ड्रग छोड़ने के यौगिक तरीके ( Derivative Ways to Leave Drug ) :
योग एक ऐसी क्रिया है जो आपके मन मस्तिष्क को शुद्ध रखकर इनके बुरे प्रभावों
से और विचारो से बचाता है. साथ ही ये व्यक्ति की आत्मिक शक्ति बढाकर उसे
दृद्निश्चयी बनता है. इसलिए आप आपने मन को शांत रखने और नशे की आदत को छोड़ने के
लिए भी योग और इसकी कुछ महत्वपूर्ण क्रियाओं का अभ्यास कर सकते हो.
§ त्राटक :
त्राटक का अर्थ किसी विशेष चिह्न या वस्तु पर टकटकी लगाकर
देखना. ये योग साधनों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इससे मनुष्य के मन को
एकाग्रता मिलती है. इसके नित्य अभ्यास से आपकी वाणी और दृष्टि मात्र से ही आपके
सारे संकल्प पूर्ण हो जाते है. माना जाता है कि ये व्यक्ति के विचारों शांत कर उसे
इतना ज्ञानी बना देता है कि वो मनुष्य ( साधक ) अपने सामने वाले व्यक्ति के मन की
बातो को भी आसानी से ज्ञात कर लेता है, उसे अपनी आँखों से सम्मोहित और आपनी तरफ
आकर्षित कर लेता है. इस योग को इतना शक्तिशाली माना जाता है कि इसको साधने के बाद
व्यक्ति को अदृश्य वास्तु तक दिखने लगती है और दूर स्थित चीजों को भी आसानी से
अपने समीप देख पाता है. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT DRUG ...
Yaugik Tarikon se Drug Chodne ke Upay |
त्राटक विधि : त्राटक योग को करने के लिए सबसे सही समय रात्री को
माना जाता है. इसको करने के लिए आप प्रतिदिन कम से कम 20 मिनट जरुर निकालें, साथ
ही इसमें आपकी श्रध्दा और धैर्य का होना भी जरूरी है. इस तरह आप इसके 3 महीने के
अभ्यास के बाद से ही फर्क महसूस करना शुरू कर दोगे.
स्टेप 1 : इस योग को करने के लिया आप सबसे पहले अपने शरीर
को शुद्ध कर लें और ढीले कपडें पहनकर एक आसन पर बैठ जाएँ.
स्टेप 2 : अब आप अपने आसान से लगभग 3 फूट की दुरी पर एक
मोमबत्ती को रखें, ध्यान रहे कि मोमबत्ती आपकी आँखों की बिलकुल सीध में होनी
चाहियें.
स्टेप 3 : इसके बाद आप पद्मासन मुद्रा में बैठ जाएँ और
मोमबत्ती की लौ को एकाग्र मन और स्थिर आँखों से देखते रहें.
स्टेप 4 : जब तक आपकी आँखों में किसी तरह की कठिनाई न महसूस
हो तब तक आप अपना ध्यान बनाएं रखें और दर्द महसूस होने पर आप अपनी पलकों को आराम
से झपकाकर वापस अपना ध्यान केन्द्रित करने की कोशिश करें.
धीरे धीरे आपको मोमबत्ती की ज्योति बढती दिखाई देने लगेगी
और एक दिन ऐसा आएगा जब आपको इसकी ज्योति के सिवा कुछ दिखाई ही नही देगा. आप महसूस
करोगे कि ज्योति की घटना के अनुरूप ही आपके जीवन में परिवर्तन होने लगे है. साथ ही
आपकी आँखों में इतना तेज बढ़ जाता है कि आप जिस भी व्यक्ति पर अपनी दृष्टी डालते हो
वो आपके मनोनुकूल कार्य करा शरू कर देता है. CLICK HERE TO READ ABOUT THE HARMS OF DRUG .....
यौगिक तरीकों से ड्रग छोड़ने के उपाय |
§ कुंजल :
पानी से पेट को साफ़
करने की क्रिया को कुंजल क्रिया कहते है. अगर आप कुंजल क्रिया का नित्य अभ्यास
करते हो तो आपके जीवन में कभी भी कोई रोग या शौक नही रहता. इस क्रिया को भी त्राटक
की ही तरह बहुत शक्तिशाली माना जाता है. इसमें आपके शरीर की पेट की और आहार की
नाली साफ होती है.
कुंजल विधि : इसको करने से पहले आप नित्य
कर्मो को समाप्त कर लें और फिर स्नान करें.
स्टेप 2 : अब आप
सीधे खड़े होकर थोडा सा सामने की तरफ झुक जायें और अपने हाथ की तर्जनी, मध्या और
अनामिका ऊँगली को आने मुह में डालकर जीभ के पीछे वाले हिस्से पर घुमायें.
स्टेप 3 : जब तक
आपकी उल्टी करने की इच्छा न हो तब तक आप ऐसा करते रहें. इसके बाद आप जब उल्टी होने
लगे तो आप अपने हाथ को बाहर निकल लें और पानी को बाहर आने दें. CLICK HERE TO KNOW ABOUT HOW TO QUIT WEED OR DRUG ...
Derivative Ways to
Quit Drug
|
स्टेप 4 : इसके बाद
आप दुबारा जितना हो सके उतना पानी पी लें और इस प्रक्रिया दो पुनः दोहरायें.
इस तरह आप शुरुआत
में 1 लीटर पानी के साथ कुंजल योग का अभ्यास करें और धीरे धीरे पानी की मात्रा
बढाते जाएँ.
इससे आपका लीवर,
हृदय और पेट साफ़ होता है और मन और शरीर निरोग रहता है. साथ ही आप हमेशा खुश रहते
हो और आपके शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है.
§ प्राणायाम : प्राणायाम को मन, शरीर,
मस्तिष्क और आत्मा की औषधि माना जाता है. साथ ही ये योग के आठ अंगो में से चौथे
स्थान पर स्थित है. आयुर्वेद के अनुसार शरीर में उत्पन्न होने वाली वायु प्राण है
और उसके निरोध को ही प्राणायाम कहा जाता है.
प्राणायाम विधि : प्राणायाम करते वक़्त
मुख्यतः 3 क्रियाओं को ध्यान में रखा जाता है – पूरक (वृत्ति), कुंभक (स्तंभ
वृत्ति) और रेचक (बाह्य वृत्ति).
पूरक – इसमें व्यक्ति को
नियंत्रित गति से श्वास अंदर लेना होता है. साथ ही जब श्वास को अंदर या बाहर
निकाला जाये तो उसको लय और अनुपात में होना आवश्यक है. आप श्वास को तेजी या धीरे
कैसे भी अंदर ले सकते हो.
नशा मुक्ति की योग क्रियायें |
कुंभक – इसके अनुसार आपको अंदर ली
गई श्वास को जितनी देर संभव हो सके उतनी देर अंदर रखे रखना होता है. जिस वक़्त
श्वास अंदर होती है उसे आंतरिक कुंभक कहते है और जब आप बाहर श्वास निकालते हो तो
उसे बाहरी कुंभक कहते है. ध्यान रहे कि इसमें भी आपकी श्वास का लय और अनुपात
बिलकूल नही टूटना चाहियें.
रेचक – इस क्रिया के अनुसार अंदर
ली है श्वास को बाहर निकालना होता है. आप श्वास को धीरे या तीव्र गति कैसे भी
निकाल सकते हो. किन्तु लय और अनुपात को यहाँ भी ध्यान में जरुर रखें.
§ उपवास : योग की अष्ट सिद्धियों के
अलावा भी अन्य अनेक क्रियायें और सिद्धियाँ है जिनका वर्णन योग में ही किया गया है
और उन्ही में से एक है उपवास. ये एक ऐसा योग है जिसमे व्यक्ति महीनो तक
बिना कुछ खायें और पिए ही अपना जीवन यापन करता है.
त्राटक कुंजल कपालभाती उपवास प्राणायाम |
उपवास विधि : अगर व्यक्ति अपने कंठ की
कूर्मंनाडी पर संयम कर लेता है तो उसे स्थिरता और अनाहार सिद्धि प्राप्त हो जाती
है, जिससे उसे भूख और प्यास से ही निवृत्ति मिल जाती है. ये कूर्मंनाडी कच्छप के
आकर की होती है जो कंठ कूप में स्थित होती है और जिस नाडी से हम आहार ग्रहण करते
है तो कंठकूप कहा जाता है. यही वो नाडी है जिसकी वजह से मनुष्य को भूख और पानी का
अनुभव होता है और इस योग में इसे ही नियंत्रित करना होता है. इसकी शुरुआत आपको भौतिक उपवासों से ही करनी
चाहियें. इस योग को आप किसी शिक्षक की निगरानी में ही करें.
§ कपालभाती : कपालभाती एक संस्कृत का शब्द
है जिसमें कपाल से अर्थ माथे और भाती से अर्थ प्रकाश से है. इस योग के नित्य
अभ्यास से मनुष्य के चेहरे पर एक कांती या चमक आ जाती है. साथ ही व्यक्ति का
स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहता है जिससे वो निरोगी होकर अपना जीवन व्यतीत करता है.
Tratak Kunjal KapalBhati Upvas Pranayam |
कपालभाती विधि : इस क्रिया को करने के लिए आप
सबसे पहले एक सपाट जगह का चुनाव करें और वहां एक साफ़ कपडा बिछा लें.
स्टेप 1 : अब आप
पद्मासन या सिद्धासन मुद्रा में बैठ जायें और अपने पेट को ढीला छोड़ दें.
स्टेप 2 : अब आप
अपनी नाक से अपने शरीर की जितनी हो सके सारी वायु को बाहर की तरफ निकल दें. ध्यान
रहे कि जब आप सांस को छोड़ रहे हो तो आप अपना पेट अंदर की तरफ धक्का देते हुए करें.
स्टेप 3 : आप सांस
को अंदर न लें और कुछ देर तक इस स्थिति में ही बैठे रहें. इस क्रिया में अपने आप
ही श्वास को अंदर लिया जाता है.
स्टेप 4 : आप इस
प्रक्रिया को जितनी बार हो सके दोहरायें और हर बार सांस को छोड़ने के लिए अपने पेट
को अंदर की तरफ धक्का दें. आप चाहे तो इस
क्रिया को थोड़े थोड़े विश्राम के बाद भी कर सकते हो.
इन सब क्रियाओं और योगो को करने से व्यक्ति द्वारा किये गये नशे का प्रभाव
खत्म होता है और उसे अपने मस्तिष्क में शुन्यता की जगह फिर से जीवन का आभास होता
है. साथ ही इन योगो को पुरे मन से करने पर व्यक्ति अपने आध्यात्मिक ज्ञान को भी
प्राप्त करता है. जो उसे अन्य लोगो से अलग पहचान देता है.
ड्रग और नशे के लक्षण, उसके प्रकार, नुकसान और इससे मुक्ति के उपायों से जुडी अन्य
किसी भी सहायता के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
Nasha Chodne ke Yogik Tarike |
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