ध्यान कैसे करें ( How to do Meditation )
ध्यान एक ऐसी अवस्था है जो
व्यक्ति के तन, मन और आत्मा को एक साथ जोडती है. ध्यान कर अर्थ होता है स्वयं को
पाना और स्वयं को पाने का एकमात्र साधन ध्यान ही है. ध्यान व्यक्ति की सारी उर्जा
को केन्द्रित करता है. साथ ही ध्यान को पर्दा हटाने की कला भी माना जाता है और ये
पर्दा व्यक्ति के बाहर नही बल्कि उसके अंदर, उसके अंतस्थल पर पड़ा होता है. लेकिन
ये पर्दा है किस चीज़ का होता है और ध्यान इसे हटाता क्यों है?.
ये पर्दा है विचारो का,
विचारो के ताने बाने का जैसेकि अच्छे विचार, बुरे विचार और ऐसे विचार जो आपको
बांधे रखते है. अगर आप इन विचार के पार झाँकने लग जाते हो या अपने विचारो को काबू
करने में सफल हो जाते हो तो आपको शांति की अनुभूति होने लगी है. इसीलिए निर्विचार
अवस्था को ही ध्यान कहा जाता है. व्यक्ति के अंदर चल रहे अलग अलग विचारो का कारण
होता है व्यक्ति का मन जो कभी भी शांत नही बैठता, कुछ न कुछ सोचता ही रहता है,
जिससे व्यक्ति को न तो संतुष्टि हो पाती है और ना ही वो शांत रह पाता है. ध्यान
आपके मन को काबू करना सिखाता है और आपको उस अकल्पनीय शांति का अनुभव करता है, जो
आपको मोक्ष के दरवाजे तक ले जाती है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Dhyan Kaise Karen or Iski Prkriya |
ध्यान लगाने की प्रिक्रिया ( Process of Meditation ) :
§ समय (
Time ) : वैसे तो ध्यान लगाने या करने का कोई निश्चित समय नही होता
किन्तु ये एक ऐसी प्रिक्रिया है जिसे आपको आराम के साथ करना होता है तो आप ध्यान
के लिए ऐसा समय चुने जिस वक़्त आप आरामदेह महसूस कर रहे हो.
§ लम्बी सांसे लें ( Breath well ) : ध्यान की शुरुआत करते वक़्त आप आराम से गहरी और लम्बी लम्बी
सांसे लें और छोड़ें. लम्बी लम्बी साँसे लेने से आपके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा
बढती है और आप अपने मन को ध्यान पर केन्द्रित कर पाते हो. साथ ही आप थोडा व्यायाम
भी अवश्य कर लें.
§ जगह और स्थिति ( Place and Situation ) : ध्यान लगाने के लिए व्यक्ति को एक शांत जगह का चुनाव करना
होता है. जहाँ कोलाहल न हो और जहाँ वो आराम से बैठ सके. जब भी आप ध्यान के लिए बैठे
तो आप पालथी मार कर ही बैठे, कमर को सीधा रखे और अपने हाथो को अपने पैरो के घुटनों
पर ही रखें.
§ बाहरी हलचल से बचें ( Avoid External Movements ) : आप ध्यान करते वक़्त अपनी
आँखों को बांध कर लें और हो सके तो अपने कानो में थोड़ी थोड़ी रुई भी लगा लें, ऐसा
करने से बाहरी हलचल आपके ध्यान में बाधाएं पैदा नही कर पाती.
§ मन को भागने न दें ( Don’t feel Excited ) : जब आप ध्यान की अवस्था में पहुँचने लगते है तो आपके
मस्तिष्क के अंदर चल रही बातो की आवाज आपको सुनाई देने लगती है, आप उन आवाजो को
सिर्फ सुने, उनपर विश्लेषण न करें. कोशिश करें कि आपका मन उन आवाजो की तरफ ना
भागे. आप अपने मन को शांत रखने की कोशिश करते रहे.
§ भटके नही ( Don’t
Wander ) : अपनी सोच को भी
बिलकुल न भटकने दे. क्योकि आपकी सोच आपको फिर से आपको सांसारिक बातो में फ़साने की
कोशिश करती है.
§ ध्यान समाप्त करें ( End
Meditation ) : कुछ समय के बाद आप अपनी आँखों को आराम से खोले और कुछ समय के लिए वहीं उसी
मुद्रा में बैठ कर अपने ध्यान के बारे में विचार करें.
ध्यान से लाभ ( Advantage of Meditation ) :
मानसिक लाभ ( Psychological Profits ) : व्यक्ति सारा दिन
शोर और प्रदुषण के बीच रहता है, इनसे मानसिक तनाव का और थकान का होना सामान्य बात
होती है. ध्यान आपको तनाव के दुष्प्रभावो से बचाता है क्योकि निरंतर ध्यान करने से
मनुष्य को नयी उर्जा की प्राप्ति होती है, जिससे आप थकानमुक्त महसूस करते हो.
मानसिक तनाव से मुक्त होने के लिए ध्यान को गहरी से गहरी नींद से भी ज्यादा
लाभदायक माना जाता है. इसका लाभ ये होता है कि आपकी सारी चिंताएं कम हो जाती है.
आपकी चेतना आपके अन्दर सामंजस्य बैठा लेती है और जब भी आप भावनात्मक रूप से परेशान
होते हो तो ध्यान आपके अंदर हौसला भर देता है, जिससे आप शांत और निर्मल महसूस करने
लगते हो.
How to Do Meditation and Its Process |
शारीरिक लाभ ( Physical Profits ) : ध्यान व्यक्ति के मन
मस्तिष्क के साथ साथ उसके शरीर को भी उर्जा प्रदान करता है, ये व्यक्ति के शरीर की
सभी कोशिकाओं के अंदर प्राण शक्ति संचारित करता है. अगर आपके शरीर की कोशिकाओं में
प्राण शक्ति होती है तो आप स्वस्थ महसूस करने लगते हो. इससे आपका रक्तचाप
नियंत्रित रहता है, आपका सिरदर्द दूर होता है, शरीर की बिमारियों से लड़ने की शक्ति
में विकास करता है, ये शरीर की स्थिरता को बनाये रखता है और शरीर को मजबूती देता
है.
आध्यात्मिक लाभ ( Spiritual Profit ) : ध्यान को करने का
सही प्रयोजन मन और आत्मा की शांति से ही होता है, ये शांति व्यक्ति के मन और शरीर
दोनों को मजबूती देती है. ध्यान व्यक्ति की चेतना से विचारो और भावनाओं के बादल को
साफ़ करता है और व्यक्ति को शुद्ध रूप से वर्तमान में लाकर खड़ा कर देता है. कहा
जाता है कि व्यक्ति इस संसार में काम, क्रोध, लोभ, मोह और वासना के जाल में फंसा
रहता है, ध्यान हमे इन्ही पांचो पापो से मुक्त करने में हमारी मदद करता है और
हमारे विकारो को खत्म करता है.
आत्मिक ज्ञान ( Aatmik Knowledge ) : ध्यान को वो अवस्था
माना जाता है जो व्यक्ति की आत्मिक शक्ति को भी बढाता है. आत्मिक शक्ति से ही
व्यक्ति को मानसिक शक्ति की अनुभूति होती है और अगर आपकी मानसिक शक्ति स्वस्थ है
तो आपका शरीर भी स्वस्थ रहता है. क्योकि ध्यान हमारी सारी उर्जा को केन्द्रित करता
है तो ये हमारे मन और शरीर दोनों में शक्ति का संचार करता है और हमारे आत्मिक और
मानसिक बल को बढ़ता है और इसी तरह से ये हमारे मन, तन और आत्मा से जुडा हुआ है.
- ध्यान व्यक्ति की कल्पना करने की शक्ति को भी बढाता है,
जिससे उनके निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है. ध्यान से व्यक्ति के सभी
रोग और शोक दूर होते है और व्यक्ति को आतंरिक रूप से प्रसन्नता मिलती है.
- ध्यान व्यक्ति की चिंता को उसके चिंतन में बदल देता है और
चिंता से होने वाले रोगों को खत्म करता है. ये आपके व्यवहार को सुधारने में भी
आपकी मदद करता है. ध्यान व्यक्ति को उसके वर्तमान को देखने और समझने में भी मदद
मिलती है. अगर देखा जाए तो ये आपके विवेक को बढाता है और विवेक के जाग्रत होने से
व्यक्ति का होश बढ़ता है, होश बढ़ने से व्यक्ति को अपनी मृत्यु के समय देह छूटने का
बोध रहता है. यदि आपको अपनी देह के छूटने का बोध रहता है तो आपका जन्म आपकी मुट्ठी
में ही होता है. इसीलिए व्यक्ति के जीवन में ध्यान का अत्यधिक महत्व है.
ध्यान करने के लिए आपको
ज्यादा समय देने की जरूरत नही होती, इसकी शुरुआत आप प्रतिदिन 5 मिनट से कर सकते हो
पर आप इसे नियमित रूप से जरुर करें. धीरे धीरे आप इसे करने के समय को 5 से 10 कर
दें. जल्द ही आप महसूस करने लगोगे कि ध्यान आपके जीवन पर अपना प्रभाव डाल रहा है.
ये आपके मस्तिष्क में एक बीज के रोपण की तरह शुरुआत करता है और समय के साथ साथ
बढ़ता है और आपको स्वादिष्ट फल प्रदान करता है.
ध्यान कैसे करें और इसकी प्रक्रिया |
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