसार ये पहाड़ियाँ राजस्थान
के अर्बुद, विध्यांचल
पर्वत, मलय पर्वत और उड़ीसा के हिमाचल की पहाड़ियों पर पायी
जाती है. वहीँ कुछ ऐसे विद्वान व्यक्ति भी है जिनका कहना है कि सोम का पौधा भी
होता है जोकि अफगानिस्तान के पहाड़ी इलाके में मिलता है. इस पौधे का रंग गहरा
बादामी होता है और इसमें कोई पत्तियाँ नहीं होती.
सोम से जुडी एक और
मान्यता प्रचलित है जिसके अनुसार वैदिक काल में जो लोग होम अनुष्ठान करते थे सिर्फ
उन्हें ही सोम की जानकारी थी लेकिन उन्होंने इसकी जानकारी किसी भी आम व्यक्ति को नहीं
दी. धीरे धीरे ये लोग और उनके अनुष्ठान खत्म होते गये और सोम की जानकारी भी
विलुप्त होती गयी. यही कारण है कि आज सोम को पहचान पाना लगभग नामुमकिन जैसा है.
Aakhir Kya Hai Somras Janen Isse Jude Rochak Tathya |
ऋग्वेद में सोमरस बनाने
की विधि ( Method of
Preparing Somras in Rig Veda ) :
ऋग्वेद को ज्ञान का भंडार
माना जाता है, कहते है
जीवन की हर समस्या का हल और ज्ञान ऋग्वेद में छिपा हुआ है और इसीलिए सोम भी ऋग्वेद
से अछुता नहीं है.
ऋग्वेद में कहा गया है कि “उच्छिष्टं चम्वोर्भर सोमं पवित्र आ
सृज | नि धेहि गोरधि त्वचि ||”
अर्थात – सबसे पहले आप सोमरस को अच्छी तरह
कूटकर एक बर्तन में निकाल लें और फिर उसे पवित्र कुशा पर रखें और छान लें.
औषधि : सोम: सुनोते: पदेनमभिशुण्वन्ति | निरुक्त शास्त्र
अर्थात – सोमरस वो औषधि है, जिसे पहले कुटा जाता है और उसे पीसकर उसका रस निकाल लिया जाता है. उसके
बाद उस रस में गाय का दूध मिलाते है ताकि वो गवशिरम् बन जाए और अगर आप दही मिलाते
है तो वो दध्यशिरम् बन जाता है. फिर इसमें घी या शहद को मिलाया जाता है और इस तरह
आपका सोमरस तैयार होता है.
बता दें कि सोमरस का
वैदिक यज्ञों में एक बड़ा महत्व रहा है और इसकी 3 अवस्थाओं के बारे में बताया गया
है – पेरना,
छानना और मिलाना. यज्ञ के दौरान ऋषि मुनि सोमरस को तैयार करते थे और
फिर उसे देवी देवताओं को अर्पित करते थे. उसके बाद उस सोमरस को प्रसाद के रूप में
खुद ग्रहण करते थे.
सोमरस के गुण ( Properties of Somras ) :
कहते है कि सोमरस बिलकुल
संजीवनी बूटी की तरह काम करता है, इसको पीने वाला व्यक्ति खुद को हमेशा जवान और ताकतर महसूस करता है. जहाँ
सोमरस पीने में स्वादिष्ट और मीठा होता है वहीँ ये शरीर को बलशाली और आपको अपराजेय
बनाता है. इसीलिए शास्त्रों में इसे बलवर्धक पेय बताया गया है.
वहीँ अगर आध्यात्म की बात
करें तो कहा जाता है कि सोम वो रस है जो मनुष्य के अंदर, साधना की उच्च अवस्था में पैदा
होता है. इसलिए इसे सिर्फ एक औषधि नही माना जाता बल्कि इसे शरीर के भीतर पाया जाने
वाला अमृत माना जाता है. इसे ना तो खाया जा सकता है और ना ही इसे पीया जा सकता है,
बस इसे पाया जा सकता है.
Somras ka Aadhyatmik Arth |
सोमरस से जुड़े किसी भी अन्य
रोचक तथ्य के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल
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