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Suvidhaa ke Gulaam matlb Rogon ke Gulaam | सुविधा के गुलाम मतलब रोगों के गुलाम | Slave of Facilities means Slave of Diseases

अधिक सुविधा से होते है रोग ( More Facilities Causes More Diseases )
आज के समय में ऐसा कौन सा व्यक्ति होगा जिसे सुविधा से प्यार नहीं होगा, हर व्यक्ति चाहता है कि उसके पास बँगला हो, लम्बी गाडी हो, धन दौलत इत्यादि हर सुख हो. सुविधा का चाह अधिकतर लोग इसलिए रखते है ताकि समाज में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ें, लोग उनके ऐश्वर्य को देखकर उनको सम्मान दें. हर व्यक्ति की सुविधा के लिए ऐसी चाह उनकी मानसिकता को दर्शाती है उदहारण के लिए समझे कि जब भी बाजार में कोई नयी ऐसी चीज आती है जो सबसे अलग हो तो सभी धनी आदमी उसको खरीदने और उसके लाभ को भोगने के लिए आगे रहते है. उनका ये दिखावा उनकी लत सी बन जाती है. फिर वे ना ये देखते कि क्या उन्हें उस चीज की आवश्यकता है या नहीं, वो उनके लिए उचित है या नहीं इत्यादि. वे असलियत को अनदेखा कर देते है और उनका यही अनदेखापन उन्हें रोगों के करीब लाता है. आज हम आपको कुछ ऐसी ही बातों से परिचित कराने जा रहे है जो देखने में तो सुविधाजन लगती है किन्तु होती स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. CLICK HERE TO KNOW शुभ रीति रिवाज ... 
Suvidhaa ke Gulaam matlb Rogon ke Gulaam
Suvidhaa ke Gulaam matlb Rogon ke Gulaam
·     खड़े होकर खाना ( If You Eat while Standing ) : आज आप किसी भी समारोह में चले जाएँ वहाँ आहार भोजन की तरह तरह की सुविधा होती है किन्तु खाना खाने की कोई सुविधा नही होती, बस 5 7 मेज बिछा दी जाती है जिनपर कुछ लोग बैठ पाते है और बाकी सभी को खड़े होकर खाना खाना पड़ता है किन्तु क्या आप जानते है कि खड़े होकर खाना खाने से तरह तरह के रोग होते है. वैसे भी खड़े होकर खाना खाने को भोजन का अपमान ही माना जाता है और विवाह इत्यादि में तो मेहमान और यजमान दोनों के लिए भोजन की व्यवस्था होती है क्योकि इसे एक सभ्य समाज का प्रतिक माना जाता है.

अगर आज से करीब 30 से 35 साल पहले की बात करें तो जब भी मेहमान आते थे तो आस पड़ोस के लोग भी घर में आ जाते थे और मेहमान के आदर सत्कार करते थे. जब उनके खाने का समय होता था तो उन्हें नीचे एक साफ़ अच्छे आसन पर बैठाया जाता था और उन्हें खुद अपने हाथों से भोजन परोसा जाता था और उनके ना कहने पर भी उन्हें 1 2 रोटी अधिक खिला दी जाती है और मेहमान भी प्रसन्नता से उसे स्वीकार करता था. इसके बाद जब मेहमान प्रस्थान करता था तो वो यजमान को अपने घर आने का न्योता देता था और उसके बाद वो यजमान का अपने घर में मेहमान के रूप में स्वागत सत्कार करते थे. CLICK HERE TO KNOW भारतीय भोजन में संस्कार का महत्व ... 
सुविधा के गुलाम मतलब रोगों के गुलाम
सुविधा के गुलाम मतलब रोगों के गुलाम
किन्तु समय बदल चुका है और उसकी के साथ सोच भी बदल चुकी है, आज एक समय में हजारों लोगों को बुलाया जाता है और उन्हें खुद खाना लेने और खड़े होकर खाने के लिए भी बोल दिया जाता है, कुछ तो मेहमानों को काउंटर पर लाइन में खडा कर देते है ताकि जब उनका नंबर आये तब वे खाना खाएं. ऐसी शादियों में न तो लड़के वालों का पता चलता है ना ही लड़की वालों का, ऊपर से लोग इसे फैशन का नाम दे देते है किन्तु वैज्ञानिक और शास्त्रों दोनों की दृष्टि से ये पुर्णतः गलत है. पुराने समय में हर मेहमान, यहाँ तक की राजा भी नीचे बैठकर गद्दी पर खाना खाता था और कोई भी आवश्यकता से अधिक नहीं खाता था ताकि झूठन ना बचे और अन्न का अपमान ना हो किन्तु आज तो खाने को कूड़ेदान में डालने से भी कोई नहीं हिचकिचाता.

खड़े होकर खाना खाने से होने वाली हानियाँ ( Losses of Eating Food in Standing Position ) :
·     वात रोग ( Arthritis ) : खड़े होकर खाना खाने वाले लोगों को सबसे पहले वात रोग ( घुटने में दर्द, गैस, अफारा इत्यादि ) अपना शिकार बनाते है, इनमें कब्ज तो हर रोग का शहंशाह होता है.
Slave of Facilities means Slave of Diseases
Slave of Facilities means Slave of Diseases
·     पेट रोग ( Stomach Diseases ) : वात रोग के साथ साथ पेट में भी समस्यायें होने लगती है जैसेकि खाने का सही से पचना अर्थात अपच, एसिडिटी, पेट में दर्द और मोटापा.

·     कब्ज ( Constipation ) : खड़े होकर खाने खाने से कब्ज निश्चित मानी जाती है ऐसा इसलिए होता है क्योकि खड़े होते वक़्त आँते सिकुड़ी हुई होती है, जिस कारण खाना अच्छी तरह पच नहीं पाता.

·     गुप्त रोग ( Venereal Diseases ) : इस तरह खाना खाने से गुप्त रोग जैसेकि नपुंसकता, नामर्दी, किडनी में समस्या, पथरी इत्यादि भी होने की पूर्ण संभावना बनी रहती है.

·     आयुर्वेदिक दृष्टिकोण ( Aayurvedic Point of View ) : अगर आयुर्वेद की माने तो खाना खाते वक़्त हमारे पैरों को ठंडा होना चाहियें किन्तु जब हम खड़े होते है तो हमारे पैरों में जुत्ते चप्पल की गर्मी बन जाती है. इसलिए आपने ध्यान दिया होगा कि खाना खाने से पहले हाथों और पैरों को ठन्डे पानी से धोया जाता है.
बैठकर खाना खाने के स्वास्थ्य लाभ
बैठकर खाना खाने के स्वास्थ्य लाभ
·     अपमान ( Disrespect / Insult ) : शास्त्रों में लिखा है कि खड़े होकर खाना खाने की आदत असुरों की होती है मनुष्यों की नहीं. ऐसा करने से अन्न का अपमान होता है और जो लोग खाने को झूठा छोड़ते है उनसे तो अन्नपूर्णा शत प्रतिशत रुष्ट हो जाती है. तो ऐसा बिलकुल ना करें.

·     पवित्रता का रखें ध्यान ( Remember the Purity ) : खाना खाते वक़्त पवित्रता को बनायें रखें और उसके लिए ना तो झूठे बर्तनों का इस्तेमाल करें और ना ही गंदे हाथों का. साथ ही ध्यान रखें कि जो खाना परोसता है उसको भी पवित्र अर्थात गन्दगी से रहित होना चाहियें.

बैठकर खाना खाने से स्वास्थ्य लाभ ( Health Benefits of Eating in Sitting Position ) :
·     आसन ( Yogic Posture ) : जब व्यक्ति सुखासन की अवस्था में बैठकर भोजन ग्रहण करता है तो उसके शरीर में एक अलग उर्जा का संचार होता है जो उसे स्फूर्ति प्रदान करता है. सुखासन एक तरह का योगासन है जिसे पद्मासन का ही एक रूप माना जाता है, इस तरह सुखासन से वे सब लाभ भी प्राप्त होते है जो पद्मसान से मिलते है.

·     मन की एकाग्रता ( Mental Concentration ) : बैठकर खाना खाने का एक लाभ ये भी है कि इस तरह ना तो आप अधिक भोजन कर पाते है और ना ही कम. तो ये आपके पाचन क्रिया पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाता. साथ ही इससे मानसिक शक्ति का विकास होता है और एकाग्रता बढती है. जबकि खड़े होकर खाना खाने से एकाग्रता टूटी है. ये अवश्य है कि समय के साथ प्रथाएं बदली है किन्तु अपना स्वास्थ्य तो अपने ही हाथों में होता है तो आप भी अपना ध्यान रखे और जो सही है उसी का चुनाव करें.

बैठकर खाना खाने के अन्य लाभों और संस्कारों के जीवन में महत्व के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Party mein Khade Hokar Khane ki Haaniyan
Party mein Khade Hokar Khane ki Haaniyan

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