झूलेलाल जयंती (Jhulelal Jayanti)
झूलेलाल सिंध प्रान्त के एक प्रसिद्ध संत हैं. जिन्होंने सिंध प्रान्त के लोगों
का धर्म परिवर्तन होने से बचाया था. इनका जन्म चैत्र मास की अमावस्या को
सिंध क्षेत्र के नस्सरपुर नामक स्थान पर एक साधारण परिवार में हुआ था. इनका
बचपन का नाम उदेरो लाल था. इनकी माता का नाम देवकी देवी था. तथा
इनके पिता का नाम रतन लाल था.
झूलेलाल के अन्य नाम (Other Names of Jhulelal) – हिन्दू समुदाय के लोग
इन्हें लाल साईं तथा वरुण देवता के पुत्र के नाम से सम्बोधित करते
हैं. तो मुस्लिम समुदाय के लोग इन्हें जींद पीर कहकर पुकारते हैं. सिंध
प्रदेश के लोगों का मुख्य कार्य व्यापार करना हैं. व्यापार करने के लिए सिंध
प्रान्त के लोग नाव का इस्तेमाल कर विभिन्न स्थानों पर जाते थे और अपना समान बेचते
थे. जो व्यक्ति सिंध नदी से एक स्थान से दुसरे स्थान पर जाते हैं वो अपनी यात्रा
को शुभ बनाने के लिए जाने से पहले झुलेलाल को जल देवता के रूप में पूजते
हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT छत्रपति शिवाजी जयंती ...
Happy Sant Jhulelal Jayanti |
वरुण देवता के अवतार झुलेलाल का जन्म (Jhulelal Birth)
कहा जाता हैं कि वर्षों पूर्व 11 वीं शताब्दी में सिंध प्रदेश के थट्टा जिले
में एक मिर्खशाह नाम का राजा था. जो सिंध के लोगों पर बहुत ही अत्याचार करता था.
उसने अपने धर्म का प्रसार करने के लिए सिंध देश की जनता को अपना धर्म परिवर्तन
करने की आज्ञा दी. इस मुसीबत से मुक्त होने के लिए सिंध प्रदेश के सभी लोगों ने
इकट्ठे होकर सिंध नदी के पास जाकर विष्णु के अवतार वरुण देवता से 40 दिनों तक
प्रार्थना की. जनता के द्वारा की गई तपस्या और प्रार्थना से वरुण देव प्रसन्न हो
गये और उन्होंने सिंध नदी में एक मछली के रूप में लोगों को अपने दर्शन दिए और
भविष्यवाणी की कि 40 दिनों के बाद चैत्र पक्ष में मैं धरती पर जन्म लूँगा और मिर्खशाह
के अत्याचारों को नष्ट करूँगा. वरुण देव की भविष्यवाणी के अनुसार ही 40 दिन के बाद
झुलेलाल ने सिंध प्रदेश में जन्म लिया.
संत के रूप में झुलेलाल (Jhulelal As A Sant)
कहा जाता हैं कि झुलेलाल का जन्म होने के बाद से ही सिंध प्रान्त में चमत्कार
होने शुरू हो गये. उन्होंने मिर्खशाह को सबक सिखाया. जिससे मिर्खशाह ने सिंध के
लोगों का धर्म परिवर्तन नहीं करवाना बंद कर दिया.
झुलेलाल ने जन्म लेने के उपरांत समाज कल्याण के लिए बहुत से कार्य किये.
उन्होंने विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया और सभी जगहों पर लोगों को एकता, प्रेम और
सामंजस्य का सन्देश दिया. साहस और वीरता का पाठ पढ़ाया. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT गुरु नानक जयंती ...
संत झूलेलाल जयंती मुबारक हो |
चेटीचंड (Chetichand)
चेटीचंड झुलेलाल के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन सिंध प्रान्त
के लोग सुबह भक्तिभावना से संत झुलेलाल की पूजा करते हैं तथा दोपहर में एक
शोभायात्रा निकालते हैं. इस शोभायात्रा में सिन्धी लोग नाचते – गाते हैं और प्रसाद
वितरण करते हैं. चेटीचंडी की शाम को “बहरोना” नामक एक सांस्कृतिक कार्यक्रम
का आयोजन किया जाता हैं. इस कार्यक्रम में एक प्रकार का लोक नृत्य घुन्घुरुओं को
बांध कर किया जाता हैं और झुलेलाल के गीत गाए जाते हैं. नाच – गाने के बाद शाम को
प्रार्थना की जाती हैं और दिए जलाये जाते हैं तथा उन्हें नदी में प्रवाहित कर दिया
जाता हैं. दिए जलाकर नदी में प्रवाहित करने की इस परम्परा को “ओखी” कहा
जाता हैं. दिए जलाने के बाद प्रसाद के रूप में ज्वार से बनी नान और पुदीने की चटनी
बाँटी जाती हैं और सामूहिक भोज का कार्यक्रम किया जाता हैं.
झूलेलाल जयंती या चेटीचंड के बारे में अधिक जानने
के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
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भगवान झूलेलाल जे बचपन जे चमतकारण मां हिकडो चमत्कार लिखो
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