बौनों का गाँव – माखुनिक
अगर आपको कहानियों का शौक
है तो आपने बचपने में गुलिवर ट्रेवल्स की कहानी जरुर सुनी होगी, जहाँ एक बड़ा सा आदमी जिसका नाम
गुलिवर था, वो लिलिपुट नाम के एक द्वीप पर पहुँच जाता है
जहाँ के लोगों की हाइट सिर्फ 15 सेंटीमीटर थी. अगर आपने भी ये स्टोरी पड़ी, सुनी या देखी है तो आपके मन में भी ये सवाल जरुर आया होगा कि आखिर इतने
छोटे लोग कैसे हो सकते है? वे कैसे दिखते होंगे और कैसे
सरवाइव करते होंगे?
ऐसे सवालों का मन में आना
जायज भी है क्योकि हमे लगता है कि इतने छोटे इंसान तो हो ही नहीं सकते. पर आज हम
आपको बौनों के एक ऐसे गाँव से रूबरू कराने वाले है जिनके बारे में जानकार आप अपनी
सोच को चेंज कर लोगो और मान जाओगे कि बौने लोग भी होते है. CLICK HERE TO KNOW एक बार नहीं बल्कि 3 बार प्यार होता है हमें ...
बौनों का गाँव जाने कैसे हुई खोज |
मिली 25 सेंटीमीटर की
इंसानों की ममी :
दरअसल आज से करीब 150 साल
पहले ईरान में एक गाँव था माखुनिक, जिसमें बौने लोग रहा करते थे. ये गाँव ईरान और अफगानिस्तान
बॉर्डर से 75km की दुरी पर स्थित है. यहाँ
लोग मानते है कि इस माखुनिक गाँव में, आज के ईरान के लोगों
की औसतन हाइट से 50cm कम हाइट वाले लोग रहा करते
थे. 2005 में जब इस गाँव में खुदाई हुई तो यहाँ 1 ममी मिला, जिसकी
हाइट सिर्फ 50cm थी.
इस ममी पर कई तरह की
रिसर्च की गयी, जिसमे
पता चला कि वो ममी उसी गाँव में रहने वाले एक बच्चे की है. रिसर्चर्स का कहना है
कि ममी के मिल जाने के बाद ये बात पक्की हो जाती है कि इस गाँव में रहने वाले
लोगों की हाइट बहुत कम हुआ करती थी. ये ममी करीब 400 साल पुरानी थी.
शाकाहारी थे माखुनिक गाँव
के लोग :
सिर्फ ममी पर ही नहीं
बल्कि माखुनिक गाँव पर भी रिसर्च हुई और पता चला कि माखुनिक गाँव ईरान के मुख्य
गाँवों से काफी दूर और सुखा इलाका था. इस गाँव में लोग अनाज, खजूर, जौ,
शलगम और बेर की खेती करके अपना जीवन यापन करते थे और इसीलिए वे पूरी
तरह शाकाहारी थे. हालाँकि उन्हें खाने में ऐसे पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते थे
जिससे की उनके शरीर का विकास हो सके और यही रीज़न था की उनका शारीरिक विकास नहीं
हुआ और वे बौने ही रह गए.
Baunon ka Ganv Jane Kaise Hui Khoj |
घरों की हाइट भी होती थी
बहुत कम :
रिसर्च से पता चला कि
माखुनिक गाँव में करीब 200 घर थे, जिनकी हाइट मैक्सिमम डेढ़ मीटर होती थी. इनकी छत भी सिर्फ 1 मीटर की ही
होती थी. ये सब बातें ये साबित करती है कि इस गाँव में कैसे लोग रहते थे, उनकी लम्बाई क्या थी और वे कैसे अपना गुजर बसर करते थे. बता दें कि यहाँ
घरों में लकड़ी के दरवाजे लगाये जाते थी और घर में सिर्फ 1 ही तरफ विंडो होती थी.
सिर्फ इतना नहीं हर घर
में एक बड़ा सा कमरा और बड़ा ही भण्डार घर भी बनाया जाता है जिसे वे कांदिक कहते थे.
इस रूम में वे अपना अनाज रखा करते थे. खाना बनाने के लिए यहाँ मिटटी का चुल्हा यूज
किया जाता है जिसे ये करशक कहा करते थे. साथ ही ये इसी रूम में बची थोड़ी सी जगह
में ही सो भी जाते थे.
सड़कों का विकास :
क्योकि माखुनिक गाँव ईरान
के बाकी गाँवों से काफी दूर था और यहाँ का इलाका सुखा हुआ था इसीलिए इस गाँव तक
कोई भी सडक नहीं जाती थी. पर 20th सदी के मध्य में इन लोगों ने भी अपने लिए खुद
सड़कें बनाना स्टार्ट किया. जैसे ही सड़कें बनी इस गाँव के लोगों ने ईरान के बाकी
बड़े शहरों में जाना स्टार्ट कर दिया और वहाँ काम करने लगे.
काम के बदले वे लोग अपने
गाँव चावल और मुर्गे को लेकर जाते थे. इस तरह वहाँ के लोगों का लाइफस्टाइल, उनका खान पान और सोच बदलना
स्टार्ट हो गयी और उनकी बॉडी ग्रोथ भी शुरू हो गयी. आज के समय में इस गाँव के करीब
700 लोग ऐसे है जिनकी हाइट बाकी लोगों की तरह नार्मल है. पर जब जब इस गाँव के
पुराने घरों को देखा जाता है तो फिर से उन्हें अपने पास्ट और अपनी छोटी हाइट याद आ
जाती है.
Iss Ganv ka Har Insaan Hai Bauna |
बौनों के इस गाँव माखुनिक
के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकत हो.
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