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Happy Vallabhachary Jayanti | वल्लभाचार्य जयंती मुबारक हो

वल्लभाचार्य जयंती (Vallabhachary Jayanti)
वल्लभाचार्य की जयंती प्रत्येक वर्ष मई महीने में मानाई जाती हैं. इनका जन्म सन 1478 में छत्तीसगढ़ के रायपुर नगर के समीप चंपारण गाँव में हुआ था. इनकी माता का नाम इलम्मागारू था और इनके पिता का नाम लक्ष्मण भट्ट था जो की एक तैलंग ब्राहमण थे.

वल्लभाचार्य की शिक्षा (Vallabhachary ‘s Education)
इन्हें शिक्षा - दीक्षा काशी में प्राप्त हुई. अष्टादशाक्षरगोपाल मन्त्र की रूद्र सम्प्रदाय के विल्वमंगलाचार्य के द्वारा प्राप्त हुई थी तथा इन्हें त्रिदंड सन्यास की शिक्षा स्वामी नारायनेंद्र्तिर्थ से प्राप्त हुई थी.

वल्लभाचार्य के शिष्य – ऐसा माना जाता हैं की वल्लभाचार्य के शिष्यों की संख्या 84 थी. जिनमें सूरदास, कुम्भनदास, कृष्णदास तथा परमानंद दास मुख्य शिष्य थे. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT छत्रपति शिवाजी जयंती ...
Happy Vallabhachary Jayanti
Happy Vallabhachary Jayanti


वल्लभाचार्य का दर्शनशास्त्र (Philosophy of Vallabhacharya) – वल्लभाचार्य के अनुसार संसार में तीन ही तत्व मुख्य रूप से विद्यमान हैं. ब्रहम, ब्रहमांड तथा आत्मा. जिसे साधारण भाषा में ईश्वर, जगत तथा जीव कहा जाता हैं. वल्लभाचार्य ने इन तीनों तत्वों को ही अपने दर्शनशास्त्र का आधार बनाया और इनके ही आधार पर संसार के प्राणियों के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख किया. वल्लभाचार्य का मानना था कि इस पृथ्वी पर एक मात्र सत्य ब्रह्म हैं. वल्लभाचार्य ने श्री कृष्ण जी को अपना ब्रहम माना था तथा उनकी ही महिमा का सदैव बखान करते रहते थे. इन्होने कृष्ण जी को सर्व व्यापक तथा अन्तर्यामी बताया था. वल्लभाचार्य ने संसार के प्रत्येक जीव को इसी ब्रह्म का अंश बताया हैं. उनका कहना हैं कि “ परमात्मा ही जीव आत्मा के रूप में संसार में छिटका हुआ हैं.”

वल्लभाचार्य के अनुसार संसार में कुछ भी बिना कारण नहीं होता अर्थात संसार में हर कार्य के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता हैं. इसलिए कार्य और कारण अलग – अलग नहीं हैं. बल्कि दोनों एक ही हैं. जिसके लिए उन्होंने एक सूत के गोले और कपडे के गोले का उद्धारण भी प्रस्तुत किया था. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT झूलेलाल जयंती ...
वल्लभाचार्य जयंती मुबारक हो
वल्लभाचार्य जयंती मुबारक हो


वल्लभाचार्य का पुष्टिमार्ग (The Pushtimarga of Vallbhachary)
पुष्टिमार्ग शुद्धताद्वैत दर्शन पर आधारित हैं. पुष्टि का अर्थ भगवान का साक्षात्कार करने के लिए उनसे प्रार्थना या अनुग्रह करना होता हैं. वल्लभाचार्य सदैव अपने शिष्यों को पुष्टिमार्ग पर चलने का उपदेश देते थे. इस मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति केवल भगवान की अराधना करता हैं और उन्हें प्राप्त करने की ही इच्छा रखता हैं. इस साधना को करने वाला साधक ईश्वर के समक्ष अपना आत्मसमर्पण कर देता हैं. जिसे “प्रेम लक्षण भक्ति” के नाम से जाना जाता हैं.  

वल्लभाचार्य दवारा रचित ग्रंथ (Text Composed By Vallbhachary) – वल्लभाचार्य ने वेद, वेदांग, दर्शन, पुराण आदि विविध धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया था. वे वैष्णव धर्म के अलावा जैन, बोद्ध, शैव, शाक्त तथा शांकर धर्म के विद्वान् थे. इन्होने अपने जीवन में शिष्यों को शिक्षा देने के साथ – साथ कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की भी रचना की थी जिनकी जानकारी नीचे दी गई हैं –

·         ब्रह्मसूत्र का ‘अणु’ भाष्य और ‘वृहद्’ भाष्य

·         भागवत की सुबोधिनी टिका

·         पूर्व मीमांसा भाष्य,

·         गायत्री भाष्य

·         पत्रावलंवन

·         पुरुषोत्तम सहस्त्रनाम

·         दशमस्कंध अनुक्रमणिका

·         त्रिविध नामावली

·         शिक्षा श्लोक

·         न्यायादेश

·         सेवा फल वितरण

·         प्रेमामृत तथा

·         मधुराष्ट

·         परिवृढ़ाष्टक

·         नंदकुमार अष्टक

·         श्री कृष्णाष्टक

·         गोपीजनबल्लभाष्टक 

वल्लभाचार्य जयंती के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
Vallabhachary Jayanti
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