OLED ( Organic Light
Emitting Diode )
OLED मतलब Organic Light Emitting Diode, LED का
ही एक नया वर्शन है और ये Flat Light Emitting Technology पर काम करती है. इनमे एक ख़ास बात ये होती है कि
इन्हें बेकलाइट की आवश्यकता नहीं पड़ती, साथ ही ये पतले भी
होते है और Efficient भी. इनकी इमेज क्वालिटी
बेमिशाल होती है, साथ ही इन्हें Flexible, Rollable, Stretchable, Foldable और Transparent भी बना सकते है. इसीलिए इसे डिस्प्ले टेक्नोलॉजी
का भविष्य माना जाता है. क्योकि इसकी इमेज क्वालिटी गजब की होती है इसीलिए इसे iPhone X और Samsung Galaxy Note 8 में भी इस्तेमाल किया गया है, लेकिन इसकी वजह से उन फ़ोन के प्राइस भी काफी बढ़ गये है. CLICK HERE TO KNOW क्या है VPN और इसके फायदे व नुकसान ...
क्या है OLED और ये कैसे काम करती है |
कहाँ से आई OLED ( History Of OLED ) :
सन 1987 में Ching W. Tang और Steven Van Slyke ने Eastman Kodak में OLED डीवाइस
को तैयार किया था. लेकिन उस वक़्त की और आज की OLED में बहुत ज्यादा इम्प्रूवमेंट आ चुका है और आज
ये बहुत कम बिजली पर अच्छी Efficient लाइट
देती है.
OLED टेक्नोलॉजी ( OLED Technology ) :
असल में OLED पेनल्स
आर्गेनिक मैटेरियल्स से बनती है जोकि Carbon बेस्ड
होते है और लाइट को सिर्फ तब एमिट करते है जब उनमे से बिजली पास होती है. इसके
ज्यादा Efficient होने के पीछे का राज यही है
कि ना तो इनमे बेकग्राउंड होता है और न ही फिल्टर्स, जबकि LED में ये होते है. अगर इसके ख़ास फीचर्स की बात
करें तो इसमें गजब के कलर, Infinite Contrast, Wide Angles होते है और इसकी रिस्पांस रेट भी काफी ज्यादा
है.
OLED काम कैसे करती है ( How OLED Works ) :
अगर OLED के
बेसिक स्ट्रक्चर की बात की जाए तो सबसे पहले इसमें एक Emissive Layer को Cathode और Anode के बीच में Sandwiched करना पड़ता है. जहाँ Cathode electrons को इंजेक्ट करती है तो वहीं Anode Electrons को रिमूव करती है.
OLED और LED के काम करने में भी फर्क है क्योकि जहाँ LED n-type और p-type सेमीकंडक्टर्स की लेयर्स पर काम करती है वहीँ OLED इलेक्ट्रॉन्स को प्रोड्युज करने के लिए Organic Molecules को इस्तेमाल करती है.
हर OLED में
6 अलग अलग लेयर्स बनी होती है जिसमें से सबसे ऊपर वाली ( Seal Layer ) और सबसे नीचे वाली ( Substrate Layer ) पर Protective Glass लगा होता है. अगली 4 में 1 लेयर होती है Cathode और दूसरी होती है Anode और ये आर्गेनिक मॉलिक्यूल की बनी होती है. बची
हुई 2 लेयर्स में से पहली है Emissive Layer ( जो लाइट बने है, और ये Cathode के
बगल में होती है ) और दूसरी है Conductive Layer ( ये Anode के बगल में होती है ). वैसे आजकल जो OLED मिलती है उनमे 6 से ज्यादा लेयर्स होती है ताकि
वे ज्यादा Durable और Efficient रहे, लेकिन उनके काम करने का बेसिक फंक्शन भी यही होता है.
Kya Hai OLED Aur Ye Kaise Kaam Karti Hai |
OLED को आर्गेनिक क्यों कहते है ( Why is OLED Called Organic? ) :
OLED को आर्गेनिक कहने का एक ही
रीज़न है और वो ये है कि इन्हें Carbon और Hydrogen से तैयार किया जाता है. इनमे किसी भी तरह के बैड
मेटल्स का प्रयोग नही किया जाता और इसीलिए इसे एक Real Green Technology भी कहा जाता है.
OLED के प्रकार ( Types of OLED ) :
OLED मुख्यतः सिर्फ 2 ही प्रकार की
होती है –
- पहला Traditional OLED : ट्रेडिशनल OLED वो OLED होती
है जिसमें छोटे छोटे मॉलिक्यूलस होते है, और जब इन्हें ग्लास
पर डिपाजिट किया जाता है तो लाइट पैदा होती है.
- और दुसरा Light Emitting Polymers
: इनमे पॉलीमर्स ( Large Plastic Molecules ) का इस्तेमाल होता है और इसीलिए इन्हें LEPs यानि Light Emitting Polymers भी कहते है. इनमे ग्लास की
जगह प्लास्टिक का यूज होता है और इसीलिए ये ट्रेडिशनल OLED से भी कहीं ज्यादा पतले और फ्लेक्सिबल होते है.
OLED के फायदे ( Advantages of OLED ) :
- इनका सबसे पहला फायदा तो यही है कि ये LCD से
कहीं ज्यादा बेहतर, पतले, हल्के और
फ्लेक्सिबल होते है.
- दुसरा, क्योकि ये ज्यादा ब्राइट होते है इसीलिए इनमे Backlight की कोई आवश्यकता ही नहीं होती.
- ये LED से भी बहुत कम पॉवर खाते है,
जो सभी को इसकी तरह आकर्षित करता है.
- इनकी Refresh Rate भी LCD की तुलना में कहीं ज्यादा अच्छी होती है और
इसीलिए आप इसमें Fast
Moving Pictures को
भी पूरी Clarity के साथ देख पाते हो.
- इनमे Wide Viewing Angles होने के साथ साथ Truer Color भी होते है.
- अगर बात इनको बनाने के खर्च की करें तो वो भी LCD से
काफी कम होता है.
- इनको स्टार्ट होने के लिए Warm Up टाइम
की भी जरूरत नहीं होती और इसीलिए ये तुरंत स्टार्ट भी हो जाते है.
- क्योकि ये Dimmable भी है इसीलिए आप इन्हें Ambient Lighting में भी आराम से इस्तेमाल कर सकते हो.
- खास बात ये है कि ये हीट पैदा नहीं करते और इसी
कारण इन्हें Cold Lighting Source भी कहा जाता है.
Organic Light Emitting Diode |
OLED के नुक्सान ( Disadvantages of OLED ) :
वैसे तो OLED के
ज्यादातर फायदे ही होते है लेकिन हाँ इसके 2 नुक्सान भी है –
- इनमे मौजूद Molecules धीरे धीरे खराब होते चले जाते
है, जिस वजह से ये ज्यादा समय तक काम नहीं करती.
- साथ ही ये पानी और Moisture को लेकर काफी ज्यादा सेंसिटिव
भी है और जल्दी खराब भी हो सकती है.
किस चीज में यूज हो रही
है OLED ( In Which Devices OLED is Using? ) :
OLED तकनीक अभी सबके लिए बहुत नयी
है क्योकि इसने बस अभी मार्केट में कदम रखे है और इसीलिए अभी ज्यादातर लोग LCD और LED में
ही लगे हुए है. लेकिन Manufacturer कंपनियाँ
इसके बारे में अच्छे से जानती है और इसके अच्छे फीचर्स को देखकर इसे अपने
प्रोडक्ट्स में युज कर रही है.
- OLED डिस्प्ले : OLED को
अभी सबसे ज्यादा एक डिस्प्ले के रूप में ही प्रयोग किया जा रहा है चाहे फिर वो
मोबाइल फ़ोन की डिस्प्ले हो या फिर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की.
- Digital घड़ियाँ : जैसाकि
हमने बताया कि इनका वजन भी कम होता है और ये Foldable भी होती है इसीलिए इन्हें
डिजिटल और स्मार्ट घड़ियों में भी इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर आपने Apple की वाच देखी है तो आपको उसमें OLED ही मिलेगी.
- Smartphones : Apple और Samsung ये
दो ऐसी कंपनियाँ है जिन्होंने OLED को
आते ही सबसे पहले इसे अपने स्मार्टफोन में लगाया. OLED लगने से उनके फ़ोन की लुक भी बहुत अच्छी हुई है
और OLED के सभी फीचर्स भी उनके फ़ोन
में ऐड हो गये है.
- OLED TV : धीरे धीरे ही सही लेकिन अब इन्हें TV की
जगह भी इस्तेमाल किया जाने लगा है और इसका रीज़न है कमाल का व्यू एक्सपीरियंस.
Aakhir Kaise Kaam Karti Hai OLED |
OLED के काम करने के तरीके, उसके प्रकार और अन्य फायदों और नुकसानों के बारे में अधिक जानने के लिए आप
तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
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