इस वेबसाइट पर किसी भी तरह के विज्ञापन देने के लिए जरूर CONTACT करें. EMAIL - info@jagrantoday.com

Note: इस वेबसाइट ब्लॉग पर जो भी कंटेंट है वो मात्र सुचना और शिक्षा के लिए दी गयी है. किसी भी कंटेंट को प्रयोग अगर किया जाता है तो उसके लिए खुद प्रयोग करने वाला ही हर तरह से जिम्मेदार होगा. हमने यहाँ अपने विचार प्रकट किये है. इसीलिए इसमें हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं - धन्यवाद

कुछ ख़ास आपके लिए :-

Best Full Body Massage Maalish Parlour in Rohtak Haryana - बेस्ट फुल बॉडी मसाज मालिश पार्लर इन रोहतक हरयाणा

  Best Full Body Massage Maalish Parlour in Rohtak Haryana सबसे पहला प्रश्न तो यही है की हमे बॉडी मसाज या शरीर पर मालिश ( Full Body Massa...

Happy Tailang Svami Jayanti | तैलंग स्वामी जयंती मुबारक हो

महात्मा, योगी, तपस्वी तैलंग स्वामी जयंती (lord, Yogi ,Ascetic Tailang Swami Jayanti)
तैलंग स्वामी बहुत बड़े सिद्ध पुरुष, योगी और तपस्वी थे. इसमें एक ऐसी अदभुत शक्ति थी. जिससे ये अपने सामने बैठे हुए व्यक्ति के अंतर्मन में क्या चल रहा हैं यह जान लेते थे. तैलंग स्वामी बहुत ही नम्र स्वभाव के संत थे. इसलिए इनकी याद में प्रतिवर्ष माघ महीने में इनकी जयंती मनाई जाती हैं.

जन्म स्थान तथा तिथि (Place And Date of Birth) – तैलंग स्वामी का जन्म सन 1607 ई. के माघ (जनवरी) महीने के एकादशी तिथि को दक्षिण भारत के विजियाना जनपद के होलिया नगर के एक ब्राहमण परिवार में हुआ था. इनकी माता का नाम विद्यावती था तथा पिता का नाम नृसिंहधर था. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT संत रविदास जी की जयंती ...
Happy Tailang Svami Jayanti
Happy Tailang Svami Jayanti


तैलंग स्वामी का जीवन (Life of Tailang Swami)
तैलंग स्वामी जी का बचपन का नाम तैलंगधर था. इन्हें बचपन से ही संतों, योगियों तथा महापुरुषों की सेवा करना पसंद था तथा इन्होने अपना पूरा बचपन संतों की शरण में रहकर ही व्यतीत किया था. इसलिए इन्होने बड़े होकर वैराग्य के पथ का चुनाव किया. इनके जन्म के कुछ वर्षों के बाद ही इनके माता – पिता का स्वर्गवास हो गया. ऐसा कहा जाता हैं कि जिस श्मशान घाट पर इनके माता – पिता को अग्नि को समर्पित कर दिया गया था. उसी श्मशान घाट पर इन्होने 20 साल तक निवास किया था और इसी स्थान पर इन्होने अपनी तपस्या पूर्ण की थी.

तैलंग स्वामी की वैराग्य जीवन तथा प्रसिद्धि की शुरुआत (Victory And Fame Begane of Tailang Swami)
तैलंग स्वामी ने अपनी बीस साल की तपस्या को पूर्ण करने के बाद विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करना शुरू किया. सन 1679 में स्वामी जी सिद्ध पुरुषों की सेवा करते – करते महान तीर्थ स्थान पुष्कर पहुंचे. पुष्कर में आने के बाद इनकी भेंट एक भगीरथानंद सरस्वती जी से हुई थी. जिनकी शरण में रहकर इन्होने उनसें वैराग्य के पथ पर चलने की शिक्षा ली थी. भगीरथानंद सरस्वती जी के साथ तैलंग स्वामी ने 10 वर्षों तक फिर से तपस्या की. जिसके बाद इन्हें अलौकिक तथा दिव्य शक्ति प्राप्त हुई. जिसका प्रयोग करके इन्होने एक मृत ब्राह्मण को फिर से जीवित कर दिया. इसके बाद इनकी शरण में अनेक बिमारियों से तथा समस्याओं से परेशान व्यक्ति आने लगे. इन्होने कई निर्धन तथा पुत्र योग न बनने से पीड़ित लोगों की समस्याओं का भी इन्होने अपनी दिव्य शक्तियों से निवारण कर दिया. जिसके बाद से ये पूरे संसार में विख्यात हो गये.

भगवान की प्राप्ति के लिए महात्मा तैलंग स्वामी की मान्यताएं
1.    सिद्ध पुरुष योगी तथा संत तैलंग स्वामी का मानना था कि  “भगवान मनुष्य शरीर में ही विराजते हैं.”

2.    उनका कहना यह भी था कि “ जितना परिश्रम मनुष्य सांसारिक जीवन को जीने के लिए करता हैं यदि उसका एक अंश भी परिश्रम मनुष्य भगवान को पाने के लिए करें. तो वह अवश्य ही भगवान को पाने में समर्थ हो जाएगा ” तथा जब मनुष्य भगवान को प्राप्त कर लेगा तो उसके लिए किसी भी वस्तु को पाना असम्भव नहीं होगा. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT सुभास चन्द्र बोस जयंती ...
तैलंग स्वामी जयंती मुबारक हो
तैलंग स्वामी जयंती मुबारक हो


3.    उनकी मान्यता यह भी थी कि “ भगवान की प्राप्ति करने का सबसे सरल मार्ग केवल साधना ही हैं. ” इसलिए यदि कोई मनुष्य भगवान को सच्चे मन से प्राप्त करना चाहता हैं तो उसे भगवान की भक्ति करनी चाहिए तथा अपने गुरु के द्वारा दिखाए गये मार्ग पर ही चलने का प्रयास करना चाहिए.

4.    तैलंग स्वामी एक हठ योगी, लय योगी तथा ज्ञान योगी थे तथा ये अपना पूरा जीवन लोगों का कल्याण करने के लिए समर्पित कर चुके थे. तैलंग स्वामी संसार के मोह – माया के बंधन से भी दूर हो गये थे. उनका मानना था कि “ यदि कोई व्यक्ति भगवान को जानने के लिए जिज्ञासित हैं तो उसे पहले अपने आपको अच्छी तरह से जानने का प्रयास करना चाहिए. ” क्योंकि जब तक हम अपने आप को भली – भांति नहीं जान लेते. तब तक हम भगवान को भी नहीं जान सकते.

5.    महात्मा तैलंग स्वामी भगवान से साक्षात्कार करने का सबसे सरल और उत्तम मार्ग साधना को तथा उनकी उपासना को मानते थे. स्वामी जी सदैव इन पर ही अधिक बल भी देते थे तथा कहते थे कि “ जो मनुष्य ईश्वर को जानना चाहता हैं या उन्हें पाने की इच्छा रखता हैं उसे इनकी उपासना आवश्यक रूप से करनी चाहिए. ”

महात्मा, योगी, तपस्वी तैलंग स्वामी के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
 Tailang Svami Jayanti
 Tailang Svami Jayanti



Dear Visitors, आप जिस विषय को भी Search या तलाश रहे है अगर वो आपको नहीं मिला या अधुरा मिला है या मिला है लेकिन कोई कमी है तो तुरंत निचे कमेंट डाल कर सूचित करें, आपको तुरंत सही और सटीक सुचना आपके इच्छित विषय से सम्बंधित दी जाएगी.


इस तरह के व्यवहार के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !


प्रार्थनीय
जागरण टुडे टीम

No comments:

Post a Comment

ALL TIME HOT