इस वेबसाइट पर किसी भी तरह के विज्ञापन देने के लिए जरूर CONTACT करें. EMAIL - info@jagrantoday.com

Note: इस वेबसाइट ब्लॉग पर जो भी कंटेंट है वो मात्र सुचना और शिक्षा के लिए दी गयी है. किसी भी कंटेंट को प्रयोग अगर किया जाता है तो उसके लिए खुद प्रयोग करने वाला ही हर तरह से जिम्मेदार होगा. हमने यहाँ अपने विचार प्रकट किये है. इसीलिए इसमें हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं - धन्यवाद

कुछ ख़ास आपके लिए :-

Best Full Body Massage Maalish Parlour in Rohtak Haryana - बेस्ट फुल बॉडी मसाज मालिश पार्लर इन रोहतक हरयाणा

  Best Full Body Massage Maalish Parlour in Rohtak Haryana सबसे पहला प्रश्न तो यही है की हमे बॉडी मसाज या शरीर पर मालिश ( Full Body Massa...

Happy Madhavacharya Jayanti | माधवाचार्य जयंती की शुभकामनाएं

माधवाचार्य जयंती
आचार्य माधवाचार्य की जीवनी 
आचार्य माधवाचार्य भक्ति आन्दोलन के संत परम्परा के एक विशेष अंग थे. इनका जन्म विजयादशमी के दिन सन 1238 ईस्वी पूर्व कर्नाटक के उडुपी के पास स्थित पाजका नामक गाँव में हुआ था. इनके पिता का नाम नादिल्य नारायण भट्ट था तथा इनकी माता का नाम वेदवती था. इनके बचपन का नाम वासुदेव था. ये बचपन से ही असामान्य प्रतिभा के धनी थे. इन्होने बाल्यकाल में ही तैराकी करना, पहाड़ों पर चढ़ना, वस्तुओं का वजन तोलना सिख लिया तथा इन सभी कामों में ये सिद्धहस्त थे. इनका मन बचपन से ही आध्यात्मिक कार्यों में लगता था. इसलिए इन्हें बाल्यावस्था में ही धार्मिक मन्त्र, सत्य वचन, श्लोक याद हो गये थे. माधवाचार्य ने आध्यात्मिक शिक्षा अपने गुरु अच्छुयतप्रेक्षा से प्राप्त की थी. इनसे शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही ये भक्तिकालीन संत काव्यधारा के मुख्य आचार्य माधवाचार्य के रूप में प्रख्यात हुए.

माधवाचार्य का द्वैतवाद
माधवाचार्य ने आरंभ में अद्वैतवाद की शिक्षा प्राप्त की थी. लेकिन उन्होंने शंकराचार्य के द्वारा स्थापित अद्वैतवाद के प्रति आपत्ति जताई. उनके अनुसार अद्वैतवाद में व्यक्ति के सामान्य अनुभव की उपेक्षा होती हैं तथा जीव और ब्रह्म दोनों का अलग – लग अस्तित्व हैं. फिर भी शंकराचार्य ने इन दोनों को अद्वैत माना. माधवाचार्य को अद्वैत दर्शन से शिकायत यह भी थी कि अद्वैतवाद में निर्गुण ब्रह्म अर्थात ब्रह्म के निराकार स्वरूप को पूजा जाता हैं. जिससे व्यक्ति के मन को शांति नहीं मिल पाती. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT शंकराचार्य जयंती ...
Happy Madhavacharya Jayanti
Happy Madhavacharya Jayanti


इसलिए माधवाचार्य ने द्वैतवाद के दर्शन की स्थापना की थी तथा ब्रह्म को निर्गुण न मानकर सगुण माना था. उनका मानना था कि ब्रह्म ही विष्णु या नारायण हैं. जो सर्वगुणों से सम्पन्न हैं वो ही असली ब्रह्म तत्व हैं तथा विष्णु, नारायण, हरी, परमेश्वर, ईश्वर, वासुदेव आदि के नामों से इसी सर्वगुणों से सम्पन्न ब्रह्म को जाना जाता हैं.

मध्वाचार्य के अनुसार विष्णु भगवान ही मोक्ष, ज्ञान, बंधन, जगत की उत्पत्ति अर्थात सम्पूर्ण जगत के करता – धर्ता हैं तथा ये स्वतंत्र हैं. जीव और सम्पूर्ण जगत इसी ब्रह्म अर्थात विष्णु के अधीन हैं और उनके अनुसार ही जगत में जीव के द्वारा अनेक कार्य सम्पन होते हैं. माधवाचार्य ने विष्णु भगवान् की ही भांति उनकी पत्नी लक्ष्मी जी को भी स्वतंत्र हैं.

मायावाद का खंडन
माधवाचार्य ने शंकराचार्य के द्वारा प्रतिपादित मायावाद के दर्शन का भी खंडन किया था. उनका कहना था कि जिस प्रकार प्रकाश और अँधेरा एक साथ नहीं रह सकते. ठीक उसी प्रकार ब्रह्म और अविद्या एक साथ नहीं रह सकते. यदि अविद्या सत्य हैं तो ब्रह्म का इससे प्रभावित होना नामुमकिन हैं और यदि अविद्या असत्य हैं तो अद्वैतवाद दर्शन का सिद्धांत ही गलत हैं और इसके साथ – साथ मायावाद का सिद्धांत भी गलत हैं.

माधवाचार्य के अनुसार जीव और ब्रहम का सम्बन्ध
मध्वाचार्य का मानना हैं कि जीव और ब्रह्म दोनों एक – दुसरे से अलग हैं. ब्रहम का अस्तित्व स्वतंत्र हैं तथा जीव परतंत्र हैं अर्थात यह ब्रह्म के अधीन हैं. माधवाचार्य के अनुसार ब्रह्म में भी सत, चित्त और आनंद की भावना समावेषित होती हैं. जीव और ब्रह्म के इसी सम्बन्ध को आधार बनाकर मध्वाचार्य ने 5 सिद्धांत प्रतिपादित किये हैं. जिनका विवरण नीचे दिया गया हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT वल्लभाचार्य जयंती ...
 माधवाचार्य जयंती की शुभकामनाएं
 माधवाचार्य जयंती की शुभकामनाएं


1.       ब्रह्म जीव से भिन्न होता हैं.

2.       ऐसे ही ब्रह्म जगत से भी भिन्न होता हैं.

3.       जीव जगत से अलग हैं.

4.     भक्ति ही मोक्ष प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ साधन हैं. इसलिए जीव को भगवान की सेवा करनी चाहिए.
5.      जगत का हर जीव – दुसरे जीव से अलग होता हैं.

माधवाचार्य के ग्रंथ
मध्वाचार्य भक्ति आन्दोलन के मुख्य आचार्य थे तथा और संतों और महात्माओं की ही भांति ही इन्होने भक्तिकाल में भगवान् के सगुण रूप की भक्ति की तथा इसका प्रचार – प्रसार कर इस काल में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने भक्तिकाल में पाखंडवाद तथा मायावादी सिद्धांतों का विरोध किया. माधवाचार्य ने अपने द्वैतवाद के दर्शन को लोगों को समझाने के लिए अनेक ग्रंथों की भी रचना की थी. जिनमें से कुछ ग्रंथों के नाम निम्नलिखित दी गई हैं –

1.   ब्रह्मसूत्रभाष्य अनुव्याख्यान
2.   ऐतरेय
3.    छान्दोग्य
4.    केन
5.    कठ
6.    बृहदारण्यक
7.    उपनिषदों का भाष्य
8.    गीताभाषय
9.    भागवततात्पर्यनिरणय
10.   महाभारततात्पर्यनिरणय
11.   विष्णुतत्वनिर्णय
12.   प्रपंचमिथ्यातत्वनिर्णय
13.   गीतातात्पर्यनिरणय
14.   तंत्रसारसंग्रह 

आचार्य मध्वाचार्य तथा अन्य महापुरुषों
की जयंती के बारे में जानने के लिए आप नीचे केमेंट करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. 
 Madhavacharya Jayanti
 Madhavacharya Jayanti   

Happy Madhavacharya Jayanti, माधवाचार्य जयंती की शुभकामनाएंमाध्वाचार्य, Madhvaacharya, Acharya Madhavacharya ki Jivni or Davitvad Siddhant, Madhvacharya ke Dvara Mayavad ka Kahndan, Jiv Aur Brham ka Sambandh, Madhavacharya ke Granth.


Dear Visitors, आप जिस विषय को भी Search या तलाश रहे है अगर वो आपको नहीं मिला या अधुरा मिला है या मिला है लेकिन कोई कमी है तो तुरंत निचे कमेंट डाल कर सूचित करें, आपको तुरंत सही और सटीक सुचना आपके इच्छित विषय से सम्बंधित दी जाएगी.


इस तरह के व्यवहार के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !


प्रार्थनीय
जागरण टुडे टीम

No comments:

Post a Comment

ALL TIME HOT