छोटी
माता ( Chickenpox )
लगभग
हर बच्चा जन्म लेने से 10 – 12 साल की उम्र तक एक ना एक बार तो छोटी माता अर्थात चिकनपॉक्स का शिकार
अवश्य होता है. लेकिन कुछ मामले ऐसे होते है जब ये अधिक उम्र के व्यक्ति को भी हो
जाता है. माना जाता है कि एक बार इस रोग का उपचार होने के बाद दुबारा व्यक्ति को
चिकनपॉक्स नहीं होता. परन्तु बुजुर्ग लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो
उन्हें ये रोग हो सकता है, उनके अलावा गर्भवती महिलाओं और
लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को भी इस रोग के दोबारा होने की संभावना बनी रहती है. CLICK HERE TO KNOW त्वचा रोग के लिए आयुर्वेदिक इलाज ...
Chhoti Maata Nikalne par Jatiltayen or Rokthaam |
दरअसल
चिकनपॉक्स एक संक्रमण है जोकि वेरिसेला जोस्टर नाम के एक वायरस से पैदा होता है.
ये रोग छींकने, खांसने, चुने या पीड़ित के साथ सीधे संपर्क में आने
से होता व फैलता है. इस रोग के मरीजों को खट्टी, नमक वाली व
तली भुनी चीजें खाने के लिए बिलकुल नहीं देनी चाहिए अन्यथा उनका रोग बढ़ सकता है.
साथ ही ये वायरस गर्मियों के दिनों में अधिक सक्रिय होता है तो गर्मियों में थोड़ी
सावधानी अवश्य बरतनी चाहियें.
चिकनपॉक्स
के लक्षण ( Symptoms of Chickenpox ) :
· शरीर पर हर जगह छोटी छोटी
फुंसियों का निकल आना
· लाल व गर्म त्वचा
· त्वचा में खुजली
· तेज सिरदर्द और बदनदर्द
· लगातार उल्टियाँ होना
· 102 से अधिक बुखार ( 2 दिन
बुखार होने पर तुरंत चिकित्सक के पास जाएँ )
· कमजोरी
· खाने का मन ना करना
· गले का बार बार सुखना
छोटी माता निकलने पर जटिलताएं और रोकथाम |
चिकनपॉक्स
होने पर किसी चिकित्सक से सलाह अवश्य करनी चाहियें क्योकि ये एक ऐसा संक्रमण है जो
अपने साथ साथ अन्य संक्रमण व रोग (जैसे बैक्टीरिया संक्रमण, दिमाग में
बुखार व सुजन, नर्वस सिस्टम का कमजोर होना, निमोनिया, मांसपेशियों में क्षति, किडनी लीवर में संक्रमण इत्यादि ) का कारण बनता है.
अपनी
पुरानी परम्पराओं के अनुसार लोग चिकनपॉक्स होने पर झाड़ा लगवाने को ही अधिक उचित
मानते है या कोई अन्य छोटे मोटे घरेलू प्रयोग करने लगते है. लेकिन ये गलत है
क्योकि अगर ये बिगड़ गया तो ऊपर बताये अन्य संक्रमण रोगी को अपना शिकार बनाने में
बिलकुल देरी नहीं करते. अगर चिकित्सक की सलाह पर एंटीवायरल दवा ली जाए तो मात्रा 2
सप्ताह में ही इस रोग को ठीक किया जा सकता है, लेकिन रोगी के संपर्क में आने
से अवश्य बचें.
कैसे
हो बचाव ( How to Stop Chickenpox Virus ):
§ टिका ( Vaccination ) : चिकनपॉक्स के संक्रमण से बचे
रहने के लिए बच्चे को उसके जन्म के बाद 2 बार वैक्सीनेशन की डोज दी जाती है. इनमे
से पहले डोज उसके 12 - 15 माह के होने, जबकि दूसरी उसके 4 – 5 साल के होने पर दी जाती है. इसलिए बच्चे का समय पर टीकाकारण अवश्य
कराएँ.
§ संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें
§ फुंसियों को खुजाएँ व रगड़ें
नहीं
§ रोग के निर्धारण और उसकी
चिकित्सा में शीघ्रता बरतें
Chickenpox Problems and Their Solution |
नोट
: टीकाकरण गर्भवती महिलाओं, एच आई वी के
रोगियों, कमजोर प्रतिरोधक शक्ति वाले लोगों और एलर्जी से
ग्रस्त व्यक्तियों को नहीं लगाया जाता.
कैसे
हो मरीजों की देखभाल ( How to Cure Chickenpox ) :
· अलग कमरा ( Give Patient a Separate
Room ) : क्योकि पीड़ित व्यक्ति से ये
रोग घर के बाकी सदस्यों को भी हो सकता है इसलिए जरूरी है मरीज को एक अलग कमरे में
रखें, उन्हें ढीले सूती कपडें पहनाएं और रोजाना उन्हें बदल भी अवश्य दें. जिन
बर्तनों में उन्हें खाने के लिए भोजन दिया जाएँ उन्हें भी घर के बाकी सदस्यों से
अलग रखें और उन्हें खुद प्रयोग में ना लायें. जो व्यक्ति मरीज की देखभाल कर रहा है
उसे अपने मुहँ पर मास्क लगायें रखना चाहियें. साथ ही जब चिकित्सक का निर्देश हो
तभी पीड़ित को नहलाएं.
· खाने का ध्यान ( Take Care of Their Diet ) : पीड़ित के खाने का विशेष
ध्यान रखना पड़ता है क्योकि मसालेदार, तले हुए, खट्टे और नमकीन खाने उनके रोग व खुजली को बढाने का काम करते है. इनके
स्थान पर इन्हें दलिया, खिचड़ी, रबड़ी,
सूप, हल्की ठंडी चीजें खाने में देनी चाहियें.
आप उन्हें पौषक आहार, फल, दूध, दही और जूस भी दे सकते हो ताकि उनके शरीर की कमजोरी भी दूर हो सके.
चिकनपॉक्स के लिए करें ये उपचार |
· गिलोय ( Tinospora ) : आयुर्वेद के अनुसार ये रोग
शरीर के मेटाबोलिक दर में असंतुलन या गड़बड़ी होने पर होता है. साथ ही आयुर्वेद में
इस रोग को “ लघुमसुरिका ” के नाम से जाना जाता है. इसके उपचार के
लिए आप गिलोय को 7 इंच लम्बी बेल लें और उसका रस निकालें. अगर रस निकालें में
समस्या है तो आप उसे 100 ग्राम पानी में अच्छी तरह उबाल लें और ठंडा होने पर
मसलें. इस पानी को छानकर दिन में दो बार प्रयोग में लायें.
· तुलसी ( Basil ) : 5 पत्ते तुलसी, 5 मुनक्का,
1 पिपली ( ध्यान रहें छोटे बच्चों के लिए ¼ पीपली और बड़े बच्चों के लिए ½ पिपली का इस्तेमाल करें ) को
सिलबट्टे पर अच्छी तरह पीसकर एक लेप बनायें. इसे 1 चम्मच की मात्रा में सुबह व शाम
खाएं ( छोटे बच्चे ¼ चम्मच और बड़े बच्चे ½ चम्मच खाएं. ).
· हल्दी ( Turmeric ) : फुंसियों में अधिक खुजली
होने पर ½ ग्लास दूध लें और उसमें 1
चम्मच हल्दी मिलाकर दिन में 2 बार लें. बच्चों के लिए हल्दी की मात्रा आधी व चौथाई
रखें. इसके अलावा पीड़ित की चाय में तुलसी के 4 – 5 पत्ते भी डालें. इस चाय को
पीने से उन्हें खुजली और सिर दर्द दोनों में आराम मिलता है.
· नीम ( Neem Leaves ) : नीम की पत्तियों में
कीटाणुओं के नाश की गजब की शक्ति होती है इसलिए नीम की कुछ डालियों को मरीज के
बिस्तर के आसपास रख देना चाहियें ताकि वे चिकनपॉक्स के कीटाणुओं का भी शीघ्र नाश
कर सकें.
चिकनपॉक्स
या छोटी माता होने के अन्य लक्षण व उससे बचाव के अन्य उपाय तरीकों को जानने के लिए
आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Chhoti Maata ke Niklne par Jhaada Nahi Upchar |
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se Kaise ho Bachav
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Hello mera nam Rajpal
ReplyDeletemujhe choti mata nikal rhi h pure sarir par bhut dag or pani bale fole type ke nikal aay h kripya inhe kam krne or dag hatane ka upchar btay