भीमराव अम्बेडकर जयंती (Bheemrav Ambedkar Jayanti)
भीमराव अम्बेडकर का पूरा
नाम बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर हैं. ये भारत देश के प्रतिभावान, नेता,
बुद्धिजीवी, प्रसिद्ध अधिवक्ता, आन्दोलनकारी, शिक्षाविद, लेखक व युगपुरुष हैं.
इन्होनें अपना पूरा जीवन भारत देश के कल्याण में तथा समाज कल्याण में व्यतीत कर
दिया. इन्हें दलितों के नेता के रूप में तथा संविधान निर्माता के
रूप में भी जाना जाता हैं.
जन्म (Birth) – इनका जन्म 14
अप्रैल सन 1891 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में रामजी मोलाजी सकपाल के घर
हुआ था. इनकी माता का नाम भीमाबाई मुरबादकर था. ये अपने माता –
पिता के 14 वीं और अंतिम संतान थे.
शिक्षा (Education) - अम्बेडकर एक दलित व अछूत जाती के थे. इन्होने अपनी शिक्षा
महाराष्ट्र के एक स्कूल से प्राप्त की. जहाँ पर इन्हें काफी दिक्कतों का सामना
करना पडा. इन्होनें अपनी मेहनत और लगन के जरिए अपनी कॉलेज की पढाई “एलिफिन्सटन
कॉलेज” से पूरी की और स्नातक की डिग्री हासिल की.
बाबासाहेब संविधान निर्माण
की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में
बाबासाहेब अम्बेडकर को सन 1926
में बम्बई विधान सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किये गये. इसके बाद से ही
इन्होनें राजनीति में प्रवेश करना शुरू किया और इस क्षेत्र में आगे बढ़ते – बढ़ते सन
1942 से 1946 के बीच में गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी सदस्यता तक
पहुँच गए. भारत के आजाद होने के बाद ये जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में विधि
मंत्री के रूप में निर्वाचित हुए. भारत देश के आजाद होने के बाद भारत को एक
लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाने के लिए एक क़ानूनी संविधान की जरुरत थी. जिसके लिए
संविधान सभा के सदस्यों ने के प्रारूप समिति का गठन किया और इस समिति का अध्यक्ष
बाबासाहेब अम्बेडकर को बना गया था. बाबासाहेब अम्बेडकर ने भारत देश के संविधान
का निर्माण करने में अपना अमूल्य योगदान दिया. इन्होनें भारत के संविधान का
निर्माण करने के लिए विभिन्न देशों के संविधान का अध्ययन किया. जिसके फलस्वरूप ही सन
1950 में 26 जनवरी के दिन भारतीय संविधान लागू हुआ और भारत एक लोकतान्त्रिक
देश बन पाया. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT सुभास चन्द्र बोस जयंती ...
Happy Babasaheb Bhimrav Ambedkar Jayanti |
दलितों के मसीहा तथा छुआछुत
के विरोधी
अम्बेडकर की पहचान ही एक
दलित आन्दोलन करता के रूप में होती हैं. अम्बेडकर स्वयं भी एक दलित व अछूत समझी
जाने वाली महार जाती के थे तथा इन्होने भी अनेक दलित और छुआछुत लोगों की
तरह काफी अपमानजनक स्थितियों का सामना किया था. इन्होनें दलित और अछूतों के लिए
जीवनपर्यंत संघर्ष किया था और ये हमेशा इन जातियों को इनके अधिकार दिलाने के लिए आन्दोलन
करते थे. जिनका वर्णन निम्नलिखित किया गया हैं –
1.
भीमराव अम्बेडकर ने सन 1927
में हिन्दू समुदाय के सामंतों के द्वारा अपनी नीजी संपत्ति के रूप में घोषित
किये गये तलाब और कुओं से पानी का प्रयोग करने के लिए तथा दलितों को उनके हक
दिलाने के लिए एक सत्याग्रह किया था. जिसमे सन 1937 में बम्बई के उच्च नयायालय
में उन्हें जीत भी हासिल हुई थी.
2.
अम्बेडकर जी के समयकाल में
दलितों को मंदिर में जाने से तथा भगवान की पूजा करने से रोका जाता था. उन्हें
शुद्र वर्ण कहा जाता था और उनका विरोध किया जाता था. कई स्थानों पर तो यदि दलित या
अछूत जाती के लोग किसी मंदिर की सीढियों पर अगर पैर रख देते थे तो उनका अपमान किया
जाता था तथा उन्हें मारकर भगा दिया जाता था. भीमराव अम्बेडकर ने दलितों को मंदिर
में प्रवेश के अधिकार के लिए भी काफी संघर्ष किया था और दलितों को भगवान् की पूजा
करने का अधिकार दिलवाया था.
3.
अम्बेडकर गोलमेज सम्मेलन के शिष्टमंडल के
भी सदस्य थे, जहाँ पर इन्होनें दलित व अछूत जाती के लिए एक अलग निर्वाचन मंडल की मांग की थी. जिससे दलित
भी चुनाव में खड़े हो सकें और उन्हें मतदान का अधिकार प्राप्त हो सके.
दलितों और अछूतों के लिए
उनका कहना था कि “जहाँ मेरे व्यक्तिगत हित और देशहित में टकराव होगा वहां मैं
देश के हित को प्राथमिकता दूँगा, लेकिन जहाँ दलित जातियों के हित में टकराव होगा,
वहां मैं दलित जातियों को प्राथमिकता दूँगा.” CLICK HERE TO READ MORE ABOUT स्वामी विवेकांनद जयंती तथा युवा दिवस ...
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ |
अम्बेडकर जी ने दलितों के
साथ हो रहे अत्याचार व उनके अधिकार का उल्लेख करने के लिए “मी कसा झाला”
नामक मराठी भाषा में लिखी गई एक पुस्तक का लेखन भी किया था. यह मराठी
साहित्य व अन्य साहित्य में दलितों से जुडी पहली रचना हैं.
अम्बेडकर जयंती कैसे मनाई
जाती हैं (How to Celebrate
Ambedkar Jayanti)
भारत देश में अम्बेडकर जी
के जन्म दिवस को एक राष्ट्रिय दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन भारत देश के
सरकारी कार्यालयों, कॉलेजों, स्कूलों में तथा नीजी कार्यालयों में अवकाश रहता हैं.
इस दिन भारत देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्री अम्बेडकर जी की
समाधि पर एकत्रित होते हैं और उन्हें पुष्प की माला चढ़ाकर श्राद्धांजलि देते हैं
और देश के प्रति समर्पण व योगदान को याद करते हैं. इस दिन जिनके अधिकारों के लिए
अम्बेडकर जी हमेशा तत्पर खड़े रहते थे अर्थात दलित समुदाय के लोग अम्बेडकर जी की
तस्वीर को स्थापित कर शोभायात्रा निकालते हैं तथा उनके नाम की जय – जयकार लगाते
हैं.
बाबासाहेब भीमराव
अम्बेडकर जयंती के बारे में
अधिक जानने
के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
Babasaheb Bhimrav Ambedkar |
Happy Babasaheb
Bhimrav Ambedkar Jayanti, बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर
जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ, बाबा साहेब अम्बेडकर, Baba Saheb Ambedkar, Daliton ke Masiha
Chhuachhut ke Virodhi Ambedkar, Bhimrav Ambedkar Janm Siksha
YOU MAY ALSO LIKE
- अम्लीयता के लक्षण और कारण
No comments:
Post a Comment