Ultra Violet Rays
दोस्तों, Ultra Violet Rays को हिंदी में पैराबंगनी किरणें कहा जाता है और
इसके बारे हम समय समय पर सुनते रहते ही रहते है कि ये सूरज की ओजोन लेयर को काट
रही है, जिसकी वजह से सूरज की तेज किरणें धरती पर आ रही है
और स्किन कैंसर का कारण बन रही है लेकिन क्या अल्ट्रा वायलेट रे हमेशा नुकसानदेह
ही होती है या इसके भी कुछ फायदे है? आज हम इसी के बारे में
बात करेंगे, लेकिन सबसे पहले ये जानते है कि आखिर ये Ultra Violet Ray है क्या. CLICK HERE TO KNOW Laser Keyboard और ये कैसे काम करता है ...
पैराबंगनी किरणें नुकसानदेह या फायदेमंद |
Ultra Violet Rays क्या है :
अल्ट्रा वायलेट रेस या
पैराबंगनी किरणें भी Electromagnetic Spectrum का ही हिस्सा है या यूँ कहें
कि ये एक इलेक्ट्रोमेग्नेटिसम रेडिएशन है. इस एलेक्ट्रोमेग्नेटिक स्पेक्ट्रम में
सबसे पहले आती है Radio
waves, फिर Micro Waves, फिर Infrared, Visible Rays और उसके बाद आती है Ultraviolet Rays. अल्ट्रा वायलेट के बाद X-Rays, Gamma Rays और Cosmic Rays आती
है. इन सभी किरणों का इस्तेमाल हम सभी अपने फायदे के लिए करते है तो चलिए पहले
जानते है कि कौन सी रे किस काम में हमारी मदद करती है.
- Radio
Waves : जहाँ रेडियो वेव्स का इस्तेमाल रेडियो टेलीविज़न और
ब्रॉडकास्ट की फ़ील्ड में किया जाता है.
- Micro
Waves : वहीँ माइक्रोवेव्स को कुकिंग के डिवाइसस, वाई फाई, रेडार
और टेलीफोन के सिग्नल्स को लोकेट करने के लिए प्रयोग किया जाता है.
- Infrared
Rays : इन्फ्रारेड
रेस आग, रेडियेटरस और सूर्य को गर्मी देती है, इसके साथ इस रे का इस्तेमाल नाईट विज़न इफ़ेक्ट के लिए भी किया जाता है.
- Visible
Rays : Visible Rays वो लाइट है जिसकी वजह से हम देख पाते है.
- Ultra
Violet Rays : अल्ट्रा वायलेट किरणों का प्रयोग बहुत सारी जगह
होता है खासतौर से इन्वेस्टीगेशन के दौरान और हार्मफुल बैक्टीरियास को मारने में.
- X-Rays
: X-Rays के बारे में तो हम सभी जानते है, ये एक तरह से हमारी हड्डियों की फोटो खींचती है.
- Gamma
Rays : गामा किरणों को डॉक्टर्स कैंसर के सेल्स को मारने
में प्रयोग करते है.
- Cosmic
Rays : कॉस्मिक किरणें हाई एनर्जी प्रोटोंस और एटॉमिक
न्युक्लियाई से मिलकर बनती है और ये ज्यादातर सोलर सिस्टम से बाहर ही बनती है.
Ultra Violet Rays Nuksaandeh Ya Faydemand |
अल्ट्रा वायलेट किरणों के
नुकसान :
अल्ट्रा वायलेट किरणों के
बारे में ज्यादातर एक ही बात सुनने को मिलती है कि ये धीरे धीरे धरती की प्रोटेक्टेड
ओजोन लेयर को कमजोर बना रही है और उसे कई जगहों से उसे खोल भी दिया है. ओजोन लेयर
के उन्ही खुले हुए हिस्सों में से सूरज की डायरेक्ट किरणें हम तक पहुँचती है जोकि
हमारी बॉडी के लिए नुकसानदेह होती है और कैंसर जैसे खतरनाक रोगों को जन्म देती है.
ये सब बातें सच भी है
क्योकि अगर ज्यादा मात्रा में अल्ट्रा वायलेट रे हम तक पहुँचें तो वो हमे नुकसान
ही पहुंचाएगी, ऐसा
इसलिए क्योकि ये हमारे DNA को
डैमेज करती है. लेकिन अगर एक सिमित मात्रा में अल्ट्रा वायलेट या पैराबंगनी किरणों
को इस्तेमाल किया जाए तो यही UV Rays हमारे
लिए बहुत फायदेमंद भी होती है.
अल्ट्रा वायलेट किरणों के
फायदे :
- हार्मफुल बैक्टीरिया मारे : जैसाकि हमने बताया कि अल्ट्रा वायलेट रे हमारे DNA और
बैक्टीरिया को डैमेज करती है इसलिए अगर इसे एक सिमित मात्रा में इस्तेमाल किया जाए
तो बॉडी से हार्मफुल बैक्टीरियास को आसानी से हटाया जा सकता है.
- पानी को करे शुद्ध : सिर्फ बॉडी के बैक्टीरिया नहीं बल्कि वाटर प्योरीफायर और बड़े बड़े
वाटर प्लांट्स में भी अल्ट्रा वायलेट किरणों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि पानी
से हार्मफुल बैक्टीरियास को निकाला जा सके.
- इन्वेस्टीगेशन में मददगार : अल्ट्रा वायलेट किरणों की एक ख़ास बात ये भी है कि हम इससे वो चीजें
भी देख पाते है जिन्हें हम अपनी नार्मल आँखों से नहीं देख पाते. जैसेकि पुलिस
इन्वेस्टीगेशन के दौरान जब पुलिस किसी कमरे को सर्च करते है और उन्हें कुछ निशान
ढूंढने होते है तो वे अल्ट्रा वायलेट किरणों को कमरे के हर हिस्से पर डालते है.
ऐसा इसलिए क्योकि मॉलिक्यूल अल्ट्रा वायलेट किरणों को सोखते है और चमकने लगते है, इससे पता चलता है कि खून के निशान
कहाँ कहाँ है.
Kya Hai Pairabangani Kirnen |
- करेंसी नोट पहचानने में मदद : ठीक इन्वेस्टीगेशन की तरह जब UV Rays को किसी नोट पर डालते है तो
वो हमें नोट पर बने वो कोड, आई दी और पैटर्न दिखाती है जिससे
एक असली नोट की पहचान होती है.
- क्लीनिंग में हेल्पफुल : अल्ट्रा वायलेट किरणें
पोर्टेबल भी होती है ऐसा इसलिए क्योकि कुछ ऐसे गैजेट्स और UV लैम्प्स भी आते है जिसमें UV Rays की मदद से टूथब्रश के बैक्टीरियास को मारा जाता
है, कुछ सेल फ़ोन के कीटाणुओं को मारते है.
- कीड़े मकोड़ों को मारे : अल्ट्रा वायलेट किरणों का एक
फायदा ये भी है कि अगर इसके लैंप को किसी ऐसी जगह में लगा दिया जाए जहाँ कीड़े मकोड़े
है तो सभी कीड़े मकोड़े इसकी तरफ आकर्षित हो जायेगे और ये उन्हें मार देगी.
तो दोस्तों निष्कर्ष ये
निकलता है कि अगर अल्ट्रा वायलेट किरणों को एक लिमिट से ज्यादा इस्तेमाल किया जाता
है तो वो हमारे लिए हार्मफुल है और स्किन कैंसर का कारण बन सकती है, इसलिए ऐसे में अपनी स्किन को
प्रोटेक्ट करके रखना चाहियें लेकिन अगर सिमित और कण्ट्रोल करके इसका इस्तेमाल किया
जाए तो अल्ट्रा वायलेट किरणें हमारे लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद भी है और हमारे कई
काम आती है.
UV Rays ke Hanikarak Prabhav |
अल्ट्रा वायलेट किरणों के
अन्य फायदे और नुकसानों के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके
जानकारी हासिल कर सकते हो.
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