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Upyogi Amla or Uske Gun | उपयोगी आवंला और उसके गुण | Usefulness of Myrobalan and its Qualities

आवंला एक खट्टा फल हैं. परन्तु यह बहुत ही उपयोगी फल भी हैं. भारत देश में आवंला का उपयोग प्राचीन काल से होता रहा हैं.  हमारे देश के प्राचीन समय में आंवले को ‘अमृतफल’ के नाम से जाना जाता था. क्यूंकि यह और फलों की तुलना में हमारे स्वास्थ्य के लिए गुणकारी हैं. आंवले को प्रकृति की अमूल्य देन माना जाता हैं. आंवला की गणना हमारे देश के प्रसिद्ध फलों में की जाती हैं. भारत तथा अन्य जगहों पर आंवले की पैदावार काफी मात्रा में होती हैं. इसलिए यह अधिक महंगे नही होते.


       आंवले की अपनी एक अलग ही खासियत होती हैं. यह फल और फलों की भांति अधिक कच्चा या अधिक खट्टा होने पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नही होता. आंवला खट्टा हो, ताजा हो, पका हुआ हो या पुराना हो. इसके गुण कभी भी कम नहीं होते. आंवले का खट्टापन ही इसके गुणों की रक्षा करता हैं. आवंला विभिन्न पोष्टिक तत्वों से युक्त होता हैं. आवंला का स्वाद बेशक खट्टा और कसैला होता हैं. परन्तु यह बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. आयुर्वेद की दृष्टि में यह बहुत ही गुणकारी फल हैं. आंवले को खाने से हमारे शरीर की ताकत में बढ़ोतरी होती हैं. आंवला हमारे शरीर को एक अंडे की तुलना में अधिक ताकत प्रदान करता है. 


        आंवले का पेड़ काफी लम्बा होता हैं. आंवले की पत्तियाँ इमली की पत्तियों की भांति छोटी – छोटी होती हैं. आंवले के पेड़ में पीले रंग के फूल खिलते है. फाल्गुन मास में आंवले के पेड़ पर आंवले अधिक मात्रा में होते हैं तथा पके हुए भी होते हैं. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
 
उपयोगी आवंला और उसके गुण
उपयोगी आवंला और उसके गुण

       आंवले के प्रत्येक भाषा में अलग - अलग नाम हैं. संस्कृत भाषा में आंवले को आमलकी नाम से जाना जाता हैं. हिंदी भाषा में आंवला शब्द का प्रयोग किया जाता हैं. जो की अधिक प्रसिद्ध हैं. बंगला भाषा में इसे अमला कहते हैं. मराठी भाषा में तथा गुजरती भाषा में इसको हिंदी भाषा की भांति आंवला ही कहा जाता हैं. फारसी भाषा में इसके लिए माम्लझ शब्द को प्रयुक्त किया जाता हैं. अंग्रेजी भाषा में आंवले को एम्बिलक मिरोबेलन कहते हैं. इसका लैटिन नाम फैलेंधस एम्बिलका हैं. इन नामों के आलावा आंवले को और भी कई नामों से जाना जाता हैं. जैसे – धात्रीफल, अमृतफल, श्रीफल, शिव, अमृता आदि नाम भी इसके स्थान पर प्रचलित हैं. 


     संस्कृत के ग्रंथों में आंवले को आयु बढ़ाने के लिए सर्वश्रेष्ठ फल का दर्जा दिया गया हैं. आंवले में शरीर के सभी रोगों को नष्ट करने की और फलों की तुलना में अत्यधिक क्षमता हैं. ऐसा माना जाता हैं की संतरा ही एक ऐसा फल हैं जिसमे विटामिन ‘सी’ की मात्रा सर्वाधिक विद्यमान होती हैं. परन्तु आंवले में एक संतरे के 10 गुना विटामिन ‘सी’ की मात्रा होती हैं. जिसका अभिप्राय यह हैं की एक आंवले से हमे 10 संतरों के सेवन करने से जितना विटामिन ‘सी’ मिलेगा उसकी पूर्ति अकेले ही एक आंवला कर सकता हैं. एक मनुष्य को प्रतिदिन 50 मिली. विटामिन ‘सी’ की आवश्यकता होती हैं. जिसकी पूर्ति 16 औस आंवला के रस से की जा सकती हैं. आंवले में उपस्थित विटामिन सी की मात्रा और फलों की विटामिन सी की मात्रा जो की प्राक्रतिक रूप से उनमें विद्यमान होता हैं, उनसे काफी अच्छा होता हैं. आंवले के 100 ग्राम रस में विटामिन ‘सी’ की 921 मिग्राम. मात्रा विद्यमान होती हैं. तथा इसके गूदे में 700 मिग्राम विटामिन ‘सी’ पाया जाता हैं. आंवले को शरीर में ताकत की पूर्ति करने वाले फल के रूप में भी जाना जाता हैं. आंवले में लोहे का भी भंडार होता हैं. विटामिन ‘सी’ आंवले में और फलों से ज्यादा समय तक सुरक्षित होता हैं. आंवले में विटामिन सी की मात्रा के अधिक देर तक सुरक्षित रहने का कारण इसमें उपस्थित एस्कोर्बिक एसिड, पैक्टिन तथा टैनिन हैं. आंवला बहुत ही लाभकारी फल हैं. जिसका उपयोग हमे किसी न किसी रूप में अवश्य करना चाहिये. 


      आंवलो में बहुत सारे पोष्टिक तत्वों की मात्रा भी सम्मिलित होती हैं. आंवले में 31.2 प्रतिशत आर्द्रता की मात्रा उपस्थित होती हैं. इसमें वसा की मात्रा 0.1 प्रतिशत होती हैं. कार्बोहाइड्रेट्स की आंवले में 14.1 प्रतिशत मात्रा विद्यमान होती हैं. इसमें खनिज द्रव, लोहा, निकोटिन एसिड, और गैलिक एसिड की मात्रा बहुत ही कम होती हैं. टैनिक एसिड, शर्करा की तथा एल्ब्युमीन की मात्रा भी कम होती हैं. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Upyogi Amla or Uske Gun
Upyogi Amla or Uske Gun

          आंवला शरीर के वात, पित्त और कफ को नष्ट करता हैं. आयुर्वेद में आंवले का उल्लेख त्रिदोष को नष्ट करने वाले फल के रूप में किया गया हैं. आंवले के सेवन करने से हृदय की बेचैनी को शांति मिलती हैं. आंवला शरीर की गर्मी को दूर करने के लिए बहुत ही उपयोगी होता हैं. अगर किसी व्यक्ति का पाचन तंत्र खराब हैं. तो उसके लिया आंवला बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता हैं. आंवले का सेवन करने से शरीर में खून की कमी भी पूरी हो जाती हैं. आंवला श्वास रोग तथा यकृत की कमजोरी को दूर करने वाला फल हैं. आंवले का प्रयोग करके धड़कन, मैदा, तिल्ली, रक्तचाप तथा दाद आदि रोगों से छुटकारा पाया जा सकता हैं. आंवला आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए अत्यंत ही उपयोगी फल है. आंवले का सेवन करके बालों के रोग, दांतों एवं मसूढ़ों की तकलीफ से भी छुटकारा पाया जा सकता हैं. किसी भी तरह के चर्मरोग में भी इसका उपयोग करना बहुत ही लाभकारी होता हैं. आंवला स्वप्नदोष , मूत्र विकार जैसे रोगों को भी दूर कर देता हैं.आंवले को खाने से शरीर में ताकत की तथा मस्तिष्क की बुद्धि का विकास होता हैं. आंवले का सेवन करने से पेट तथा खून साफ होता हैं. आंवले को खाने से शरीर में आरोग्य शक्ति का विकास होता हैं. आंवले को खाने से मन्दाग्नि भी दूर हो जाती हैं. यदि हम आंवले के मौसम में पके हुए आंवलो का रोजाना सेवन करें, तो हमे पुरे 12 महीनों तक किसी भी रोग के हो जाने का भय नही रहेगा. आंवलों का प्रयोग बहुत से तरीको से किया जा सकता हैं. यदि किसी व्यक्ति को कच्चा आंवला खाना पसंद न हो तो वह आंवले के आचार और आंवले के मुरब्बों का भी सेवन कर सकता हैं. आंवले की चटनी , चुर्ण आदि को बना कर भी इसका उपयोग किया जा सकता हैं. आंवला बहुत ही गुणकारी फल हैं. इसके गुणों की पहचान भारतीय चिकित्सा शास्त्रियों ने बहुत पहले ही कर ली थी. इस लिए च्यवनप्राश जैसे गुणकारी प्रदार्थ को बनाने में भारतीय चिकित्सा शास्त्रियों ने इसका उपयोग किया हैं. आंवले के प्रयोग से बहुत सी और औषधियाँ  भी बनाई जाती हैं. आंवले के पेड़ का प्रत्येक भाग बहुत ही उपयोगी होता हैं. आंवले के पेड़ की छाल, बिज, छिलका, गूदा आदि का भी प्रयोग किसी न किसी रूप में किया जाता हैं. 

 
Usefulness of Myrobalan and its Qualities
Usefulness of Myrobalan and its Qualities

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