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Gudi Padwa Nav Varsh ki Shuruaat | गुडी पड़वा नव वर्ष की शुरुआत | Gudi Padwa Beginning of New Year

गुडी पड़वा (Gudi Padwa)
गुडी पड़वा चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनाया जाता हैं. हिन्दू समुदाय के पंचांग के अनुसार गुडी पड़वा से हिन्दू नव वर्ष, नया संवत, नया दिन, नया महिना आरम्भ होता हैं.

गुडी पड़वा के लिए प्रयुक्त होने वाले शब्द (The Word That is Used For Gudi Padwa)
गुडी पड़वा मुख्य रूप से महारष्ट्र में मनाया जाता हैं. महाराष्ट्र में इसे  “ब्रहम ध्वज पूजा” भी कहा जाता हैं. कर्नाटक तथा आंध्रप्रदेश में इस दिन को “ उगादी ” के नाम से जाना जाता हैं. कश्मीर में इसे “ नव रोज ” के रूप में मनाते हैं. पंजाब में इस दिन को “ बैसाखी ” जाता हैं. बंगाल में इसे “ नव बर्षा ”, असम में “ गोरु बिहू ”, तमिलनाडू में “पुथांडू” तथा केरला में इसे “ विशु ” के नाम से जाना जाता हैं.

गुडी पडवा कहानी (Gudi Padwa Story)
गुडी पड़वा से बहुत सी कहानियाँ जुडी हुई हैं. जिनका वर्णन नीचे किया गया हैं -

1.         ब्रह्म पुराण जो की एक धर्म ग्रंथ हैं. इसके अनुसार इस दिन से ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण करना शुरू किया था. इस लिए इसे संसार का पहला दिन माना जाता हैं. इस धर्मग्रंथ के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा की तिथि से ही चार युगों में से सबसे पहले युग सत्ययुग की शुरुआत हुई थी तथा इस दिन से ही सृष्टि का कालचक्र आरम्भ हुआ था. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT नया साल कैसे मनायें ...
Gudi padwa nav varsh ki shuruaat
Gudi padwa nav varsh ki shuruaat 

2.         रामायण के अनुसार इसी दिन अयोध्या में श्रीराम जी का राज्याभिषेक हुआ था और उन्होंने अयोध्या का राज – पाठ संभाला था.

3.         महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथ के अनुसार इस दिन युधिष्ठिर राजा बने थे और उन्होंने इस दिन से ही युगाब्ध (युधिष्ठिर संवत) का आरम्भ किया था.

4.         इसी दिन से चैत्र मास के माँ दुर्गा के नवरात्रे शुरू हुए थे. जिसके पीछे लोगों की मान्यता हैं कि नए साल की शुरुआत के पहले नौ दिन माँ की अराधना करने से मनुष्य को जीवन शक्ति प्राप्त होती हैं. जो पूरे साल भर मनुष्य के साथ रहती हैं.

5.         उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य जी ने भी इसी दिन उज्जैन का सिंहासन ग्रहण किया था और विक्रम संवत की शुरुआत की थी.

गुडी पड़वा की पूजा (Gudi Padwa Worship)
गुडी पड़वा के दिन महाराष्ट्र के सभी घरों में विशेष पूजा की जाती हैं तथा इस त्यौहार को नव वर्ष के रूप में मनाने के लिए तथा पूजा करने के लिए कुछ तैयारियां भी की जाती हैं. जिसका वर्णन निम्नलिखित हैं –

1.       महाराष्ट्र में इस दिन महिलाएं घर की साफ – सफाई करने के पश्चात् घर के दरवाजे के बीच में हल्दी और कुमकुम का प्रयोग कर रंगोली बनाती हैं.

2.       रंगोली बनाने के बाद आम के पत्ते तथा गेंदें के फूल को एक धागें में पिरोकर अपने घर के मुख्य दरवाजे के ऊपर बांध देती हैं.

3.       महाराष्ट्र में इस दिन गुडी पूजा करने के लिए तथा भगवान को भोग लगाने के लिए सभी घरों में श्रीखण्ड बनाया जाता हैं.

4.       श्रीखंड का भोग तैयार करने के बाद घर के सभी व्यक्ति एक साथ इकट्ठे होकर भगवान की पूजा करते हैं और उन्हें श्रीखंड का भोग लगाकर उनसे हाथ जोड़कर भगवान् से प्रसाद ग्रहण करने की तथा अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं.
5.       श्रीखंड बनाने के बाद पहले भगवान् को इसका भोग लगाया जाता हैं तथा इसके बाद इसे पूरी के साथ सभी एक साथ मिलकर खाते हैं.

6.       इस दिन घर के सदस्यों के साथ पूजा करने के बाद गुडी बनाने की तयारी की जाती हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT भारत में नया साल ...
गुडी पड़वा नव वर्ष की शुरुआत
गुडी पड़वा नव वर्ष की शुरुआत 

7.       गुडी बनाने के लिए एक लम्बा बॉस का डंडा लिया जाता हैं और उस पर तेल लगाने के बाद एक हरा या पीला रंग का कपडा लिया जाता हैं. जिसके किनारे पर सुनहरे रंग की एक पट्टी भी लगी होती हैं. इस कपडे को बांस के डंडे पर बांध दिया जाता हैं.

8.       कपडे से बाँधने के बाद इस डंडे पर आम तथा नीम के पत्ते बांधे जाते हैं. इसके बाद इस पर एक लाल रंग के फूलों की माला चढ़ाई जाती हैं और कपडे में कुछ चीनी के दाने बांध दिए जाते हैं.

9.       इसके बाद एक चाँदी या ताम्बे की धातु से बना लोटा लिया जाता हैं और उस पर कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर डंडे के ऊपर जहाँ पर कपडा बांधा जाता हैं उस पर लगा दिया जाता हैं.

10.   इसके बाद ब्राहमण को बुलाकर कुछ मन्त्रों का उच्चारण करने के बाद इसे घर की छत की बांयी या दायीं ओर सीधा लगा दिया जाता हैं.

11.   इसके बाद गुडी पर चढाने के लिए नीम के पत्तों, शहद, फूल, भीगी हुई दाल, जीरा तथा हिंग का प्रयोग कर प्रसाद बनाया जाता हैं और गुडी पर चढ़ाया जाता हैं.

12.   डंडे से बने इस गुडी को ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता हैं. इसलिए इसको लगाने के बाद हाथ जोड़कर ब्रह्मा जी से प्रार्थना की जाती हैं और सभी लोगों में गुडी पर चढ़ाया गया प्रसाद वितरित किया जाता हैं.

गुडी पड़वा के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.   
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