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Gond ke Prakrtik Gunon ke Laab | गोंद के प्राकृतिक गुणों को जाने तथा लाभ उठाये

गोंद पौधों से प्राप्त होने वाला एक द्रव्य है जिसे हम प्राकृतिक द्रव्य भी कहते है. यह पौधों के अंदर से निकलता है और उनके तने पर चिपका हुआ मिलता है और देखने में ऐसा लगता है की पौधों के आंसू की तरह लगते है. इसको एक प्रकार से औषोधि के रूप में जाना जाता है. गोंद बहुत से पौधों से निकलता है और जितने भी पौधों से ये निकलता है उन्ही की तरह इसके गुण भी अलग ही होते है. भिन्नता होने के कारण इसके गुण भी बहुत ही होते है. आज हम इसके इन्ही गुणों के बारे में आपको बताने जा रहे है जिससे की आप इसके गुणों को जाने और इसका भरपूर इस्तेमाल करे सके.

गोंद को हम ऐसे भी प्राप्त कर सकते है यदि किसी पेड़ का तना चीर दिया जाये और इसके बाद इसके अंदर से जो पदार्थ निकलता है वह सुख कर गोंद ही बनता है. पेड़ से निकलने के कारण पेड़ के औषोधीय गुण भी उसी में समाहित रहते है. इसका इतेमाल आयुर्वेदिक गोलियों के बनाने में भी किया जाता है. गोलियां बनाने के लिए जो पाउडर वाईंडिंग की जाती है उसके लिए गोंद की जरुरत होती है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
गोंद के प्राकृतिक गुणों को जाने तथा लाभ उठाये
गोंद के प्राकृतिक गुणों को जाने तथा लाभ उठाये
इसके अलावा वह गोंद बहुत ही पोष्टिक माना जाता है जो हमें कीकर या बबूल से प्राप्त होता है. इसके अलावा नीम का गोंद रक्त की गति बढाने में बहुत ही सहायक होता है. यह शरीर की फुर्ती को बढाता है और तंदरुस्ती लाता है. इसको हम एक दुसरे नाम से भी जानते है और वो नाम है ईस्ट इंडिया गम. और जो गुण हमें नीम से मिलता है यह भी हमें वे औषोधीय गुण उपलब्ध करवाने में सहायक है.

हमारे शरीर की हड्डियाँ मजबूत करने में भी गोंद मददगार है और ये मजबूती मिलती है हमें पलाश के पेड़ से प्राप्त गोंद से. इसके अलावा पलाश का गोंद शारीरक बाल बढाने में और वीर्य की वृद्धि में बहुत ही गुणकारी साबित होता है और ऐसा करने के लिए हम इसको दूध में मिश्री डाल कर या फिर आंवले के रस के साथ मिलाकर लेना पड़ता है. यह अस्थियाँ मजबूत करने में भी सहायक है. अगर किसी को दस्त की समस्या है तो इसे गर्म पानी में घोलकर इसका सेवन करने से दस्त की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.

 इनके बाद आम का गोंद भी विशेष गुण रखता है जो कि स्तंभक और रक्त प्रसादक होता है. फोड़े हो जाने पर यह बहुत आराम देता है. आम के गोंद को गरम करके फोड़ो पर लगाने से पीप को बाहर निकाला जा सकता है और साथ ही घाव को बहुत ही जल्दी भरने के लिए भी इस गोंद का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा चरम रोगों में भी आम का गोंद बहुत गुणकारी होता है. चर्म रोग ठीक करने के लिए नींबू के रस को आम के गोंद के साथ मिलाकर लेप करना पड़ता है इससे जल्दी ही चर्म रोगों का निवारण भो जाता है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Acacia Nilotica Gum Benefits
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सेमेल का गोंद जिसको की हम मोचरस भी कह सकते है, पित्त के शमन के लिए बहुत ही अच्छी दवा है. मोचरस चूर्ण का 1 से ३ ग्राम की मात्र का सेवन दही के साथ करने से अतिसार की अवस्था में आराम मिलता है. और इसके चूर्ण में इतनी ही मात्रा में चीनी मिलकर लेने से श्वेत प्रदर की समस्या को दूर किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल दांतों की सफाई के लिए भी किया जाता है.

एक प्रकार का गोंद जो बारिश होने पर कबीट के पेड़ से निकालता है उसमे बबूल की गोंद जैसे गुणों का समावेश होता है.

बबूल को भी हम एक प्रकार की गोंद ही कह सकते है. यह तीन प्रकार के पौधों की जड़ो से प्राप्त होता है जो कि फेरुला कुल, अम्बेलाफेरी, एपपिएसी नामक है. इनमे से निकलने वाला गोंद बहुत ही सुगन्धित गोंद रेजिननुमा होता है. हिंग की दो किस्मे होती है – दोनों ही किस्मे घुलनशील होती है. एक पानी में घुलनशील होती है और जबकि दूसरी तेल में घुलनशील होती है. इनके कुल में गाजर भी होती है. जब किसानो द्वारा इसकी मोती गजरनुमा जड़ में चीरा लगाया जाता है तो करीब तीन महीनो तक इसमें से रेजिना निकलता है. और इस अवधि में इसकी मात्रा लगभग 3 किलोग्राम तक हो जाती है औइर उस दौरान हवा के कारण यह बहुत कड़ा हो जाता है. अगर सिचाई के दौरान सिचाई की नालियों में हिंग की थैली रख दी जाये तो सब्जियों को संक्रमण से बचाया जा सकता है. और सब्जी की पैदावार बधाई जा सकती है इसके अलावा झल्लियों को साफ़ करने के लिया भी हिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है.

गुग्गुल से भी एक प्रकार का गोंद निकालता है जिसके इस्तेमाल से जोड़ो का दर्द दूर किया जा सकता है और इससे धुप व् अगरबती भी बनायीं जाती है.

प्रपोलिश नमक भी एक गोंद है जो की पौधों में होता है. और इसको इकठ्ठा करने का काम मधुमखियाँ करती है. इसके इस्तेमाल करने से हम खतरनाक पैराबेंगनी किरणों से बच सकते है.

 ग्वार की फली के बिज से भी हमें एक प्रकार का गोंद प्राप्त होता है जिसका नाम है गलेक्टोमेनन. इसका प्रयोग करके हम आइसक्रीम बना सकते है इसके अलावा पनीर भी बनाया जा सकता है और भी कई तरह के व्यंजन बनाने में हम इसका इस्तेमाल कर सकते है. इसके अलावा इसका इस्तेमाल बहुत से उद्योगों और औषधियों में किया जा सकता है.

इसके अलावा भी बहुत से ऐसे गोंद है जिनमें वे औषधीय गुण होते है जिनसे की वे प्राप्त होते है जैसे बेर, पीपल, अर्जुन आदि के पेड़ो के गोंद से.

 
Gond ke Prakrtik Gunon ke Laab
Gond ke Prakrtik Gunon ke Laab



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