गिलोय ( Giloy )
गिलोय की खासियत,
महत्व और इसके गुणों के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है क्योकि गिलोय को
आयुर्वेद का अमृत कहा जाता है, ये बेल ना तो खुद मरती है ( गिलोय की बेल कई साल जीती है ) और ना ही किसी और को ही मरने देती है. जिसकी
वजह से इसे अमृता के नाम से भी जाना जाता है. किन्तु आयुर्वेद में सिर्फ उसी गिलोय
को श्रेष्ठ माना जाता है जो नीम पर चढ़ी हो. इसीलिए अगर आपके घर के आसपास कोई नीम
का पेड़ है तो आप उसकी जड़ में गिलोय को जरुर बो दें. नीम के पेड़ पर चढ़ी हुई बेल
उसका गुड सोख लेती है जिससे गिलोय के गुणों में इजाफा होता है. CLICK HERE TO KNOW गिलोय अमृता औषधीय और आयुर्वेद का खजाना ...
Aayurved ka Amrit Giloy |
गिलोय
की पौराणिक कहानी ( Legendry Story of Giloy ) :
गिलोय के बारे में
पुराणों में एक कहानी है कि जब देवताओं और दानवों के बीच में युद्ध हो रहा था तो
अमृत कलश छलकने लगा था, कलश के छलकने से जहाँ जहाँ अमृत की बूंदें गिरी वहाँ वहाँ
गिलोय की बेल उग गयी. इसीलिए गिलोय की बेल हर जगह मिल जाती है गिलोय की बेल के हर
जगह मिलने के कारण ही इसे हर जगह अलग नाम सा पुकारा जाता है, जो निम्नलिखित है.
गिलोय
के विभिन्न नाम ( Different Names of Giloy ) :
- अंग्रेजी : गुलंच
- कन्नड़ : अमरदवल्ली
- गुजराती : गालो
- मराठी : गुलबेल
- तेलुगु : गोधुची
- फ़ारसी : गिलाई
- तमिल : शिन्दिल्कोदी
- वैज्ञानिक नाम : टिनोस्पोरा कोड्रीफ़ोलिया
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आयुर्वेद का अमृत गिलोय |
गिलोय को जो बेल नीम
के पेड़ पर चढ़ी होती है उसे अमृता, कुंडलिनी गुडूची, तंत्रिका और मधुपर्ण भी
कहा जाता है. प्राचीन काल से ही गिलोय का उपयोग प्राकृतिक आयुर्वेदिक औषधि के रूप
में किया जाता है. जो अनके रोगों से निवारण के लिए उपयोगी मानी जाती है. गिलोय का
रस पीने से अनेक कष्ट और बीमारियाँ दूर हो जाती है.
गिलोय का
इस्तेमाल ( How to Use Giloy ) :
गिलोय की लता दिखने
में झाड़ीदार होती है जिसकी बेल की मोटाई लगभग एक ऊँगली के सामान होती है.
- इसका इस्तेमाल इसे सुखाकर चूर्ण के रूप में किया
जा सकता है.
- गिलोय का काढ़े के रूप में इस्तेमाल करने के लिए
इसकी बेल को लें और उसे नाख़ून से छील लें. आपको इसके अंदर हरा भाग दिखेगा. उससे आप
काढ़ा बनायें.
- इसके अलावा इसका लेप, गोली इत्यादि बनाकर भी
इस्तेमाल किया जा सकता है.
गिलोय
से त्रिदोषों से मुक्ति ( Giloy Cures Tridosh / Three Main Diseases ) :
गिलोय के काढ़े के
रूप में सेवन से आपको त्रिदोषों ( अर्थात वात,
काफ और पित्त ) के
रोग से भी मुक्ति मिलती है. ये त्रिदोष शरीर को काफी नुकसान पहुँचाते है. जिसमे
पित्त में असंतुलन से पेट के रोग और पीलिया, यकृत रोग और विकार उत्पन्न होते है,
तो कफ होने पर बुखार और फेफड़ों संबंधी रोग पैदा होते है, जबकि वात में गड़बड़ी से
जोड़ों में दर्द, वायु विकार, थकान इत्यादि रोग हो जाते है. किन्तु मात्रा एक गिलोय
ही ऐसी बूटी है जो एक समय में इन तीनों दोषों को संतुलित और नियंत्रित रखती
है.
Aayurvedic Nector Giloy |
गिलोय
एक एंटीबायोटिक ( Giloy an Antibiotic ) :
विज्ञान की दृष्टि
में गिलोय सबसे अधिक लाभदायक एंटीबायोटिक भी मानी जाती है. क्योकि ये अनेको वायरस
के संक्रमण को भी मिटा देती है. स्वाइन फ्लू के रोकथाम के लिए उसका इलाज भी
आयुर्वेद की इसी बेल में मिला था. इसके तने में एल्केलाइड गिलोइन नाम का कडवा
ग्लूको – साइड, अल्कोहल, अम्ल, स्टार्च और वसा मिलती है, साथ ही इसमें एक ऐसा तेल
भी पाया जाता है जो उडनशील होता है. इसकी पत्तियों में अनेक पौषक तत्व जैसेकि
कैल्शियम, प्रोटीन और फॉस्फोरस इत्यादि पायें जाते है.
गिलोय
की खासियत, महत्व और इसके गुणों के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे
कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
गिलोय अमृत बेल |
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Bahut hi achhi jankari di per kisi ko kaha ki Pathri hai Kaise malum padega
ReplyDeleteIt is used for which diseases
ReplyDeleteIt is used for which diseases
ReplyDeleteगिलोय कितनी मात्रा मे लेना चाहिय और खली पेट लेना है या कुछ खाने के बाद
ReplyDeleteIsthis use in cancer
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