खरबूजा हमारे पसंदीदा फलों
में से एक है. यह गर्मी के मौसम में होने वाला फल है. यह फल नदियों के किनारे
रेतीली मिट्टी वाले जगहों पर होता है. खरबूजा का पेड़ नहीं होता, इसकी बेल होती है.
खरबूजे की खेती करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है.
कच्चे खरबूजे का रंग हरा
तथा स्वाद में खट्टा होता है. पके हुए खरबूजे का रंग पीला – भूरा होता है यह खाने में
मीठे होते है. आयुर्वेदानुसार गरम प्रकृति के लोगों को खरबूजे का सेवन अधिक
नहीं करना चाहिए , इसका अधिक सेवेन करने
से हमे नुकसान भी हो सकता है.
खरबूजे में विटामिन ‘ सी ‘
पाया जाता है. इसमें शर्करा तथा खनिज लवण भी पाए जाते हैं.
खरबूजे में क्षारीय
तत्व भी पाया जाता है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Kharbuje ke Ayurvedic Laabh Mahatav |
खरबूजे में अनेक पदार्थ
निम्न मात्रा में पाए जाते हैं-
1.
खरबूजे में प्रोटीन
0.6 प्रतिशत पाया जाता है.
2.
इसमें वसा 0.1
प्रतिशत पाई जाती है.
खरबूजे में अनेक तत्व भी
पाए जाते हैं जैसे-
1.
गुरदे
2.
मसाने तथा
3.
आंतों की सफाई करने
वाले तत्व आदि
गर्मी के मौसंम में तथा
सर्दी के मौसम में हम इसके बीजों को अन्य द्रव्यों के साथ उपयोग में ला सकते हैं.
खरबूजा हमें निम्न अनेक
रोगों से मुक्त रखता है –
1.
इसका नियमित सेवन करने से हमारा पेट साफ रहता है.
2.
यह शरीर में गर्मी से
होने वाली जलन को शांत करता है.
3.
खरबूजा खाने से
पेशाब खुलकर आता है.
4.
यह मस्तिष्क की
गर्मी को भी शांत करता है.
5.
इसका सेवन करने से
पीलिया तथा जलोदर के रोग से भी मुक्त हो जाते हैं.
6.
इसे खाने हमें पसीना
आता है जो हमारी पेट की गर्मी दूर करता है.
7.
खरबूजा खाने से गले
की जलन एवं यकृत की सूजन भी मिट जाती है.
8.
खरबूजा हमारे लिए
गुर्दे तथा पथरी के रोगों में भी लाभदायक है.
Ayurvedic Benefits of Muskmelon |
यदि आप खरबूजे को दवाई के
रूप खा रहे हैं तो आपको रोज हर तीन घंटे में चार बार लेना चाहिए अर्थात एक दिन में
लगभग 1 किलो 500 ग्राम खरबूजा ही खाना चाहिए इससे अधिक नही खाना चाहिए. खरबूजा
खाने के बाद हमें शर्बत पीना चाहिए, शर्बत पीने से यह जल्दी पचता है.
खरबूजे का अधिक सेवन करने
से यह हमारी आंतों के लिए हानिकारक हो सकता है , इसलिए खरबूजा खाते समय हमे अत्यंत
सावधानी रखनी चाहिए. हैजे से पीड़ित लोगों को खरबूजे का सेवन करना उनके लिए बहुत
हानिकारक हो सकता है. खरबूजा खाने के तुरंत बाद दूध नही पीना चाहिए. इससे हैजा हो
सकता है. हमें खरबूजा भूखे पेट नहीं खाना चाहिए इससे पित्त अथवा ज्वर हो सकता है.
खरबूजे को आधा घंटा ठण्डे पानी में भिगोकर
खाने से पित्त की आशंका नही रहती है.
खरबूजा खाने के बाद एक गिलास पानी पीना या खरबूजे के टुकड़ों को चीनी और पानी में
डालकर खाना हमारे लिए अत्यंत लाभकारी होता है.
आयुर्वेदानुसार खरबूजे के
निम्न औषधीय उपयोग होते हैं –
1.
बच्चों की बढ़त –
आयुर्वेदानुसार खाना खाने के बाद नियमित रूप से खरबूजा खाने से बच्चे तेजी से बढ़ते
हैं.
2.
गुर्दे का दर्द – आप
खरबूजे के छिलकों को सुखाकर, पीसकर चूर्ण बनाकर पानी में उबालकर, छानकर, चीनी मिलाकर, सुबह – शाम पी सकते हैं इससे गुर्दे का दर्द दूर हो जाता है.
3.
बेचैनी व प्यास – हम
खरबूजे की मींगी व मिश्री मिलाकर पी सकते हैं इससे हमारी बेचैनी व प्यास मिटती है.
4.
नजला व सूखी खांसी –
खरबूजे के बीज, गोद, कीकर, मकई का मेदा पीसकर, चने के बराबर गोलियां बनाई जाती है. रोज 4 – 5
गोलियां खाने से नजला व सूखी खांसी दूर हो जाती है.
5.
पथरी – पथरी से
पीड़ित लोगों को खरबूजे के छिलकों पीसकर पानी में मिलाकर पीने से पथरी से होने वाले
पेट दर्द में आराम मिलता है.
6.
चक्कर आना – खरबूजे
की मींगी को पीसकर, घी में भूनकर, उसमें खांड मिलाकर खाने से चक्कर आना बंद हो
जाता है.
7.
लू लगने पर – लू
लगने पर इसके बीजों को पीसकर सिर या शरीर पर लेप लगाया जाता है.
8.
कब्ज – खरबूजे के
टुकड़ों पर सैंधा नमक व काली मिर्च बुरक कर खाने से हम कब्ज रोग से मुक्त हो जाते
हैं.
9.
बच्चों का बहुमूत्र –
इस अवस्था में बच्चों को बीजों को ठंडाई के द्रव्यों के साथ पीसकर पिलाया जाता है.
10.
दांतों की सुन्दरता –
खरबूजे को चबाने से हमारे दन्त साफ रहते हैं.
11.
चहरे की झांई –
खरबूजे के छिलकों को पीसकर इसका लेप चहरे पर लगाया जाता है इससे चहरे की झांई
मिटती है.
12.
रक्त विकार – इस
अवस्था में रोगीयों को खरबूजे का नियमित सेवन करना उनके लिए लाभदायक होता है |
खरबूजे के आयुर्वेदिक लाभ महत्व |
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