पत्नी सावित्री का ब्रम्हा
जी को श्राप (Wife
Savitri’s Curse to Lord Brahma)
हमारे ग्रंथों के
अनुसार सृष्टि के तीन सबसे बड़े देव हैं ब्रम्हा, विष्णु, महेश. इनमे से सृष्टि के
रचयिता ब्रम्हा जी हैं, पालनहार हैं विष्णु जी व विनाशक हैं शिवजी, जिनकी तीसरी
आँख खुलने भर से इस सृष्टि का विनाश हो सकता है. ये तीनों देव एक दुसरे की पूजा
करते हैं. भारत में कई करोड़ देवी देवता हैं और उन सबके मंदिर कहीं ना कहीं भी बने
हुए हैं लेकिन तीनों मुख्य देवों में से एक होने के बावजूद ब्रम्हा जी का पूरे
भारत में इकलौता मंदिर पुष्कर में है. कहते हैं ऐसा उनकी बीवी सावित्री के श्राप
कि वजह से था. आइये जानते हैं इस कहानी का सच. CLICK HERE TO KNOW यमराज ने बतायें मृत्यु के राज ...
Devi Savitri ka Brahma Ji ko Abhishaap |
ब्रम्हा जी का यज्ञ
(Yagya By Lord
Brahma) :
वज्रनाश नाम के राक्षस
का वध करने के पश्चात ब्रम्हा जी के हाथों से नीचे धरती पर गिरे कमल के फूलों से धरती
पर तीन झीलें बन गई. इस स्थान का नाम पुष्कर रख दिया गया. यहीं पर ब्रम्हा जी ने
यज्ञ करने का फैसला किया और चूँकि हमारे समाज में रिवाज है कि यज्ञ करते वक्त एक
पत्नी ही पति के दाईं तरफ बैठ सकती है, ब्रम्हा जी को भी इस यज्ञ में अपनी पत्नी
के साथ बैठना था पर उनकी बीवी सावित्री जी किसी कारण से समय पर पुष्कर ना पहुँच
सकी और यज्ञ प्रारम्भ करने के लिए ब्रम्हा जी को विष्णु जी के कहने पर गुर्जर
समुदाय की एक कन्या “गायत्री” से विवाह करना पड़ा. वहीँ दूसरी तरफ जब सावित्री जी
को ब्रम्हा जी के इस कृत्य के बारे में पाता चला तो उनके मन को काफी ठेस पहुंची और
उन्होंने ब्रम्हा जी को श्राप दे दिया. CLICK HERE TO KNOW शनिदेव जी की स्त्री रूप धारण कथा ...
देवी सावित्री का ब्रह्मा जी को अभिशाप |
सावित्री का श्राप (Savitri Curse) :
सावित्री के श्राप
के अनुसार, देवता होने के बावजूद कभी ब्रम्हा जी की पूजा नहीं होगी. ये गुस्सा कुछ
हद तक जायज भी था क्यूंकि कोई भी पत्नी अपने पति को किसी और स्त्री के साथ बैठा
देखकर ऐसा ही करती. इसके बाद देवताओं के काफी समझाने पर व साथ-साथ अपना गुस्सा
ठण्डा होने पर सावित्री ने ब्रम्हा जी से कहा कि इस धरती पर कहीं आपकी पूजा नहीं
होगी सिवाए पुष्कर के और इसके अलावा कहीं अगर किसी ने आपका मंदिर बनवाया भी तो
उसका विनाश हो जाएगा. भगवान विष्णु चूँकि इस समस्त कार्य में ब्रम्हा जी के साथ
थे, सावित्री ने उन्हें भी ये श्राप दिया कि एक दिन उन्हें भी अपनी पत्नी से विरह
का कष्ट सहन करना पड़ेगा जो बाद में रामायण काल में हुआ भी और राम के अवतार में
विष्णु जी ने अपनी पत्नी सीता को खो दिया.
सावित्री का मंदिर (Temple of Savitri) :
यूं तो पुष्कर में
सावित्री का भी मंदिर है पर वो ब्रम्हा जी के मंदिर के साथ स्थित ना होकर उनके
मंदिर के पीछे एक पहाड़ी पर स्थित है. इस मंदिर तक जाने के लिए काफी चढ़ाई भी करनी
पड़ती है.
Savitri’s Curse to Lord Brahma |
कितनी मान्यता और
कितना सच (How Much
Esteem How Much Truth) :
सावित्री का श्राप
कितना झूठ था और कितना सच ये किस्सा तो ब्रम्हा जी और सावित्री के साथ ही चला गया.
लोगों के बीच कई कहानियां सुनायी जाती हैं जिनमे से सावित्री का श्राप भी एक कहानी
है और ब्रम्हा व सावित्री के मंदिर कुछ हद तक इस बात के गवाह भी हैं.
देवी देवताओं से
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पत्नी सावित्री ने ब्रह्मा जी को क्यों दिया था श्राप |
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