होली के त्यौहार से जुडी हुई वैज्ञानिक मान्यताएं
होली भारत का एक प्रसिद्ध रंगों और खुशियों का त्यौहार हैं. यह त्यौहार
भारत में प्राचीन काल से आज तक हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया
जाता हैं. इस दिन पूरा भारत रंगों की दुनिया में डूबकर बड़े ही हर्षोल्लास से इस पर्व को मनाता हैं.
बड़े – बुजुर्गों से आप हमेशा सुनते होंगे कि यह त्यौहार सद्भावना बढाने के लिए,
सामूहिक रूप से एक जुट होकर मौज – मस्ती करने के लिए मनाया जाता हैं. वैज्ञानिक
इस पर्व को मनाने के पीछे अन्य तर्क देते हैं. उनका मानना हैं कि यह पर्व प्रत्येक
वर्ष इसीलिए मनाया जाता हैं. क्योंकि इससे मनुष्य के आस – पास का वातावरण और
मनुष्य की सेहत हमेशा ठीक रहती हैं. इसके अलावा भी वैज्ञनिकों ने होली का
त्यौहार मनाने के अनेक कारण बताये हैं. जिनकी बारे में विस्तार से वर्णन नीचे
किया गया हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT होली खुशियों का त्यौहार ...
Holi ke Parv se Jude Vaigyanik Tathay |
1.ऊर्जा (Energy) - वैज्ञानिकों का मानना हैं कि होली का त्यौहार हर वर्ष ऐसे
समय पर आता हैं जब अचानक ही मौसम में परिवर्तन आने के कारण लोगों में आलसपन
अधिक घर कर जाता हैं. ऐसा होना भी स्वाभाविक हैं. क्योंकि ठंड के समाप्त होने
के बाद व्यक्ति के आस – पास गर्म वातावरण रहता हैं. जिससे व्यक्ति को अधिक थकान
और सुस्ती महसूस होती हैं. वैज्ञानिक इस त्यौहार को मनाये जाने के पीछे एक और
तर्क यह देते हैं कि इस थकान और सुस्ती भरे वातावरण से अपने आपको निकालने के लिए
ही व्यक्ति फाल्गुन के महीने में अधिक जोर और शोर के साथ गाना गाते हैं
और थोड़ी ऊंची आवाज में ही सुनते हैं. इस तरह व्यक्ति का ऊंचा गाने, संगीत
सुनने और बोलने से व्यक्ति के शरीर को नई ऊर्जा प्राप्त होती हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT मांग में सिंदूर क्यों लगाया जाता हैं ...
होली के पर्व से जुड़े वैज्ञानिक तथ्य |
2.रंग (Color) – इनका मानना हैं कि होली
में लगाये जाने वाले शुद्ध गुलाल और अबीर का भी व्यक्ति के शरीर पर
सकारात्मक और अच्छा प्रभाव पड़ता हैं. इसके साथ ही अबीर और गुलाल को जब पानी
में मिलाकर लोग एक दुसरे के शरीर पर डालते हैं तो इस रंग मिले पानी से लोगों
के मन को शांति और सुकून मिलता हैं, व्यक्ति के शरीर को नई ताजगी मिलती
हैं.
कुछ अन्य वैज्ञानिकों का मानना हैं कि रंग हमारे जीवन
के लिए बहुत ही जरुरी हैं. इनसे मनुष्य के जीवन को बहुत ही लाभ होता हैं.
जिनकी विवेचना नीचे की गई हैं –
1.रंगों से खेलने से शरीर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न
होती हैं.
2.वैज्ञानिकों का मानना हैं कि मानसिक विकास के लिए भी
रंग अच्छे होते हैं.
3.रंगों की कमी के कारण ही मनुष्य के शरीर में अनेक
बीमारियां उत्पन्न होती हैं और ये रंग ही होते हैं. जिनसे मानव शरीर स्वस्थ
और निरोग रहता हैं.
4.होली दिवाली की तरह ही एक महत्वपूर्ण और धार्मिक त्यौहार
हैं. इसीलिए इस दिन से कुछ दिन पहले लोग अपने घरों की साफ – सफाई करते हैं.
जिससे घर की धुल - मिटटी घर से निकल जाती हैं और घर में उपस्थित कीटाणुओं और मच्छरों की भी छुट्टी हो जाती हैं.
Holi se Jude Sehat ke Raj |
3. त्वचा (Skin) – होली में प्रयोग किये जाने
वाले रंगों से मनुष्य की त्वचा अधिक उत्तेजित हो जाती हैं, इसी कारण ये रंग
व्यक्ति के हाथों के पोरों में समा जाते हैं. इसके साथ ही इन रंगों को
वैज्ञानिकों ने मनुष्य शरीर की सुन्दरता में वृद्धि और मजबूती प्रदान करने वाला
बताया हैं.
होलिका से जुड़े वैज्ञानिक तथ्य (Scientific
Facts on Holika Dahan)
1.वैज्ञानिकों का मानना हैं कि होली का त्यौहार मुख्य रूप
से होलिका से जुडा हुआ हैं. होलिका दहन से जुडा हुआ तर्क स्पष्ट करते हुए कहते
हैं कि होलिका दहन का कार्यक्रम उस वक्त किया जाता हैं जब शरद ऋतू समाप्त होती
हैं और वसंत ऋतू का प्रारम्भ होता हैं. इस समय में वातावरण में अधिक
बैक्टीरिया जीवित होते हैं. जिनका प्रभाव हर मनुष्य के जीवन पर पड़ता हैं.
लेकिन जब होलिका दहन की पूजा समाप्त करने के बाद होलिका जलाई जाती हैं तब
करीब 145 डिग्री फारेनहाइट तक वातावरण का तापमान बढ़ जाता हैं और जब इसके आस
– पास लोग घूमकर होलिका की परिक्रमा करते हैं तो होलिका से निकलता हुआ यह ताप
लोगों के अंदर के तथा उनके आस – पास फैले बैक्टीरिया को नष्ट कर वातावरण को बिल्कुल
शुद्ध कर देता हैं.
Holika Dahan Par Vaigyanik Tark |
2. होलिका की राख - होलिकादहन की सभी लकड़ियों के जलने के बाद
बची हुई राख भी बहुत ही फायदेमंद होती हैं. दक्षिण भारत में लोग इस राख
को अपने मस्तिष्क पर लगाते हैं ताकि उनका स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहे. शारीरिक
रूप से स्वस्थ रहने के लिए ही दक्षिण भारत के कुछ लोग इस राख में चन्दन, हरी
कोपलें और आम के वृक्ष को मिलाकर उसका सेवन करते हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अच्छे
स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए यह बेहद ही उपयोगी तरीका हैं.
नववधू के लिए अपशगुन क्यों होता हैं होलिका दहन देखना
माना जाता हैं कि होली से एक दिन पहले नववधू
को अपनी सास के साथ नहीं रहना चाहिए तथा उसे होलिका को जलते हुए भी नहीं
देखना चाहिए. इसके पीछे के तर्क को समझाते हुए वैज्ञानिक कहते हैं कि होलिका
दहन को मृत संवत्सर का चिन्ह माना जाता हैं. इसीलिए नव विवाहित स्त्री को किसी
मृत को जलते नहीं देखना चाहिए. उसके लिए यह अशुभ होता हैं.
होली की ही भांति अन्य त्यौहारों के
बारे में जानने के लिए आप नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हैं.
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