सोरायसिस का उपचार ( Treatment for Psoriasis )
त्वचा रोगों में सबसे अधिक भयंकर माने जाने वाले रोग सोरायसिस के लिए तुरंत
उपचार की आवश्यकता होती है अन्यथा इसके प्रभाव के बढ़ जाने से पीड़ित की जान तक को ख़तरा
बना रहता है. वैसे तो उपचार के लिए अनेक तरह की दवाएं उपलब्ध है जिन्हें आप किसी
चिकित्सक के परामर्श पर ले सकते हो किन्तु ये दवाएं सिर्फ सोरायसिस को दबाती है
नाकि खत्म करती है. इसलिए आपने अनेक ऐसे रोगी देखें होंगे जो सोरायसिस से ठीक होने
जाने के बाद दोबारा उसका शिकार बन जाते है. किन्तु आयुर्वेद की कुछ ऐसे उपचारों का
वर्णन है जिनको अपनाने से सोरायसिस दोबारा आपको अपना शिकार नहीं बनाता है. CLICK HERE TO KNOW सोरायसिस के कारण और लक्षण ...
Psoriasis se Bachav ke Ghrelu Aayurvedic Upay |
सोरायसिस के उपचार के उद्देश्य ( The Purpose of Curing Psoriasis ) :
सोरायसिस के उपचार को आरम्भ करते वक़्त मुख्यतः 2 उद्देश्य होते है -
1.
इस रोग में हर 4 – 5 दिन में नयी त्वचा
आने लगती है जो असामान्य है, इसलिए उपचार का
प्रथम उद्देश्य होता है कि त्वचा के निर्माण को किसी भी तरह सामान्य किया जाएँ.
2.
ये रोग त्वचा को शुष्क, खुरदरा और
अप्राकृतिक बना देता है इसीलिए उपचार का दूसरा उद्देश्य त्वचा को फिर से मुलायम और
समतल करना है. जिसके लिए अनेक तरह के लेपों और तेलों का निर्माण करके प्रयोग में
लाया जाता है.
सोरायसिस का देशी आयुर्वेदिक इलाज ( Home Deshi Aayurvedic Treatment for Psoriasis ) :
· बादाम ( Almond ) : रात को सोने से कुछ
देर पहले आप 10 बादाम की गिरी लें और उन्हें अच्छी तरह पीसकर पाउडर बनायें. आप
इन्हें 1 से ½ ग्लास पानी में कुछ
देर उबलने के लिए छोड़ दें और ठंडा हो जाने पर रोगी के घावों पर लगाएं. आप इसे रात
भर रोगी के शरीर पर ही लगा रहने दें और सुबह उठकर शरीर को साफ़ करें. इस उपचार से
सोरायसिस के इलाज के लिए अच्छे परिणाम मिले है. CLICK HERE TO KNOW त्वचा का खिंचाव दूर करने के घरेलू उपाय ...
सोरायसिस से बचने के घरेलू आयुर्वेदिक उपाय |
· चन्दन ( Sandalwood ) : ठीक बादाम की ही
तरह आप 1 चम्मच चंदन का पाउडर तैयार कर लें और उसे करीब 600 मिलीलीटर पानी में
अच्छी तरह उबालें. जब आपको लगे कि 200 मिलीलीटर पानी ही बचा हुआ है तो आप उसे
उतारे और ठंडा होने दें. इस पानी में आप शक्कर और थोडा गुलाबजल डालकर मिलाएं. इस
तरह रोगी के लिए एक उत्तम दवा तैयार है, इससे अधिक से अधिक
लाभ पाने के लिए रोगी को इसे दिन में 3 बार बनाना और पीना है.
· पत्तागोभी ( Cabbage ) : पत्ता गोभी भी
सोरायसिस के इलाज में बहुत असरदार होती है. इससे इलाज के लिए आपको पत्तागोभी का
ऊपर वाला पत्ता लेना है और उससे पानी से साफ़ करना है. अब आप इसे हाथों के बीच लाकर
सपाट करें और हल्का सा गर्म कर लें. आप इस पत्ते को सोरायसिस से प्रभावित हिस्से
पर रखें और पत्ते के ऊपर सूती कपडा लपेट दें. इस तरह आपको इस उपाय को दिन में 2
बार अपनाना है, ये उपाय आपको जबरदस्त तरीके
से फायदा पहुंचाता है.
इसके अलावा पत्तागोभी का रोजाना सुबह शाम सूप बनाकर पियें. इससे भी आपको योग्य
परिणाम देखने को मिलेंगे.
· निम्बू ( Lemon ) : आप एक कटोरी में
निम्बू रस निकाल लें और उसमें निम्बू रस की आधी मात्रा में पानी मिलाएं. इस मिश्रण
को अच्छी तरह मिला लेने के बाद आप इसे उस जगह लगायें जहाँ सोरायसिस हुआ है. इस रस
को आपको हर 4 घंटे के बाद प्रयोग में लाना है. अगर आप निम्बू रस पीते भी है तो भी
इससे आपकी त्वचा का रोग धीरे धीरे कम होने लगता है.
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· शिकाकाई ( Shikakayi ) : आप पानी में कुछ
मात्रा में शिकाकाई मिलाएं और उसे उबलने दें. जब पानी आधा रह जाएँ तो आप इस पानी
को सोरायसिस के धब्बों पर लगायें. इससे भी तुरंत आराम मिलना आरम्भ हो जाता है.
· केले के पत्ते ( Banana Leaves ) : पत्ता गोभी की तरह
केले के पत्तों का इस्तेमाल भी सोरायसिस के उपचार के लिए किया जाता है. इसका उपयोग
करने के लिए रोगी अपने शरीर के उस स्थान पर पत्तों को बांधें जहाँ सोरायसिस हुआ
है. पत्तों के ऊपर सूती कपड़ा लपेटना बिलकुल भी ना भूलें. ये शीघ्र ही आपको लाभ
पहुंचाता है.
· पानी ( Water ) : हर रोग पर वातावरण
और मौसम का प्रभाव पड़ता है और शरीर को भी मौसम के बदलाव के साथ बदलाव की जरूरत
होती है. इसलिए अगर आपको सोरायसिस सर्दियों के मौसम में हुआ है तो आप दिन में करीब
3 लीटर पानी अवश्य पियें और अगर आपको सोरायसिस गर्मियों के दिन में हुआ है तो आप 5
से 6 लीटर अवश्य पियें.
अपरस का इलाज |
· फलाहार ( Fruits ) : चिकित्सक सोरायसिस
के रोगियों के लिए एक नियम बनाता है जिसके अनुसार उन्हें सोरायसिस हो जाने के
शुरूआती 15 दिनों तक सिर्फ फलाहार ग्रहण करना होता है और उसके बाद उन्हें अधिक से
अधिक दूध और फलों का रस पीना होता है. इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढती है और
रोगी को आराम मिलना शुरू हो जाता है.
· नमक ( Salt ) : सोरायसिस के रोगियों
को अपने खाने में नमक के सेवन को बिलकुल बंद कर देना चाहियें, जबकि संक्रमित भाग को रोजाना नमक मिश्रित पानी से साफ़ करने से रोगी को आराम
मिलता है.
· नशा ( Intoxication ) : कोई भी नशा जैसेकि
शराब, धुम्रपान, गांझा इत्यादि शरीर, गले, फेफड़े और त्वचा के लिए हानिकारक
होता है. इनका उपयोग सोरायसिस के प्रभाव को बढ़ा सकता है इसलिए आपको कोशिश करनी
चाहियें कि आप इस सब नशों से दूर ही रहें.
Psoriasis ke Liye Kya Hai Upchar |
· काल टार ( Coal Tar ) : टार काल का इस्तेमाल
पुराने समय से ही इस रोग से निदान पाने के लिए किया जा रहा है. इसका प्रयोग करने
के लिए इसे प्रभावित हिस्से पर लगाया जाता है जिससे धीरे धीरे त्वचा की सुजन कम हो
जाती है और त्वचा की जमी हुई परत भी कम होने लगती है.
· प्रकाश चिकित्सा ( Light Therapy ) : क्योकि सोरायसिस
में त्वचा में शुष्कता बन जाती है इसीलिए उसमें विटामिन डी की भी कमी हो जाती है.
इसीलिए उसके उपचार के लिए प्रकाश चिकित्सा का सहारा लिया जाता है ताकि शरीर में
विटामिन डी की कमी को पूरा किया जा सके. प्रकाश चिकित्सा में मुख्य रूप से सूरज की
किरणों का इस्तेमाल किया जाता है किन्तु याद रहे कि अधिक धुप सेंकने से विपरीत
प्रभाव पड़ने की भी संभावना बनी रहती है.
· योग ( Yoga ) : योग क्रियाएं भी
आपको सोरायसिस से निजात दिलाने में सहायक सिद्ध होती है, नीचे दिए योगों को नियमित रूप से करने से शरीर के सभी दूषित पदार्थ बाहर निकल
जाते है और मन को तनाव से दूर मुक्ति मिलती है. आप सोरायसिस में निम्नलिखित
प्राणायाम करें.
§ कपालभाति
§ भ्रामरी प्राणायाम
§ भस्त्रिका प्रणायाम
§ वज्रासन
§ सूर्यनमस्कार और
§ अनुलोम – विलोम प्राणायाम
सोरायसिस के रोगियों के लिए परहेज ( Avoid These in Psoriasis ) :
सोरायसिस के रोगियों को रोग को नियंत्रित रखने के लिए कुछ एहतियात बरतनी
आवश्यक होती है, इन परहेजों का
अनुसरण करने से सोरायसिस का प्रभाव कम होता है. ये सुझाव निम्नलिखित है –
Psoriasis Treatment, Apras ka Ilaaj |
· आहार ( Food ) : रोगियों को अपने
आहार में साबुत अनाज, हरी पत्तेदार
सब्जियों, दूध, और फलों को शामिल करना चाहियें. वहीँ अगर रोगी तला हुआ, मसलेदार भोजन करता है तो उसके शरीर में गर्मी बनती है और रोग अनियंत्रित हो
जाता है.
· स्नान ( Bath ) : रोगी को रोजाना दिन
में 2 बार गुनगुने पानी से स्नान करना चाहियें ताकि उसकी त्वचा से निकलने वाली पस
व खून से उसे कोई और संक्रमण ना हो जाएँ. ध्यान रहे कि पीड़ित के लिए अलग तौलिया व
रुमाल हो.
· त्वचा को रुखा ना
होने दें ( Don’t Let Your
Skin Dry ) : सोरायसिस में पहले ही त्वचा रुखी हो जाती है इसलिए आपको जरूरी है कि शरीर व
त्वचा की नमी को बनायें रखे. इसलिए लिए रोगी का ठण्ड से बचे रहना जरूरी है. आप
रोगी की त्वचा पर एलो वीरा का जेल भी लगा सकती है इसके दो लाभ होंगे पहला तो इससे
खुजली बंद हो जायेगी और दूसरा ये रूखेपन को दूर करता है. साथ ही आप अपने हाथों से
पपड़ी निकालने की कोशिश भी बिलकुल ना करें.
तो उपरलिखित उपायों को अपनाकर आप सोरायसिस से निजात पा सकते है, सोरायसिस से निजात पाने के ऐसे ही
अन्य देशी घरेलू आयुर्वेदिक तरीकों को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके
जानकारी हासिल कर सकते है.
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