लेज़र कीबोर्ड
दोस्तों जब से कंप्यूटर
बना है तब से कंप्यूटर में डाटा डालने के लिए कीबोर्ड का इस्तेमाल होता आ रहा है
और जैसे जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ी वैसे वैसे कीबोर्ड की शेप, साइज़, क्वालिटी
और टाइप भी बदलते गये. आपने भी कई तरह के कीबोर्ड इस्तेमाल किये होंगे जैसेकि
वायर्ड कीबोर्ड, वायरलेस कीबोर्ड, रोलिंग
कीबोर्ड और क्वर्टी कीबोर्ड. लेकिन आजकल ट्रेंड है लेज़र कीबोर्ड्स का. जी हाँ,
आपने कई सारी हॉलीवुड मूवीज में देखा होगा जिसमें लेसर कीबोर्ड का
इस्तेमाल हुआ है और खुद भी उस तरह के कीबोर्ड को यूज करने का मन करता होगा. तो
चलिए जानते है आखिर लेज़र कीबोर्ड है क्या और ये अपना काम कैसे कर लेता है. CLICK HERE TO KNOW ब्लास्ट प्रूफ फ्यूचर बैटरी सोडियम सलफेट बैटरीज ...
Laser Keyboard और ये कैसे काम करता है |
लेज़र कीबोर्ड क्या है :
लेज़र कीबोर्ड भी बाकी
कीबोर्ड की तरह एक इनपुट डिवाइस ही है जिसे प्रोजेक्शन कीबोर्ड के नाम से भी जाना
जाता है. IBM ( International Business Machine ) ने सन 1992 में सबसे पहला
लेज़र कीबोर्ड बनाया था. अपनी नाम की ही तरह ये कीबोर्ड एक प्रोजेक्शन या यूँ कहें
कि असली कीबोर्ड की परछाई की तरह ही है, जो हाथों और
उँगलियों की मूवमेंट्स को पहचानता है और उसके बाद CPU तक सिग्नल्स को पहुंचाता है, इस तरह आपके द्वारा इंटर की गयी डाटा Computer, मोबाइल या लैपटॉप तक पहुँचती है.
कनेक्टिविटी :
इस कीबोर्ड को आप अपने
कंप्यूटर, लैपटॉप,
स्मार्टफोन या टेबलेट किसी से भी कनेक्ट कर सके हो, इसके लिए बस आपको जरूरत होगी एक USB और ब्लूटूथ कनेक्शन की. और अगर आप इसे अपने
डेस्कटॉप के साथ कनेक्ट करना चाहते हो तो आपको ब्लूटूथ डोंगल खरीदना होगा. वैसे
इसमें मल्टी पॉइंट कनेक्टिविटी है लेकिन USB और ब्लूटूथ से कनेक्ट करना सबसे बेहतर होता है.
साथ ही हर स्मार्टफोन और कंप्यूटर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी यही कोशिश कर रही है कि
इस कीबोर्ड को अपने डिवाइस में इनबिल्ड कर दिया जाएँ इसलिए हो सकता है कि भविष्य
का हर डिवाइस लेज़र कीबोर्ड के साथ आयें.
कैसे काम करता है लेज़र
कीबोर्ड :
- हर लेज़र कीबोर्ड के ऊपर आपको एक लाल रंग की लेज़र
मिलेगी, ये लेज़र
ठीक वैसी होती है जैसी आपने अपने बचपन के खिलौनों में देखि होगी. लेकिन ये लेज़र
कार्टून इमेज नहीं दिखाती बल्कि एक कीबोर्ड का लेआउट देती है.
- जब आप लेज़र कीबोर्ड को चालु करते हो तो ये अपने
सामने एक समतल सरफेस पर लेज़र को प्रोजेक्ट करती है ( ध्यान रहे कि कीबोर्ड
प्रोजेक्शन के लिए सरफेस समतल ही होना चाहियें वर्ना कीबोर्ड अच्छी तरह काम नहीं
करेगा. ) जो सरफेस पर आने के बाद एक कीबोर्ड की तरह दिखने लगती है. यही आपका लेज़र
कीबोर्ड है.
- इस लेज़र कीबोर्ड के नीचे ही एक सेंसर भी होता है
और सेंसर के नीचे होती है एक इन्फ्रारेड लाइट, जो इतनी पतली होती है कि हमें दिखाई तक नहीं देती.
- ये इन्फ्रारेड लाइट कीबोर्ड के ऊपर एक और लेयर को
बना देती है, इसलिए जब
आप किसी कीय ( Key ) को प्रेस करते हो तो पहले उस कीबोर्ड के ऊपर बनी
उस लेयर को टच करते हो. इस तरह वो इन्फ्रारेड लाइट हमारी उस ऊँगली से टकराती है और CMOS नाम
के सेंसर से होकर जाती है.
- इसके बाद ये सेंसर ही बताता है कि कौन से बटन को
दबाया गया है और अपनी सारी इनफार्मेशन सॉफ्टवेर तक पहुंचाता है जो डाटा को आउटपुट
में शो करता है.
Laser Keyboard Aur Ye Kaise Kaam Karta Hai |
लेज़र कीबोर्ड के फायदे :
- लेज़र कीबोर्ड वायरलेस है मतलब इसको यूज करने के
लिए आपको तारों के झमेले में नहीं पड़ना पड़ता.
- अगर आप रात को काम ज्यादा करते हो और वो भी लाइट
बंद करके तो ये आपके लिए बेस्ट आप्शन है क्योकि इसकी लाइट आपको अँधेरे में भी काम
करने में मदद करती है.
- इसको आप सिंपल कीबोर्ड की तरह लम्बे समय तक
इस्तेमाल कर सकते हो.
- इसका साइज़ भी छोटा होता है, वजन भी नहीं होता और आप कही भी
इसको इस्तेमाल कर सकते हो बस ध्यान रहे कि सरफेस प्लेन हो.
लेज़र कीबोर्ड के नुकसान :
- लेज़र कीबोर्ड की कीमत सामान्य कीबोर्ड से करीब 10
गुना अधिक होती है.
- आप इन्हें सिर्फ उन कंप्यूटर या कीबोर्ड में
इस्तेमाल कर सकते हो जो OTG को सपोर्ट करता हो वरना नहीं.
- वहीँ अगर आप ब्लूटूथ वाले लेज़र कीबोर्ड को यूज कर
रहे हो तो आपको सेल की जरूरत होगी जोकि जल्दी और बार बार खराब हो जाते है.
- ऐसे बहुत से डिवाइस है जिसमे लेज़र कीबोर्ड को
इस्तेमाल करने से पहले कनवर्टर सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल करना पड़ता है क्योकि ये Plug and Play डिवाइस नहीं है.
- इसकी स्पीड भी काफी कम है और इसका यूज ध्यान से
करना पड़ता है खासतौर से कीस्ट्रोक करते वक़्त.
क्या लेज़र कीबोर्ड सभी को
इस्तेमाल करना चाहियें, लेज़र कीबोर्ड की लिमिटेशन :
हर चीज या डिवाइस की तरह
लेज़र कीबोर्ड की भी कुछ लिमिटेशन है जैसेकि –
- प्लेन सरफेस : इसके लिए एक प्लेन सरफेस की जरूरत है अगर प्लेन सरफेस नहीं मिला तो
ये सही से काम नहीं कर पाता.
- मल्टी कीय सपोर्ट नहीं : वैसे तो आप इसमें भी कई बटन की कमांड साथ में दे सकते हो मतलब जिनमे
आपको पहले Ctrl या Shift दबाना
पड़ता है. लेकिन ऐसा करते वक़्त अगर आपने पहले शिफ्ट दबा दिया तो वो Ctrl को ढक देगा और वो अपना काम नहीं कर पायेगा. ऐसे
में ना तो इन्फ्रारेड लाइट Ctrl तक
पहुंचेगी और ना ही उससे टकराकर वापस आएगी. इसलिए लेज़र कीबोर्ड मल्टी कीस के मामले
में पीछे है.
- स्पीड भी है कम : अगर आपकी टाइपिंग स्पीड काफी
अच्छी है या आपको दिन में कीबोर्ड का काम अधिक करना पड़ता है तो ये कीबोर्ड आपके
लिए सिर दर्द बन सकता है, ऐसा इसलिए क्योकि अभी इसकी स्पीड
बहुत कम है. अगर आप इसपर काम करोगे तो आपको लगेगा कि आपका कंप्यूटर या डिवाइस आपकी
स्पीड को मैच नहीं कर पा रहा है.
- सिर्फ शो ऑफ के लिए है : अगर देखा जाएँ तो अभी ये
डिवाइस सिर्फ शो ऑफ के लिए ही है, अगर आप किसी के सामने खुद
को मॉडर्न दिखाना चाहते है या ये दिखाना चाहते है कि आप नयी नयी टेक्नोलॉजी
इस्तेमाल करते हो तो ठीक है, वर्ना अभी ये टेक्नोलॉजी सभी के
यूज के लिए नहीं है.
Laser Keyboard ko Kaise Connect Karte Hai |
लेज़र कीबोर्ड कैसे काम करता
है और इसे कैसे इस्तेमाल करना है, इसके बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट
करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
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