जानें
अघोरियों की अज्ञात दुनिया के बारे में ( Know the Mysterious World
of Aghori Saints )
अघोरी
लोग अघोर पथ के सदस्य होते है, जो भी व्यक्ति अघोर पंथ के नियमों का पूर्ण
सत्यता से पालन करता है उन्हें अघोरी कहा जाता है. इस पंथ की उत्पत्ति कब हुई इस
बारे में अभी तक कोई सुनिश्चित प्रमाण प्राप्त नहीं हुए है लेकिन माना जाता है कि
इनका उदय कपालिक संप्रदाय के लोगों के आसपास हुआ था. इसके अलावा इनका संबंध भारत
के सबसे प्राचीन धर्म शैव ( शिव साधक ) से माना जाता है. CLICK HERE TO KNOW नागा साधू और उनकी जीवनशैली ...
Aghoriyon ki Rahasyamayi Duniya |
शिवरूपी
अघोरी और उनकी जीवनशैली रहस्य ( Lifestyle Mystery of
Shivroopi Aghori Saints ) :
महादेव
शिव के 5 रूप माने जाते है जिनमें से एक है अघोर रूप इसलिए अघोरियों को शिवजी के
जीवित रूप की दृष्टि से भी देखा जाता है. हर व्यक्ति को अघोरियों के जीवन और उनकी
रुचियों के बारे में जानने की जिज्ञासा रहती है. लेकिन आपको बता दें कि इनका जीवन
जितना रहस्यमयी है उतना ही अधिक कठिन भी है. इनकी साधना विधि के बारे में तो कोई
जानता तक नहीं, ये अपनी अलग जीवनशैली, विधान और विधियों के अनुसार
ही सब करते है.
अघोरी
से अर्थ ( Meaning of Aghori ) :
अघोरी
से तात्पर्य उन लोगों से है जो घोर नहीं करता अर्थात जिसका स्वभाव सहज व सरल है, जो अपने मन
में किसी के प्रति भेदभाव नहीं रखता, जिनके लिए हर स्थिति हर
चीज समान है, अगर उन्हें साडे जीव का भी मांस दे दिया जाएँ
तो वे उसे भी स्वादिष्ट फल की तरह खा लेते है. इनकी ना सिर्फ दुनिया बल्कि बात भी
निराली होती है, माना जाता है कि जिनसे ये प्रसन्न हो जाते
है उन्हें सब कुछ देने में तनिक भी नहीं हिचकिचाते. साथ ही इनके जीवन की कुछ ऐसी
बातें भी है जिनको सुनने के पश्चात आप अपने दांतों तले ऊँगली दबा लोगे. आज हम आपको
अघोरियों की ऐसी ही कुछ बातों के बारे बताने जा रहे है जिनको पढने के बाद
आपको अंदाजा हो जाएगा कि ये कितनी कठिन साधना करते है. साथ ही हम आपको उनके
श्मशानों के बारे में भी बतायेंगे जहाँ अघोरी अपनी साधना करते है.
· अघोरी साधना के प्रकार ( Type of Aghori Prayer
Practice ) : अघोरी 3 प्रकार की साधना को
अपनाते है.
1. शव साधना ( Shav Dead Body Prayer ) : इसमें अघोरी शव के ऊपर बैठकर
साधना करते है साथ ही वे अपने शरीर पर भस्म रमाकर कई महीनों तक कडा तप करते है. CLICK HERE TO KNOW भीम और घटोत्कच के शतरंज के विशाल पासे ...
अघोरियों की रहस्यमयी दुनिया |
2. शिव साधना ( Shiv Prayer ): शिव साधना में किसी शव के
ऊपर पाँव रख कर साधना की जाती है, ये साधना शिव पार्वती की उस कथा से ली गयी
है जिसमें देवी पार्वती जी ने काली रूप में शिवजी की छाती पर पाँव रखना था. इन
साधनाओं में प्रसाद के रूप में मांस और मदिरा रखी जाती है जिसे पूजा पूर्ण होने पर
मुर्दों को अर्पित किया जाता है.
3. श्मशान साधना ( Shamshaan Cremation Prayer ) : इस साधना में ना सिर्फ अघोरी
बल्कि आम परिजन भी शामिल होते है क्योकि इसमें मुर्दे नहीं बल्कि उस स्थान की पूजा
होती है जहाँ मुर्दों को जलाया जाता है अर्थात उनका दाह संस्कार किया जाता है. साथ
ही यहाँ मांस या मदिरा का प्रसाद नहीं बल्कि मावे का प्रसाव बांटा जाता है.
· शव साधना के लिए शव कहाँ से
आता है ( From Where Aghori Gets Dead Body for Their
Prayer ) : हिन्दुओं की एक मान्यता है
जिसके अनुसार आज भी अगर कोई सांप काटने की वजह से मरता है या आत्महत्या करता है या
फिर कोई 5 वर्ष की उम्र से पहले ही अपने शरीर को त्याग देता है तो उनके शरीर को
अग्नि को नहीं दिया जाता बल्कि दबाया या पानी में प्रवाहित किया जाता है. पानी में
पड़े रहने के बाद उनके शरीर में पानी भर जाता है और वे हल्के होकर पानी की तह पर
तैरने लगते है, ये अघोरी साधू इन्ही शवों की तलाश करते रहते है और अपनी साधना व तंत्र
सिद्धि के लिए प्रयोग में लाते है.
The Mysterious World of Aghori Saints Saadhu |
· अविश्वसनीय तथ्य ( Unbelievable Facts ) : एक आश्चर्य कर देने वाली ये
है कि अघोरी लोगों की साधना में इतनी शक्ति होती है कि वे मुर्दों तक से बातें
करने में सक्षम है. शायद आपको ये बात सुनने में या पढने में अजीब लग रही होगी
किन्तु ये सत्य है, इसे नकारना असंभव है क्योकि कोई भी अघोरी साधुओं की साधना को चुनौती नहीं
दे सकता. इसके अलावा भी इनकी कुछ बातें बहुत प्रसिद्ध है जैसेकि इनका हठ. जब ये
किसी बात पर अड़ जाते है तो उसे पूरा करके ही छोड़ते है, वहीँ
अगर इन्हें गुस्सा आ गया तो ये उसकी हद तक चले जाते है.
· जीवनशैली ( Lifestyle ) : ज्यादातर अघोरियों की आँखें
लाल ही होती है मानों में हमेशा गुस्से में रहते हो किन्तु होता इसके बिलकुल
विपरीत है क्योकि उनका मन बिलकुल शांत होता है. ये काले वस्त्र धारण करते है और
गले में नरमुंड की माला पहनते है. इनकी कुटिया श्मशानों में ही होती है जहाँ पर
सदा धुनी जलती रहती है. अगर वे किसी पशु को पलने का विचार करते है तो सिर्फ कुत्ते
का ही चुनाव होता है, साथ ही एक गुरु अघोरी के साथ उनके शिष्य सदा साथ बने रहते है. ये शिष्य
उनकी सेवा करते है. ये अपनी जुबान के भी पक्के होते है अगर इन्होने आपको कोई वचन
दे दिया तो निश्चित रूप से उसे पूरा करते है.
अघोरियों की अनजान अनसुनी रोचक बातें |
ये
सिर्फ गाय का मांस नहीं खाते बाकी ये सब कुछ खा सकते है, चाहे फिर वो
मानव मल हो या फिर किसी अन्य जीव का मांस. इनके जीवन में श्मशान साधना का विशेष
स्थान है क्योकि ये साधना शीघ्र ही फलदायी सिद्ध होती है. श्मशान साधना करने का एक
लाभ ये भी है कि वहाँ कोई नहीं जाता जिससे उनकी साधना में कोई विघ्न उत्पन्न
नही होता. इनके मन से अच्छे और बुरे का भाव इस कद्र निकल जाता है कि ये प्यास लगने
पर अपना ही मुत्र पी सकते है.
ये
आम दुनिया से दूर खुद में मस्त रहने वाले लोग है, दिन में विश्राम करते है और
रात को श्मशान में साधना. जाग्रत अवस्था में सदा मंत्र जप करते रहते है इसलिए किसी
से अधिक बात नहीं करते और मनुष्य से तो बिलकुल कटे हुए रहते है. आज के समय में भी
ऐसे अनेक तपस्वी साधू है जो पराशक्ति को अपने काबू में लाने में समर्थ है. इनकी
साधना के लिए आज दुनिया में सिर्फ 4 श्मशान घाट बचें है, इन
घाटों पर साधना करने पर इन्हें बहुत जल्दी अपनी साधना का फल मिलता है. ये घाट
निम्नलिखित है.
Jaanen Inke Rahasyamayi Sansaar ke Bare Mein |
1. तारापीठ ( Taaraa Peeth ) : बंगाल में एक जिला है
वीरभूमि, ये मंदिर उसी शहर में स्थित है. इस मंदिर में देवी तारा की पूजा होती है
जो माता काली का रूप है. पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी सती के अग्नि दाह के बाद
उनके पिंडों में से उनके नेत्र इसी स्थान पर गिरे थे और इसीलिए ये जगह नयन तारा के
नाम से अधिक विख्यात है. ये मंदिर एक श्मशान घाट के पास बना हुआ है उस श्मशान घाट
को महाश्मशान घाट खा जाता है क्योकि इस घाट में जली हुई चिताओं की अग्नि कभी भी
नहीं बुझती. साथ ही ये एक ऐसा श्मशान है जहां आने पर लोगों को कोई डर या भय नहीं
सताता. मदिर चारों और से द्वारका नदी से घिरा हुआ है. इस श्मशान में दूर दूर से
अघोरी और साधक तपस्या व साधना करने आते है.
2. कामख्या पीठ ( Kamakhya Peeth ) : कामख्या मंदिर असम राज्य की
राजधानी दिसपुर के पास वाले शहर गुवाहाटी के करीब है. ये मंदिर नीलांचल व नीलशैल
पर्वतमालाओं पर स्थित है, देवी सती का ये इक्कीसवां शक्ति पीठ प्राचीन काल से लेकर सतयुग तक एक
तीर्थ स्थान हुआ करता था किन्तु आज ये तंत्र क्रियाओं और सिद्धियों का सर्वोत्तम
स्थल माना जाता है. यहाँ माता की महामुद्रा ( योनी कुण्ड ) स्थित है. यहाँ के
श्मशान को तंत्र क्रियाओं के लिए स्वर्ग के रूप में देखा जाता है और यही कारण है
कि यहाँ सर्वाधिक साधक दिखाई देते है.
Aghori Sadhnaa ke Prakar |
3. नासिक ( Nasik ) : महाराष्ट्र के नासिक जिले
में स्थित त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पुरे विश्व में विख्यात है. इस मंदिर
में 1 गड्ढा है जिसमें 3 छोटे छोटे लिंग बने हुए है. इन लिंगों को स्वयं त्रिदेवों
( ब्रह्मा, विष्णु और महेश ) का प्रतिरूप माना जाता है. गोदावरी नदी का उद्गम भी यहाँ
स्थित ब्रह्म गिरी पर्वत से होता है, इस पर्वत के ऊपर जाने
के लिए 700 सीढियाँ बनी है. जब इन सीढियों की चढ़ाई की जाती है तो रास्ते में
रामकुंड और लक्ष्मण कुण्ड के दर्शन होते है, साथ ही जब चढ़ाई
पूरी होती है तो गोमुख स्थान के दुर्लब दर्शन होते है जहाँ से स्वयं गोदावरी नदी
निकलती है, इस नदी के दर्शन को साक्षात भगवती गोदावरी का
दर्शन माना जाता है. यहाँ स्थित श्मशान भी तंत्र क्रियाओं के लिए बहुत विख्यात है
साथ ही भगवान भोलेनाथ को ही तंत्र और अधोरवाद का जन्मदाता देव माना जाता है इसलिए भी
इस मंदिर का अघोरियों के लिए बहुत महत्व है.
4. उज्जैन ( Ujjain ) : 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के जिले उज्जैन में बना हुआ है. क्योकि यहाँ
महाकालेश्वर महादेव शिव दक्षिणमुखी, भव्य और स्वयंभू है इसीलिए इस
स्थान को सर्वाधिक पुण्य फलदायी माना जाता है. इस शहर को शिवजी का शहर भी माना
जाता है इसीलिए यहाँ के श्मशानों में दूर दूर से साधक आते है जिनको तंत्र शास्त्र
में चर्म ज्ञान की प्राप्ति होती है.
अघोरियों
के जीवन के अन्य रहस्यों और उनकी जीवनशैली के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत
नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Adhori Saadhnaa ke 4 Mukhya Shamshan |
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